श्रृंगार से नारी के रूपमें सुंदरता की वृद्धी होती है. श्रृंगार का मतलब सौंदर्य की वृद्धि के लिए सौंदर्य प्रसाधनों द्वारा की गई सजावट है. श्रृंगार कोई नई बात नही है. प्राचीन काल से ये प्रथा चली आ रही है. श्रृंगार का इतिहास सदियों पुराना है, आदिवासी समुदाय की महिलाएं आजीवन रहने कायम रहने वाला श्रृंगार करती आयी है. ये लोग मे नुकीले सुई से गोदना गुदवाने का रिवाज प्रचलित है.
असहय वेदना होते हुए भी आज भी कई देशोमें ये लोग अपनी परंपरा का पालन करते है. परंतु दूसरी तरफ आज की युवा आदिवासी पीढ़ी समय के साथ साथ चलकर गोदना रीति को भूलती जा रही है. इसकी जगह अब टेटू का जमाना आ गया हैं.
आप लोगोंने सोलह श्रृंगार के बारेमें अवश्य सुना होगा. ये एक ऐसा तरीका है, जिसके तहत महिलाएं सिर से लेकर पैर तक कई प्रकारकी सुहाग की निशानी को पहनती हैं. जिसके तहत वो माथे पर बिंदी , मांग में सिंदूर , हाथों में चूड़ी-कंगन और पैरों में पायल जैसी चीजें पहनती हैं. जिनको शादी के बाद हर महिला नियमित रूप से धारण करना पसंद करती है.
शास्त्रों के अनुसार महिलाओं को घर में साज-सज्जा के साथ रहना जरुरी है. जिससे घर में मान-प्रतिष्ठा बनी रहे. हिंदू रीति रिवाज़ के अनुसार नई दुल्हन के लिए सोलह श्रृंगार बेहद शुभ माना जाता है. ये दुल्हन की खूबसूरती और भाग्य को बढ़ाता है.
वैसे मान्यता के अनुसार कुल 16 श्रृंगार का वर्णन किया गया है जिसमे :
(1) बिंदी : बिंदी सुहागिन महिलाओं की एक पहचान है. मगर अब तो कुंवारी कन्या भी इसे खूबसूरती के लिए फैसन के रूपमें लगाती हैं.
(2) सिंदूर : सिंदूर शादीशुदा महिलाओं के सौभाग्य का प्रतीक होता है. शादी के बाद से यह उनके श्रृंगार का मुख्य हिस्सा बन जाता है.
(3) पायल : पायल पेरोका आभुषण है. ये महिलाओंका पसंदीदा गहना है. पायल सोनेका नही बनाते. ये चांदी का होता है और इसे शुभ माना जाता है.
(4) इत्र : खुशबू इश्क का प्रतीक माना जाता है. और यह एक दूसरे की ओर आकर्षित करने का काम करता है. महिलाएं इसे हर ख़ुशी के मौके पर यूज़ करती है.
(5) अंगूठी : शादी के रस्मो की शुरुआत अंगूठी से होती है. सगाई के वक्त लड़का लड़की एक दूसरे को अंगूठी पहनाते है. यह महिलाओके सोलह श्रृंगार का भाग है.
(6) बिछिया : यह आभूषण पैरों की उंगलियों में पहनी जाती है. सुहागिन महिलाये इसे पहनती है. बिछिया चांदी की ही सबसे शुभ मानी जाती है. अंगूठी की तरह यह विविध प्रकार के मॉडल मे मिलती है.
(7) शादी का जोड़ा : लाल रंग को प्रेम का प्रतिक माना जाता है, अतः दुल्हन के लिए लाल रंग का शादी का जोड़ा शुभ व भाग्यशाली माना जाता है.
(8) चूड़ियां : हरि चूड़ियां हर सुहागिन का सबसे पसंदीदा श्रृंगार हैं. सावन में हरे रंग को बहुत महत्व दिया जाता है महिलाओं को खास करके कांच, लाक, सोने चांदी की चूड़ियां सबसे अधिक पसंद आती है. चूड़ियां का कई हिंदी गानो मे प्रयोग किया गया है.
(9) मंगलसूत्र : मंगलसूत्र को मंगल पवित्र बंधन कहा जाता है. मंगलसूत्र शादी के समय वर द्वारा वधू के गले में पहनाया जाता है, और उसके बाद जब तक महिला सौभाग्यवती रहती है, तब तक वह इसे गले मे पहनती है.
(10) गजरा : गजरा जो माथे पर सजाया जाता है. यह महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाता है. गजरा चमेली और मोगरा के अलावा और भी कई तरह के सुंगंधित फूलों से बनाया जाता है.
(11) कान की बाली (झुमके) : महिलाएं इसे कान मे पहनती है. झुमके, कुंडल भी सुहागिनों की शोभा बढ़ाते हैं. अलग-अलग डिज़ाइन और आकार में उपलब्ध ईयररिंग्स सोने, चांदी से लेकर और भी कई तरह के धातुओं से बने होते हैं.
(12) मेहंदी : मेहंदी हर महिलाओंका पसंदीदा श्रृंगार है. सोलह शृंगार में मेहंदी को खास महत्वपूर्ण मानी गई है. ये अलग अलग डिजाइन मे लगाई जाती है.
(13) मांगटीका शादी के वक्त से लेकर बाद भी मांगटीका को महिलाएं खूबसूरत नजर आने के लिए पहनती हैं. यह सोने, चांदी, कुंदन, जरकन, हीरे, मोती आदि से बनाया जाता है.
(14) काजल : काजल आंखों व रूप को निखारने का काम करता है. काजल पर कई भाषा ओमे गाने लिखें गये है.
(15) बाजूबंद : ये हाथ के ऊपरी हिस्से में पहना जाता है. बाजूबंद सोने, चांदी, कुंदन या अन्य मूल्यवान धातु या पत्थर से बना होता है.
(16) कमरबंद : कमरबंद धातु व अलग-अलग तरह के मूल्यवान पत्थरों से मिलकर बना होता है. कमरबंद नाभि के ऊपरी हिस्से में बांधा जाता है.
धार्मिक उत्सव के दौरान माता रानी के 16 श्रृंगार के सामान मे लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया,इत्र, सिंदूर,महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, चोटी, मंगल सूत्र या गले के लिए माला, पायल, नेलपॉलिश, लाली, कान की बाली और चोटी में लगाने के लिए रिबन का उपयोग किया जाता है.
पौराणिक हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में जो भी माता रानी को श्रृंगार चढ़ाता है, उनके घर में सुख-समृद्धि आती है यह भी माना जाता है कि जो भी सुहागिन स्त्रियां देवी मां को श्रृंगार का सामान अर्पित कर रही हैं, वह खुद भी अगर सोलह श्रृंगार करके माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित करती हैं तो, देवी मां भगवती उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान भी देती है.