मिरा भाईंदर शहर यतीत से वर्तमान.

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आज मिरा भाईंदर शहर सर्वांगीण विकास की तरफ तेजीसे आगे बढ़ रहा है. कुछ महीनों में मेट्रो का आगमन हो जायेगा. पूर्व में दहिसर – भाईंदर – वसई विरार कॉरिडोर मार्ग का काम प्रगति के पथ पर है. जल मार्ग परिवहन की जेटी बनकर भाईंदर खाडी स्थित बेसब्री से उद्घाटन का इंतजार कर रही है.

मिरा भाईंदर शहर अपने मेगा सिटी के लक्ष की ओर तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है. इसमे ” भाईंदर भूमि ” समाचार परिवार का भगीरथ संवर्धन कार्य संजीवनी बुट्टी के समान है. जो इतिहास के पन्नों में सुवर्ण अक्षरों में अंकित हो चूका है.

” गुरूजी” के नाम से सुप्रसिद्ध श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी जी ऊर्फ “लाल साहब” के नामसे पहचाने जाने वाले गुरूजी को ” संपादकिय का ” शहंशाह ” कहा जाता है.

सन 1980 का वो दौर जब यहां ग्रामपंचायत की हकूमत थी. कच्चे रोड, गटर का नामों निशान नहीं. स्ट्रीट लाइट का अभाव, भाईंदर पश्चिम टेम्भा स्थित एक मात्र जिला परिषद की खस्ता हाल सरकारी अस्पताल, पानी की एक एक बूंद के लिए महिलाओ की चीत्कार, अनियोजित बांधकाम, मुंबई महानगर पालिका की हद से सटे हुए, फीर भी सुविधा की शून्यता.

ये सब परिस्थिति देखकर पत्रकार श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी के मन पर गहरा असर हुआ. अच्छा खासा कमाई का सोना – चांदी का बिजिनेस छोड़कर भाईंदर के भावी विकास के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया.

माताजी को वचन दिया की जब तक भाईंदर में पर्याप्त पानी आना शुरु नहीं होगा तब तक अपने दाढ़ी बाल नहीं कटवाएंगे, और यह प्रण राम जी के वनवास की तरह 14 साल तक लंबा चला. लोगों में पानी वाली दाढ़ी के नाम से प्रसिद्ध हुए.

प्रारंभ के दिनों में यहांकी जटिल जनसमस्या को लेकर स्थानीय शासन प्रशासन को पत्रव्यवहार किया. बहरे अधिकारियो ने बात नहीं सुनी तो फिर अंतिम शस्त्र के रूपमें ता : 1 जनवरी 1986 के दिन “भाईंदर भूमि” नामक एक साप्ताहिक हिंदी समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया.

लोगोंको मंच मिला. एक शहर में रहते हुए भी एक दूसरे से अनजान यहां के लोग एक सूत्र में बंधे. पत्रकारों को नया जोश मिला, सच्चे और अच्छे लोग भाइंदर भूमि से जुड़ते गये और विकास का नया युग प्रारंभ हुआ.

आज रेल्वे उड़ान पूल, फाटक स्थित सब वे, शहीद भगतसिंह भूयारी मार्ग, केबिन रोड स्थित पूर्व पश्चिम फुट ओवर ब्रिज, भाईंदर स्टेशन स्थित ईस्ट वेस्ट जानेके लिए फुट ओवर ब्रिज, कई रोड का रुंदीकरण, खुली गटर का बंद गटर में रूपांतर, कई जगह सुशोभित किये गये बगीचे, पक्के रोड, गली गली में स्ट्रीट लाइट लग चुकी है.

जेसल पार्क चौपाटी का दलदल की जगह से सीमेंट कंक्रीट में परिवर्तन, भाईंदर पश्चिम स्थित विशाल नेताजी सुभाषचंद्र बोस मैदान का भव्य निर्माण, ग्रामपंचायत के समय के सभी पुराने तालाबों का फिरसे आधुनिकरण, और अध्यतन ” भारत रत्न लता मंगेशकर नाट्य गृह ” का लोकार्पण ये सभी और अन्य कई चीजे शहर का हुआ विकास को निर्देश करती है.

