” मानवता का मशीहा टाटा परिवार.”

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सृस्टि का नियम है, हर किसीका दिन एक जैसा नहीं होता है. दिन के बाद रात और रात के बाद दिन अविरत क्रम चलते रहता है. टाटा कंपनी के बारे में हम सबको पता है कि इसका सितारा बुलंदी पर है. मगर एक ऐसा समय भी था, जब यह कंपनी डूबने के कगार पर थी. कंपनी आर्थिक रूप से कंगाल हो गई थी. कंपनी बुरे दौर से गुजर रही थी.

उस वक्त लेडी मेहरबाई टाटा ने सही समय पर सही निर्णय लेकर टाटा स्टील को डूबने से बचा लिया था. टाटा स्टील पर आयी मुश्किल को देखते हुए मेहरबाई टाटा ने बड़ा फैसला लिया. उन्होंने पति से कहा कि वो अपनी निजी संपत्ति, गहने, और जुबली डायमंड देने को तैयार है. उन्हें बेचकर या गिरवी रखकर कंपनी को बचा लिया जाए. अपनी पत्नी की ऐसी बातें सुनकर सर दोराबजी टाटा दंग रह गए.

उन्होंने अपनी और अपनी पत्नी की सारी निजी संपत्ति गिरवी रखकर पैसा जुटाना शुरू किया. अपनी दौलत को बेचकर दोनों ने करीब 1 करोड़ रुपये इकट्ठा किया. उन्होंने कर्मचारियों की छंटनी करने के बजाए अपनी संपत्ति और निवेश को बेचने का फैसला किया कंपनी को बचा लिया. उनकी मेहनत और उनका त्याग काम आया. साल 1930 के दशक के टाटा स्टील फिर से फलने-फूलने लगी.

लेडी मेहरबाई टाटा जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की धर्म पत्नी थीं. लेडी मेहरबाई टाटा उस दौर में बहुत आगे की सोच रखने वाली महिला थीं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी कंपनी को डूबने से बचाया बल्कि बाल विवाह उन्मूलन से लेकर महिला ओके मताधिकार तक और लड़कियों की शिक्षा से लेकर पर्दा प्रथा तक को हटाने की पुरजोर कोशिश की थी.

पारसी लेडी मेहरबाई टाटा का जन्म सन 1879 में हुआ था. वह खुले विचार की थी और आगे चलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई के लिए उन्होंने अपनी आवाज बुलंद भी की थी. खेल के प्रति रुचि रखने वाली मेहरबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी. शुरू से उन्हें टेनिस, घुडसवारी और पियानो बजाने का शौक था.

उसके पास कोहिनूर से बड़ा हीरा था. दोराबजी टाटा लेडी मेहरबाई के लिए लंदन के व्यापारियों से 245.35 कैरेट जुबली हीरा खरीदकर लाए थे, जो कि कोहिनूर हीरासे भी दोगुना बड़ा था. सन 1900 के दशक में इसकी कीमत लगभग 1,00,000 पाउंड थी. विशेष प्लेटिनम चेन में लगा यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे. लेडी मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में ही पहना करती थीं.

सन 1920 के दशक की बात है. टाटा स्टील एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था और डूबने की कगार पर थी. दोराबजी टाटा को कुछ सूझ नहीं रहा था. तभी मेहरबाई ने जुबिली हीरा गिरवी रख कंपनी को डूबने से बचाया था. तभी टाटा कंपनी आज हमारे बिच है. ऐसा कहा जाता है कि बाद में, इस हीरे को बेच दिया गया और उससे मिले पैसे से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट निर्माण किया गया.

लेडी मेहरबाई ने टेनिस टूर्नामेंट में 60 से भी अधिक पुरस्कार जीते थे. इसके अलावा ओलंपिक टेनिस खेलने वाली भी वो पहली भारतीय महिला थीं. उनके बारे में दिलचस्प बात ये है कि वो सारे टेनिस मैच पारसी साड़ी पहनकर खेलती थीं.

सन 1929 में भारत में बाल विवाह अधिनियम पारित किया है, जिसे शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता है. इस अधिनियम को बनाने में मेहरबाई ने भी अपना सहयोग दिया था. उन्होंने भारत और विदेशों में छुआछूत और पर्दा व्यवस्था के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी थी. वह भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थीं और नेशनल काउंसिल ऑफ वीमेंस की संस्थापक भी रही थीं.

लेडी मेहरबाई टाटा ग्रुप के साथ हमेशा खड़ी रहीं और वह देश और दुनिया की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई.

टाटा मोटर्स भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. इसका पुराना नाम टाटा इंजिनीयरिंग ऐंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड – (टेल्को) था. यह टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों में से एक है. इसकी उत्पादन इकाइयाँ भारत में जमशेदपुर, महाराष्ट्र के पुणे और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) सहित अन्य कई देशों में हैं.

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है टाटा घराने द्वा्रा इस कारखाने की शुरुआत अभियांत्रिकी और रेल इंजन के लिये हुआ था. किन्तु अब यह कंपनी भारी एवं हल्के वाहनों का निर्माण करती है. इसने ब्रिटेन के प्रसिद्ध ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया है.

वर्तमान में टाटा समुह के अध्यक्ष रतन टाटा है. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 के दिन मुम्बई मे हुआ था. टाटा कंपनी की स्थापना जमशेदजी टाटा ने की थी.

प्रश्न ये है कि टाटा सबसे अमीर क्यों नहीं है ? इसका कारण टाटा संस के तहत टाटा कंपनियों द्वारा अर्जित लाभ का 66 प्रतिशत टाटा ट्रस्ट के माध्यम से परोपकारी गतिविधियों के लिए हर साल दान किया जाता है.

टाटा समूह आईटी से लेकर नमक तक कई तरह के उद्योगों में शामिल है. इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार तारिख : 31 मार्च, 2022 तक, 311 बिलियन डॉलर (23.6 ट्रिलियन रुपये) के कुल बाजार मूल्य वाली 29 सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली टाटा कंपनियां थीं.

सन 1868 में जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित, टाटा समूह एक वैश्विक उद्यम है, जिसका मुख्यालय भारत में है, जिसमें दस वर्टिकल में 30 कंपनियां शामिल हैं.

बहुत कम लोगो को पता होगा कि अरबपति होने के बावजूद रतन टाटा ने शादी नहीं की हैं क्योंकि रतन टाटा भी एक लड़की के प्यार में पागल हुए थे जो कि अमेरिका की रहने वाली थी दोनों एक दूसरे को काफी पसंद करते थे और दोनों शादी करने वाले थे लेकिन रतन टाटाको अपनी दादी की देखभाल करने मुम्बई आना पड़ा जिसके बाद वह उन्हें वापस लेने गए लेकिन लड़की के माता पिता ने साल 1962 की लड़ाई की वजह से उन्हें आने नहीं दिया जिसकी वजह से दोनों की राहें अलग हो गई और जिस कारण रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की.

सर दोराबजी टाटा जी टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे. अपने पिता की तरह ही सर दोराबजी का मानना था कि अपनी संपत्ति का रचनात्मक प्रयोजनों के लिए उपयोग करना चाहिए. अतः अपनी पत्नी मेहरबाई की मौत के एक साल से भी कम समय में, उन्होने ट्रस्ट को सारी दौलत दान कर दी थी.

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