महारानी विक्टोरिया, यूनाइटेड किंगडम ( ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड ) की महारानी थीं. जिनका शासन समय ता : 20 जून1837 से ता : 22 जनवरी 1901 तक का रहा. जो भारत की भी महारानी थी.
महारानी विक्टोरिया का जन्म ता : 24 मई 1819 के दिन लंडन में हुआ था. आठ महीने की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया. विक्टोरिया के मामा ने उनकी शिक्षा दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से निभाया.
महारानी विक्टोरिया की शादी राजकुमार अल्बर्ट कर्सोट के साथ सन 1840 मे हुई थी.उनके पुत्र का नाम ड्यूक ऑफ़ कनॉट था. विवाह के बाद विक्टोरिया 43 वर्ष की उम्र में ही विधवा हो गईं थी. फिर भी उन्होंने 39 वर्ष तक न्याय के साथ शासन किया था. सन 1877 में विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया था.
महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी नियुक्त होने की खुशी में दो स्थानों पर (1) विक्टोरिया मेमोरियल हरदोई तथा (2) विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता भवनों का निर्माण किया गया था. सुल्तानपुर में महारानी विक्टोरिया की याद में उनकी पहली जयन्ती पर “सुंदर लाल मेमोरियल हॉल ” का निर्माण करवाया गया था.
महज अठारह वर्ष की उम्र में ही विक्टोरिया राजगद्दी पर बैठी थीं. भारत का शासन प्रबन्ध सन 1858 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथ से लेकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया था. पत्नी, माँ और रानी तीनों रूपों में उन्होंने अपना कर्तव्य अत्यंत ईमानदारी से निभाया. घर के नौकरों तक से उनका व्यवहार बड़ा आदरणीय होता था.
रेल और तार जैसे उपयोगी आविष्कार उन्हीं के काल में हुए थे. आपको पढ़कर ताजुब होगा की महारानी विक्टोरिया की शादी के केक का एक टुकड़ा , एक नीलामी में 1,500 पौंड में बिका था. जो केक का टुकड़ा 19 वीं सदी का था. महारानी विक्टोरिया ने सन 1840 में राजकुमार अल्बर्ट से शादी की थी. यह केक तब का था. जर्सी के संग्रहक डेविड गेंसबरो रॉबर्ट्स ने केक का यह टुकड़ा बेचा था.
केक के साथ एक उपहार बॉक्स भी बेचा गया था. जिस पर ” द क्वींस ब्राइडल केक बकिंघम पैलेस, दस फरवरी, 1840 ” लिखा हुआ था. उस समय शाही मुहर के साथ महारानी विक्टोरिया के मूल हस्ताक्षर वाला एक कागज भी बेचा गया था.
ब्रिटेन में हुई एक नीलामी में महारानी विक्टोरिया के एक जोड़ी अंडरगारमेंट की रिकॉर्ड 12,000 पाउंड में नीलामी हुई थी. विक्टोरिया रेजिना के लिए वी. आर स्टांप लगे हुए इस अंडर गारमेंट को एक ब्रिटिश महिला ने खरीदा था.
विल्टशायर में चिपेनहैम ऑक्शन रूम्स की प्रधान नीलामीकर्ता रिचर्ड एडमंड्स के अनुसार विक्टोरिया के इस शाही अंडरगारमेंट की यह रिकॉर्ड तोड़ नीलामी थी.
विक्टोरिया और भारतीय मुंशी अब्दुल करीम की कहानी.
ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने अपनी निजी ज़िदगी के आख़िरी 13 सालों का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने भारतीय मुंशी अब्दुल करीम के साथ बिताया था.करीम को शुरू में आगरा से उनके ख़िदमतगार के तौर पर भेजा गया था, लेकिन धीरे धीरे वो उनके सबसे करीबी लोगों की श्रेणी में आ गए और हर तरह के विरोध के वावजूद उनका ये संबंध आमरण रहा.
