भोजनमें स्वाद – सुगंध भरने वाली लौंग.

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हमारे भोजन में प्रयोग किए जाने वाले मसालों में लौंग का नाम भी प्रमुख है. यह भोजन में अलग तरह का स्वाद और सुगंध भरती है. शरीर के लिए भी लौंग को लाभकारी माना जाता है. यह लिवर को सुरक्षित तो रखती ही है, साथ ही पाचन सिस्टम को भी दुरुस्त बनाए रखती है. दांत तथा मसूड़े जैसे दर्द से निजात पाने के लिए तो लौंग को बेहद कारगर समझा जाता है.

यह औषधि भी है और विभिन्न रूपों में हजारों वर्षों से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे भारत में लौंग का विशेष महत्व है, लेकिन कहा जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब भारत में कारोबार शुरू किया तो उन्होंने दक्षिण भारतमें लौंग को उगाया था और उसका उत्पादन किया था.

लौंग का वृक्ष 10-12 मीटर तक की ऊँचाई तक बढता है और लगभग सात साल में इसमें फूल आने लगते है. इसमें 80 या उससे अधिक वर्षों तक कलियाँ आती रहती हैं. इसकी फूल कलियों को ही सुखाकर बाजार में लौंग के नाम से बेचते हैं

यह पूर्वी देशों का एक मूल्यवान मसाला है. कलियों पर जब एक स्पष्ट गुलाबी चमक दिखाई पडती है, तब हाथों से लौंग तोड लिए जाते हैं और कई दिनों तक धूप में सुखाए जाते हैं. अनखिली कलियों, पत्तों व ठंडलों से वाष्पशील तेल पाए जाते है.

आयुर्वेदिक ग्रंथों में लौंग के उपयोग से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं. लौंग के सेवन से भूख बढ़ती है, उल्टी रुकती है, पेट की गैस, अत्यधित प्यास लगने की समस्या और कफ-पित्त दोष ठीक होते हैं. इसके साथ ही आप रक्त विकार, सांसों की बीमारी, हिचकी और टीबी रोग में भी लौंग का उपयोग कर लाभ पा सकते हैं. आइए लौंग के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं.

लौंग के सेवन से भोजन के प्रति रुचि पैदा होती है और मन प्रसन्न होता है. लौंग पेट के कीड़ों को खत्म करती है. यह चेतना-शक्ति को सही रखती है.

दर्द, घाव पर लेप करने से रोग सही होते हैं.

लौंग को देश या विदेश में अनेक नामों से जाना जाता है.. जैसे :

*** हिन्दी = लोंग, लौंग, लवंग,

*** इंग्लिश = क्लोवस (Cloves),

*** संस्कृत = लवङ्ग, देवकुसुम, श्रीसंज्ञ

श्रीप्रसून, श्रीप्रसूनक, वारिज,

*** उर्दू = लौंग, लवंग,

*** कन्नड़ = लवंग, रूंग (Rung)

*** गुजराती = लवींग (Laving)

*** तेलुगु = करवप्पु , लवंगमु,

*** तमिल = किरांबु , किराम्पु,

*** बंगाली = लवंग (Lavang),

*** नेपाली = लवांग (Lwang),

*** मराठी = लवंग (Lavang),

*** मलयालम = लौंग, ग्रामपु, करयाम्पु

*** अरबिक = करनफल, करनफूल,

*** परसीयन = मेखत, मेखक,

आयुर्वेदिक ग्रंथों में लौंग के इस्तेमाल से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं. आइए जानते हैं लौंग के फायदे के बारे में :

*** सेक्सुअल स्टेमना बढ़ाती है लौंग :

लौंग व जायफल को घिसकर नाभि पर लेप करने से पुरुष की स्तम्भन शक्ति (संभोग करने की क्षमता) बढ़ जाती है.

*** सिर दर्द में लौंग का प्रयोग :

सिर दर्द की परेशानी में लौंग लाभदायक हो सकती हैं. अगर कोई रोगी आधासीसी से पीड़ित है या फिर अन्य प्रकार के सिर दर्द की समस्या से परेशान है तो लौंग का प्रयोग लाभ दिलाता है. इसके लिए 6 ग्राम लौंग को पानी में पीसकर सुखा लें. इसे थोड़ा गर्म कर लें. इसका कान के आस-पास गाढ़ा लेप करने से सिर दर्द की समस्या या आधासीसी की उसमे लाभ होता है.

*** दांतों के रोग में लौंग का प्रयोग :

दांतों की बीमारियों में भी लौंग से लाभ होता हैं. लौंग के तेल को रूई के फाहे में लगाकर दांतों में लगाएं. इससे दांतों के दर्द से आराम मिलता है. इससे दांत में लगे कीड़े भी खत्म हो जाते हैं.

*** बलगम की समस्या में लौंग का सेवन :

लौंग के 2 ग्राम कूटे हुए चूर्ण को 125 मिली पानी में उबालें. जब यह एक चौथाई रह जाए तो छानकर थोड़ा गर्म कर पी लें. यह कफ को बाहर निकालने में मदद करता है.

*** मुँह की दुर्गन्ध में लौंग :

लौंग को मुंह में रखने से मुंह और सांसों की बदबू मिटती है.

*** दमा रोग में लौंग का सेवन :

दमा रोग में भी लौंग के फायदे मिलते हैं। लौंग, आंकडे के फूल और काला नमक को बराबर मात्रा में लें. इन्हें पीसकर चने के आकार की गोली बना लें. इसे मुंह में रखकर चूसने से दमा व श्वासनलिका के विकार ठीक होते हैं.

*** कुक्कुर खांसी में लौंग :

कुक्कुर खांसी में लौंग के सेवन का इलाज फायदेमंद होता हैं. 3-4 नग लौंग को आग पर भूनकर पीस लें. इसे शहद मिलाकर चाटने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है.

*** हैजा लौंग का इस्तेमाल :

हैजा होने पर बहुत अधिक प्यास लगने की समस्या भी हो जाती है. ऐसे में लौंग के फायदे इस परेशानी में भी मिलते हैं. एक या ड़ेढ़ ग्राम लौंग को करीब डेढ़ ली जल में डालकर उबालें. 2-3 उबाल आने पर नीचे उतार कर ढक दें. इसमें से 20-25 मिली जल को बार-बार पिलाने से हैजा के कारण लगने वाली अत्यधिक प्यास की समस्या ठीक होती है.

लौंग के कुछ विशेष गुण इस प्रकार हैं :

*** लौंग के सेवन से भूख बढ़ती है. आमाशय की रस क्रिया सही रहती है.

भोजन के प्रति रुचि पैदा होती है और मन प्रसन्न होता है. लौंग पेट के कीड़ों को खत्म करती है.

*** यह चेतना-शक्ति को सही रखती है.

यह शरीर की दुर्गन्ध को खत्म करती है.

दर्द, घाव पर लेप करने से रोग सही होते हैं.

*** लौंग मूत्र मार्ग को सही रखती है और पेशाब के रास्ते हानिकारक चीजों को बाहर निकालने में मदद करती है.

( समाप्त )

𝗗𝗜𝗦𝗖𝗟𝗔𝗜𝗠𝗘𝗥 :

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