मित्र के लिए माखनचोर बने श्रीकृष्‍ण.

भगवान श्रीकृष्ण को माखनचोर के नामसे भी पहचाना जाता हैं. जब बात आती हैं उनके मित्र की तो हमें अक्सर सुदामा की याद आती हैं. मगर श्रीकृष्ण के बचपन के बाल सखाओं में सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, श्रीदामा, सुदामा, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्‍द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद और बुद्धिप्रकाश आदि थे.

इनमें उद्धव और अर्जुन से काफी बाद में मित्रता हुई. पुष्टिमार्ग के अनुसार कृष्ण की बाल और किशोर लीला के आठ आत्मीय , संगी , तोक, अर्जुन, ऋषभ, सुबल, श्रीदामा, विशाल और भोज रहे, लेकिन अलावा मधुमंगल ऐसे बाल सखा थे, जो गोकुल में रहते थे. वह बेहद गरीब ब्राह्मण पौर्णमासी देवी के पौत्र और श्रीसांदीपनिजी के पुत्र थे. इनकी खासियत थी कि वह विनोदी थे, जिसके चलते मित्रों के बीच में उन्हें “मसखरे मनसुखा” भी बुलाया जाता था. बाल कृष्ण जब भी कोई शरारत करते थे तो मनसुखा की राय लेते थे.

गरीबी के चलते हुए मनसुखा को भरपेट भोजन भी नहीं मिलता था. वह दुबला पतला और कमजोर था. एक दिन कृष्ण ने उसके पर हाथ रखकर कहा कि मनसुखा तुम मेरे मित्र हो या नहीं ? ऐसा दुर्बल मित्र मुझे पसंद नहीं. तुम मेरे जैसे तगड़े हो जाओ. सुनकर मनसुखा रो पड़े, बोले, कान्हा, तुम एक राजा के बेटे हो. तुम्हें रोज दूध और माखन खाने को मिलता है. मैं गरीब हूं, कभी माखन नहीं खाया.

यह सुनकर श्री कृष्ण ने कहा कि अब मैं तुम्हें रोज माखन खिलाऊंगा. इसपर मनसुखा ने कहा, अगर तुम रोज माखन खिलाओगे तो तुम्हारी मां क्रोधित हो जाएगी. तो कन्हैया कहते हैं कि अरे! नहीं, मैं अपने घर का नहीं, मगर बाहर से लाकर तुम्हें खिलाऊंगा. इस तरह श्रीकृष्‍ण अपने परममित्र के लिए माखन चोर बन गए.

एक दिन की बात हैं, एक बार मधुमंगल यानी मनसुखा ने श्रीकृष्ण का रूप धरा, जिससे सभी गोपियां उससे प्रेम कर सके और उसे लड्डू मिल सके. तभी वहां घोड़े के रूप में केशी दैत्य आ गया. उसने मनसुखा को ही श्री कृष्ण समझ लिया और उसे मारने लगा, तभी श्रीकृष्ण आ गए और उन्होंने दैत्य का वध कर मनसुखा की जान बचा ली. इस घटना के बाद मनसुखा ने कसम खा ली कि वह भी कृष्ण रूप नहीं धरेंगे.

श्री कृष्ण भगवान का प्रिय मित्र सुदामा था. जब सुदामा श्री कृष्ण को मिलने गया तो उनकी दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा का पैर अपने आंसुओं से धूल दिया. यह घटना भगवान कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है, इसीलिए कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल दी जाती है. ( समाप्त )

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *