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एक जमाना था जब मुंबई की सडको पर ट्राम नामकी कोई चीज थी, जो यातायात का लक्ज़री साधन था. ट्राम को मुंबई की शान मानी जाती थी. मेरा सौभाग्य था की एज ऐ मुंबईकर मैंने ट्राम मे सफर की है.
मुंबई मे सन 1873 मे परेल से कोलाबा के बिच पहली ट्राम चलाई गई थी. जो वर्तमान चल रही बस के आकर की होती थी. मगर वह रोड पर बिछाई गई पटरी पर चलती थी. जैसे हाल चल रही लोकल ट्रैन ट्रैक पर दौड़ती है.
शुरू मे उसे खींचने के लिये 6 से 8 घोड़े का इस्तेमाल किया जाता था. और मुंबई मे ट्राम को खींचने के लिये 900 घोड़े को काममे लिये जाते थे.
ता : 7 मई 1907 के शुभ दिन से मुंबई मे बिजली से चलने वाली ट्राम सेवा का आरंभ किया गया था. उसे वर्तमान लोकल की तरह ओवर हेड वायर से बिजली सप्लाय की जाती थी. इसमे कुछ ट्राम डबल देकर हुआ करती थी.
कोलाबा जंक्शन कार्नर मुंबई ट्राम सेवा का मुख्य केंद्र था. इसका संचालन बेस्ट कंपनी किया करती थी. मुंबई बस्ती विस्फोट के चलते ट्राम सेवा बंद करने का निर्णय लिया गया और ता : 31 मार्च 1964 के दिन से कायम के लिये ट्राम सेवा बंद कर दी गयी. इस तरह बिजली संचालित ट्राम सेवा ने करीब 57 साल तक मुंबईकर को लगातार सफर कराती रही और बादमे निवृति स्वीकार कर ली.
सन 1956 मे रिलीज हुई, ” सीआईडी ” फ़िल्म के गीत मे ट्राम का जिक्र किया गया है. जिसमे कॉमेडियन जॉनी वॉकर गाता है , ” कही बिल्डिंग, कही ट्राम, कही मोटर, कही मिल, सब कुछ मिलता है, मिलता नहीं दिल. ये दिल मुश्किल जिना यहां , जरा हटके जरा बचके ये है बॉम्बे मेरी जान. “
इसके गीतकार थे मजरूह सुल्तानपुरी. संगीतकार थे श्री ओ पी नैयर और उसे गाया था, मोहमद रफ़ी और गीता दत्त ने.
( ये पुरा गाना मै आप लोगोंकी खिदमद मे प्रस्तुत इसीलिए करता हुँ की ये गाने मे सन 1956 की मुंबई कैसी थी ? का अफलातून विवरण किया गया है. जरूर पसंद आएगा. )
ऐ दिल है मुश्किल जीना यहाँ
ज़रा हट के, ज़रा बच के
ये है बॉम्बे मेरी जाँ
कहीं बिल्डिंग, कहीं ट्रामे, कहीं मोटर, कहीं मिल
मिलता है यहाँ सब कुछ, इक मिलता नहीं दिल
इन्साँ का नहीं कहीं नाम-ओ-निशाँ
ज़रा हट के…
कहीं सट्टा, कहीं पत्ता, कहीं चोरी, कहीं रेस
कहीं डाका, कहीं फाँका, कहीं ठोकर, कहीं ठेस
बेकारों के हैं कई काम यहाँ
ज़रा हट के…
बुरा दुनिया को है कहता, ऐसा भोला तो ना बन
जो है करता, वो है भरता, है यहाँ का ये चलन
दादागिरी नहीं चलने की यहाँ
ये है बॉम्बे…
ऐ दिल है मुश्किल…
ऐ दिल है आसाँ जीना यहाँ
सुनो मिस्टर, सुनो बन्धु
ये है बॉम्बे मेरी जाँ
गाना संपूर्ण.
कोलकाता की ट्रैन आज बंद होनेके कगार पर है मगर कुछ ट्राम प्रेमी संगठन आज भी ट्राम सेवा को जारी रखने के लिए संघर्ष कर रहे है. वर्तमान कोलकाता में सिर्फ 30-35 ट्रामें ही चल रही है.
देश में पहली ट्राम 24 फरवरी, 1873 को कोलकाता में ही चली थी. दिलचस्प बात यह है कि इसे घोड़े ने खींचा जाता था.पहली बिजली चलित ट्राम भी कोलकाता में ही ता : 27 मार्च, 1902 को चली थी.
साल 2016 में अचानक सड़क के लिए मुंबई के फ्लोरा फाउंटेन इलाके में खुदाई के दौरान सड़क के नीचे दबे ट्राम के ट्रैक दिखाई दिये, तब जाकर नई पीढ़ी को पता चला की मुंबई मे ट्राम नामकी कोई यातायात की चीज थी .
प्रस्तुत है ट्राम के बारेमें कुछ अधिक जानकारी.
*** ट्राम का संक्षिप्त इतिहास देखा जाय तो सन 1873 ब्रिटिश कालमे कोलकाता मे ट्राम शुरू की थी जो घोड़ो द्वारा खींची जाती थी. सन 1895 मे चेन्नई तथा कानपुर , केरला , मुंबई, भावनगर , बड़ोदा , नासिक मे भी ट्राम शुरू की गई थी जो कोलकाता को छोड़कर सन 1930 से 1970 तक सभी जगह पर बंद कर दी गई.
*** कोलकाता पश्चिम बंगाल में ट्राम कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी द्वारा संचालित हैं. यह भारत का एकमात्र ऑपरेटिंग ट्राम नेटवर्क है और एशिया में सबसे पुराना ऑपरेटिंग इलेक्ट्रिक ट्राम है, जो सन 1902 से चल रहा है.लेकिन अब केवल रोजाना 35 ट्राम चलती हैं.
*** भारत मे घोड़े से खींची जाने वाली ट्राम ता : 24 फरवरी 1873 को सियालदह और अर्मेनियाई घाट स्ट्रीट के बीच 3.9 किमी की दूरी पर दौड़ी थी.
*** ट्राम का शुरुआती किराया 15 पैसा तय किया गाया था मगर सेवा लोकप्रिय होनेसे किराया घटाकर सिर्फ 10 पैसे कर दीया था.
*** ट्रैफ़िक को आसान बनानेके लिये सन 1920 मे डबल देकर ट्राम की शुरुआत की थी. मुंबई से ट्राम सेवा ता : 31 मार्च 1964 से हमेशा के लिये बंद कर दी थी.
*** महाराष्ट्र के नासिक शहर में सन 1889 मे ट्राम सेवा चालू की गई थी. लेकिन ये सन 1933 में ही बंद कर दी गई थी. यह ट्राम 2 फीट 6 इंच वाली नैरोगेज लाइन पर चलती थी. यह नासिक रोड रेलवे स्टेशन से पुराने नगर निगम भवन के बीच 10 किलोमीटर के दायरे में चलती थी.
*** उत्तर प्रदेश के कानपुर में रेल्वे स्टेशन से गंगा घाट तक ट्राम सेवा सन 1907 मे आरंभ हुई थी जिसे 1933 में बंद कर दिया गया था.
*** चेन्नई मे ट्राम ता : 7 मई 1895 मे प्रारंभ हुई थी और 58 साल तक चलने के बाद सन 1953 में बंद कर दी थी. इसकी औसत गति 7 किलोमीटर प्रति घंटे हुआ करती थी.
——–===शिवसर्जन ===——-