मिरा भाईंदर क्षेत्र की प्राकृतिक रचना ऐसी है कि ये उत्तर, पश्चिम और दक्षिण दिशा मे अरबी समुद्र की खाड़ी से तीन तरफ घिरा हुआ है. नमक उत्पादन के लिए लगने वाला समुद्र का खारा पानी यहां पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है. यहीं कारण यहां नमक उद्योग को प्रोत्साहन मिला और अनेकों नमक आगर अस्थित्व मे आये.
जिसमे भाईंदर पश्चिम नाना बंदर, मोटा बंदर, देवल आगर, बबू आगर, रत्ना आगर, इस प्रसाद आगर , शिव प्रसाद आगर, नाजरेथ मीरारोड स्थित आगर, भाठी आगर, सनखाई आगर, जी एम आगर , शिलोत्री, मोरवा आगर और मीरारोड पश्चिम मे स्टेशन के नजदीक का आगर का समावेश है. इसमे देवल आगर और मीरारोड स्टेशन स्थित आगर को बंद कर दिया गया है.
भूतकाल मे उपरोक्त नमक व्यवसाय को नियंत्रण करने के लिए हर आगर के नजदीक कस्टम विभाग की चौकी बनाई गई थी. नमक गोनी का वजन चेक करने के लिए बंगलादेश स्थित नेताजी सुभासचन्द्र बोस मैदान के नजदीक टोल नाका बनाया गया था. जो आज भी खंडहर हालत मे मौजूद है.
निचे प्रस्तुत की गई तस्वीर टोल नाका की है. जो आज जर्जरित अवस्था मे है. कस्टम की अन्य ऑफिस भाईंदर पश्चिम स्टेशन के सामने तथा उत्तन रोड स्थित राई गांव मे बनाई गई थी जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते है.
भाईंदर का उत्पादन किया नमक खाड़ी मार्ग के दूंगी ( नाव ) मे भरकर भाईंदर ( प ) धक्का ( jeti ) तक लाया जाता था. वहासे गुड्स ट्रैन मे डालकर उसके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जाता था. नमक को सुरक्षित रखने के लिए पतरे के दो बड़े शेड बनाये गये थे जो धोका दायक होनेकी वजह तोड़ दिये गये है और वहां दसक्रिया के लिए दो शेड बनाये गये है.
उल्लेखनीय है कि खारा पानी को सूर्य की गर्मी से सुकाया जाता है. इस प्रोसेस मे पानी वाष्पीकरण होकर सुख जाता है और जो सार रहता है उसी को नमक कहते है. नमक के अनेक नाम है जिसमे वजनी, कूपा, करकस आदि का समावेश है.
नमक के बीना घर की रसोई फीकी है. नमक के कई तरह के उपयोग है. नमक कपड़े में डाई सेट करता है और इसका उपयोग कांच, पॉलिएस्टर, प्लास्टिक और चमड़े के साथ-साथ रासायनिक उद्योग में भी किया जाता है. नमक गैस और तेल के कुओं की सफाई में सहायता करता है और कागज, टायर, पीतल, ब्लीच और केस-हार्ड स्टील के निर्माण में एक आवश्यक घटक है.
शहरीकरण की दौड़ ने नमक उद्योग पर बड़ा दुष्परिणाम हुआ है. कई नमक उद्योग बंद हो गये है तो कई बंद होनेके कगार पर है. गटर का मीठा पानी खाड़ी मे जाता है. गटर मिश्रित पानी से नमक उत्पादन मे क्षति पहुँचती है. और नमक बननेमें विलंब होता है.
खारा पानी से नमक बनाने के लिए खाड़ी का पानी, एकम दूज के दिन भरती के समय खजाना मे संग्रह किया जाता है. पानी संग्रह करने की जगह को नमक उत्पादको की भाषा मे खजाना कहा जाता है. उस समय पानी जीरो डिग्री होता है. वहासे राजगिरी मे लाया जाता है. जब पानी 25 डिग्री होता है तो उसे नमक क्यारी मे डाला जाता है, वहां सूर्य किरण से पानी सुख जाता है और नमक मे रूपांतर होता है.
ताता नमक जिसे “देश का नमक” भी कहा जाता है, भारत का पहला राष्ट्रीय ब्रांडेड आयोडीन युक्त नमक है और इसे लगातार देश के अग्रणी खाद्य ब्रांडों में से एक के रूप में पहचाना जाता है. यह शुद्धता का आश्वासन प्रदान करता है.
अन्य देशों की तुलनामे भारत में नमक सस्ता है क्योंकि इस पर कोई सरकार टैक्स नही लगती. क्योंकि गांधीजी ने नमक पर टैक्स के विरुद्ध सत्याग्रह किया था.
गुजरात अकेले देश में 71 प्रतिशत नमक का उत्पादन करता है, जिसके कारण वह देश में नमक का सबसे बड़ा उत्पादक है.
विश्व स्तर पर कुल उत्पादित नमक का 60 प्रतिशत रासायनिक उद्योग द्वारा कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल क्लोरिन, कास्टिक सोडा और सोडा ऐश में किया जाता है, जहां इसका उपयोग विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे ऑर्गेनिक सिंथेसिस, पोलीमर, पेट्रो केमिकल्स और पेट्रोलियम रिफाइनिंग आदि में किया जाता है.
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