आज से 80 साल पहले ब्रिटिश शासन के समय सन 1942 मे भाईंदर, गोड़देव, नवघर, खारीगाव, बंदर वाड़ी वगेरा गावों को मिलाकर ग्रुप ग्राम पंचायत की विधिवत स्थापना की गई थी. और श्री जे बी सी नरोना प्रथम सरपंच के पद पर चुने गए थे.
श्री जे बी सी नरोना के बाद श्री चदुलाल छबीलदास शाह भाईंदर के दूसरे सरपंच के रूपमे चुने गये. सन 1962 मे श्री चंदूलाल सेठ का निधन हुआ तो श्री कृष्णराव गोविंदराव म्हात्रे को सरपंच बनाया गया.
उत्तन के स्वतंत्रता सैनानी आगुस्टीन कोली ने 17 साल तक सरपंच के रूपमें कार्य किया था. मुर्धा गांवके हरिश्चंद्र केशव पाटील ऊर्फ “माधवराव” ने सन 1964 से राई, मोरवा, मूर्धा गांव के सरपंच पद पर 11 साल तक कार्यभार संभाला.
सन 1972 से 1975 तक श्री बंकटलाल हजारीमल गाड़ोदिया भाईंदर ग्रामपंचायत के सरपंच रहे. राई गांव के रहवासी श्री सदाशिव मुकुंद तेंदुलकर जी 5 साल तक डिप्टी सरपंच और 6 साल तक सरपंच पद पर कार्यरत रहे.
शाह परिवार के चंद्रकांत भाईदास शाह और श्री शशिकांत शाह जी सन 1984- 85मे भाईंदर के सरपंच पद पर रह चुके थे. उपरोक्त सभी समाज सेवक कोंग्रेसी थे.
पुराना भाईंदर गांव पुरी तरह कांग्रेस के रंगों मे रंगा था. यहाके सभी लोग कोंग्रेसी थे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिरा भाईन्दर क्षेत्र में मजबूत बनानेका बहुमान गिल्बर्ट जॉन मेंडोसा के नाम जाता हैं.
सन 1962 की साल में भाईन्दर ग्रुप ग्राम पंचायत से नवघर , बंदर वाड़ी, गोड़देव , खारीगाँव को अलग करके भाईन्दर पूर्व में अलग , ” नवघर ग्रुप ग्राम पंचायत की स्थापना की गयी.
नवघर गांव के गोपीनाथ पाटील, खारिगांव के परशुराम दामोदर पाटील, तथा नवघर के मोरेश्वर नारायण पाटील ने सरपंच पद पर कार्य किया.
ग्रामपंचायत के समय मे भाईंदर मे अनिधिकृत निर्माण तेजी से हुआ. भवन निर्माता ओने सेकड़ो अनधिकृत ईमारत खड़ी की. ये सिलसिला 12 जून1985 के दिन नगर परिषद की स्थापना होने के कई साल बाद तक ग्राम पंचयात की पुरानी तारीखों मे ना हरकत दाखिला NOC लेकर अनधिकृत बांधकाम किये गये जिसका खामियाजा नव निर्माण मिरा भाईंदर नगर पालिका परिषद् को तथा वर्तमान की महा नगर पालिका को भुगतना पडा.
ता : 12 जून 1985 मे मिरा भाईंदर नगर पालिका की स्थापना होनेसे पूर्व मिरारोड और भाईंदर दो अलग अलग गांव क्षेत्र थे. यहां पर ग्रामपंचायत की हकूमत थी. श्री मीठालाल जैन पुराने कोंग्रेसी नेता थे.
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