जब महारानी 70 साल की थीं. तब अब्दुल करीम 24 साल के थे. दोनों के बीच निश्चित रूप से आकर्षण था. करीम के ज़रिए उन्हें भारत को जानने का मौका मिला था.
महारानी को भारत के बारे में जानने की जिज्ञासा थी. वो ” मलका ए हिंदुस्तान ” थी, लेकिन उन्हें कभी भारत आने का मौका नहीं मिला था. अब्दुल करीम उनके लिए दो देशों के बीच आकर्षण जैसा बन गया था. वो अब्दुल करीम को खुले आम ख़त लिखती थी.
करीम आगरा से विक्टोरिया की सेवा करने के लिए भेजे गए थे. लेकिन साल भर के अंदर वो ‘किचेन ब्वॉए’ की श्रेणी से निकल कर महारानी के मुंशी बन गए थे.
करीम आगरा जेल में क्लर्क था. उनकी सालाना कुल तनख़्वाह 60 रुपए थी. उनके पिता भी उसी जेल में हकीम थे. जब महारानी का जुबिली समारोह होने को आया तो आगरा जेल के अधीक्षक ने सोचा कि क्यों न इस मौके पर महारानी को एक तोहफ़ा भेजा जाए. इस मौके पर उन्होंने उन्हें दो भारतीय नौकर भेजे. उनके लिए ख़ास किस्म की सिल्क की वर्दियाँ सिलवाई गईं और पगडियाँ पहनाई गईं ताकि वो देखने में कुछ अलग से लगें. लेकिन धीरे धीरे महारानी अब्दुल करीम के करीब आने लगीं.
महारानी विक्टोरिया करीम से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने करीम को उर्दू सिखाने के लिए कहा. करीम रानी की नोट बुक में उर्दू की एक लाइन लिखते. उसके बाद वो उसका अंग्रेज़ी अनुवाद करते और फिर उर्दू के वाक्य को रोमन में लिखते. महारानी विक्टोरिया उसे हूबहू अपनी नोट बुक में उतारतीं.
करीम ने महारानी को करीब 13 सालों तक उर्दू भाषा सिखाई. बादमे रानी उर्दू पढ़ना और लिखना दोनों जानती थीं. रानी ने जीवन के अंतिम पड़ाव में एक नई ज़ुबान सीखने का बीड़ा उठाया और उसमें कामयाब भी हुईं.
लेकिन इस दोस्ती का एक और परिणाम हुआ कि इंग्लैंड में पहले से ही लोकप्रिय भारतीय व्यंजन चिकन करी और लोकप्रिय हो गया. करीम रानी के लिए चिकन करी दाल और पुलाव बनातें थे.
विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी थीं, लेकिन उन्हें कभी भारत जाने का मौक़ा नहीं मिला था, इसीलिए की वो समुद्र की यात्रा नहीं कर सकती थीं.
रानी विक्टोरिया से अब्दुल करीम की नज़दीकी इस हद तक बढ़ी कि वो उनके साथ छाये की तरह वह रहने लगी . एक बार जब वो बीमार पड़े तो रानी प्रोटोकॉल तोड़ कर उन्हें देखने उनके घर तक चली गईं थी.
महारानी विक्टोरिया करीम से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने, उन्हें आगरा में 300 एकड़ की जागीर दिलवाई और अपने तीनों राज महलों में उन्हें अलग अलग घर दिलवाए. उन्हें अपने सीने पर पदक लगा कर चलने और तलवार रखने की भी छूट दी गई. महारानी ने आगरा में हकीम का काम करने वाले करीम के पिता को पेंशन दिलवाने का आदेश भी पारित करवाया.
सवाल उठता है कि क्या रानी और अब्दुल करीम के बीच प्रेमी प्रेमिका का रिश्ता था ? प्रश्न यक्ष है मगर ऐसा कही भी जिक्र नहीं किया गया है. लेकिन दरबार में पीठ पीछे इस तरह की बहुत सी बातें कही जाती थीं.
महारानी विक्टोरिया की मृत्यु ता : 22 जनवरी1901 के दिन इंग्लैंड मे हुई थी.
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