महात्माये : संघर्ष से सिद्धि तक.

कठिन, विकट परिस्थिति हमें जीनेकी कला सिखाती है. यदि जिंदगी मे हमें सिर्फ सुख ही सुख मिले तो हम दुःख का अहसास कैसे कर पाएंगे ?. कुदरत खुद परिवर्तनशील है, गतिमान है. सुनहरी सुबह के बाद दोपहर, फिर दोपहर के बाद सुहानी शाम. दिन के बाद रात. गतिशील पृथ्वी के कारण मौसम मे बदलाव आता है. यहीं गति रुक जाये तो ? उत्तर आप प्रबुद्ध लोग जानते है.

जीवन मे आने वाली हर कठिन परिस्थिति हमें संघर्ष करना सिखाती है. संघर्ष हमें सफलता प्रदान करती है. संघर्ष सेवा समिति भाईंदर ने संघर्ष किया, आंदोलन किया तब जाके यहां की रेल यातायात की कई समस्या से छुटकारा मिला.

श्री राम जी राजा थे. बाकी और पूर्वजो की तरह सीधा सादा राज करते तो कितने लोग याद करते ?

उन्होंने पिता दसरथ की आज्ञा मानी. वनवास का कठिन मार्ग अपनाया. तब उन्हें श्री हनुमान जी मिले. दृष्ट रावण

का वध किया. जंगल मे अनेक ऋषि मुनियोका आशीर्वाद और उपदेश मिला.

शबरी की प्रभु भक्ति का परिचय मिला. राजा से मर्यादा पुरुषोत्तम बने.

भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचार का सामना करने माता देवकी और पिता वासुदेव से बिछड़ना पडा. पालक माता यशोदा और पालक पिता नंद का सहारा लिया. कंस और काली नाग का वध किया. गीता का ज्ञान विश्व व्यापी करके सोने की द्वारका नगरी बसाई. और प्रभु के रुपमे विश्व मे अमर हो गए.

येशु क्रिस्ट ने कठिन मार्ग अपनाया और तत्कालीन सामाजिक रूढ़िवादी रीति रिवाज़ के खिलाफ लड़े. सुड़ी पर चढ़े मगर आज परमेश्वर के रूपमें पूजे जाते है.

भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ) राजकुमार थे. राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए भोगविलास का भरपूर प्रबंध कर दिया. तीन ऋतुओं के लायक तीन सुंदर महल बनवा दिए. वहाँ पर नाच-गान और मनोरंजन की सारी सामग्री जुटा दी गई. दास-दासी उसकी सेवा में रख दिए गए. पर ये सब चीजें सिद्धार्थ को संसार में बाँधकर नहीं रख सकीं.

सिद्धार्थ बगीचे की सैर पर निकले. सड़क पर एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया. दूसरी बार कुमार जब बगीचे की सैर को निकला तो रोगी दिखाई दिया. जो मुश्किल से चल पा रहा था. तीसरी बार सिद्धार्थ को एक अर्थी मिली. चार आदमी उसे उठाकर लिए जा रहे थे.

बुढ़ापा, बीमारी और मौत के दृश्यों ने बहुत विचलित कर दीया.

चौथी बार कुमार बगीचे की सैर को निकला, तो एक संन्यासी दिखाई पड़ा. संसार की सारी भावनाओं और कामनाओं से मुक्त प्रसन्नचित्त संन्यासी ने सिद्धार्थ को आकर्षित किया. 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए.

वर्षोंकी कठोर कठिन साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए.

मोहम्मद पैगम्बर तत्कालीन बन बैठे धर्म गुरुओके अत्याचार के खिलाफ लड़े. पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर हैं. कुरान के मुताबिक मक्का की एक पहाड़ी अबुलुन नूर पर एक रात जब वह पर्वत की एक गुफा में ध्यान कर रहे थे तो फरिश्ते जिब्राइल वहां आए और उन्हें कुरान की शिक्षा दी. दुनिया से अलग कठिन मार्ग अपनाया. आज कई लोग इस्लाम कबूल कर चुके है.

मदर टेरेसा रोमन कैथोलिक नन थीं. जिन्होंने सन 1948 में अपनी इच्छा से भारतीय नागरिकता ली और सन 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी. 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने सेवा की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया. कठिन मार्ग चुनकर इतिहास मे अमर हो गई.

मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया.

मिरा भाईंदर क्षेत्र के हमारे परम मित्र श्री पुरुषोत्तम ” लाल ” चतुर्वेदी जी ऊर्फ गुरूजी ने मिरा भाईंदर शहर की पानी समस्याओके लिए प्रण लेकर 14 साल तक अपने दाढ़ी बाल बढ़ाकर ” भाईंदर भूमि ” समाचार पत्र का 17 साल तक प्रकाशन करके तपस्चर्या की. कई जूठे मुक्कदमो का सामना करना पडा.

परिवार को अपमानित होना पडा, भाईंदर के विकास का मिशन चलाते, एक एक रुपये के लिए मोहताज होना पडा. आखिरकार भाईंदर पत्रकारिता जगत के ” भीष्मपितामह ” के रूपमें पहचाने जाने लगे, कई लोग आपको विकास पुरुष के रूपमें मानते है.

शांति सेवा फाउंडेशन संस्था की संस्थापक अध्यक्षा श्रीमती नीलम तेली जैन ने श्रेष्ठम स्ट्रीट स्कूल के मध्यम से निर्माणाधीन बिल्डिंग के गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा उठाया. आज उनके पास 100 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है. नीलम जी की उपलब्धि के लिए उन्हें ” सर्व श्रेष्ठ महिला ” का पुरुस्कार मिला हुआ है.

गीतकार प्रदीप जी भले कहता हो कि…….

दे दी हमे आजादी बिना ,खड्ग बिना ढाल,

साबरमती के संत तूने . कर दिया कमाल.

मगर आजादी के संघर्ष मे हमारे हजारों भारतीयों ने अपनी जान कुर्बान की है. तब जाके देश आजाद हुआ है

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