80 के दशक में मिरा भाईंदर शहर कांग्रेस के रंगों में रंगा था. उस समय सन 1985 में श्री वसंतदादा पाटिल जी महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री पद पर थे. और उस समय पत्रकार श्री राममनोहर त्रिपाठी महाराष्ट्र राज्य के नगर विकास मंत्री पद पर बिराजमान थे.

तत्कालीन भाईंदर ब्लाक युवक कांग्रेस के महा सचिव श्री एस. आर. मिश्रा जी, शिक्षक श्री सुभाष मिश्रा जी और भाईन्दर भूमि के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम “लाल” चतुर्वेदी ” गुरूजी” के साथ मंत्रालय मुंबई गये. भाईन्दर दवलपमेंट ओर्गनाइजेशन संस्था के लेटरहेड पर मंत्री जी को निमंत्रण पत्र दिया गया.

बाद मंत्री त्रिपाठी जी भाईन्दर पधारे. और भाईन्दर (पश्चिम ) चर्च के पुराने हॉल मे सभा हुई. इस सभामे उन्होने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री जी को यहा का, सब हाल बतायेंगे और नगर पालिका स्थापना करने की जरूर सिफारिश करेंगे.

उसके बाद मंत्री जी ने दो महीने के भीतर अपना वादा पुरा करके दिखाया. तत्पश्चात तारीख 12 जून 1985 के दिन विधिवत मीरा भाईंदर नगरपालिका की स्थापना हुई और पहले प्रशासक के रूपमें तहसीलदार रहे श्री बी डी म्हात्रे को नियुक्त किया गया.

पहले मुख्य अधिकारी के रूप में श्री संपतराव शिंदे जी को नियुक्त किया गया. बादमे प्रशासक श्री ओ बी भगत ने अपना कारोबार संभाला.

यहीं वह दिन था जब मीरा भाईंदर गांव ने ग्रामपंचायत हकूमत की जंजीरे तोड़कर नगर पालिका की ओर प्रयाण किया और सन 2002 तक महा नगर पालिका बन गईं. भाईंदर ब्लाक युवक कांग्रेस के महा सचिव श्री एस आर मिश्रा जी, शिक्षक श्री सुभाष मिश्रा,और भाईन्दर भूमि के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम “लाल” चतुर्वेदी जी के यह योगदान को लोग आज भूल गये है जो असली विकास के आधार स्तंभ है.

संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री गौतम जैन, पत्रकार श्री एस एस राजू सर जी, मार्गदर्शक श्री लाल साहब ऊर्फ गुरूजी के मार्गदर्शन में किया गया रेल रोको आंदोलन को भी भाईंदर वासी भुला नहीं सकते जब रेल सुरक्षा दल के जवानों ने ता : 5 फरवरी 1985 के दिन बर्बरता पूर्वक जनता पर गोली चलाई गई थी, जिसमे 7 निर्दोष लोगोकी जान चली गयी थी.

संघर्ष सेवा समिति के प्रयत्नों से भाईंदर पूर्व जहां बी पी रोड, केबिन रोड, और स्टेशन रोड का संगम होता हे वहां जान गवाने वाले निर्दोष लोगोकी यादगिरीमे, उन्हें श्रद्धांजलि देने, रोड के किनारे शहीद समारक बनाया गया हे जो आज भी मौजूद हे.

हर साल 5 फरवरी के दिन संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री गौतम जैन और उनके साथीओ द्वारा शहीदो की यादमें शहीद स्मारक स्थान को विविध पुष्पों से सुशोभित किया जाता हे. और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.

नवोदित समाज सेविकाओंमे श्रीमती नीलम तेली जैन मैडम का नाम सुर्खियों में है, जो जनहित और देशहित में मुफ्त साक्षरता अभियान चला रही है. सर्वत्र धन संग्रह की दौड़ में नीलम जी का नाम जुगनू की तरह अलग ही चमक रहा है. सैलूट टू यू मैडम.

कृतज्ञता अभिव्यक्ति :

भाईंदर भूमि के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी जी के समर्पित योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता , इसीलिए तो उन्हें लोग भाईंदर पत्रकार जगत के भीष्मपितामह कहते है. सैलूट गुरूजी.

भाईंदर के विकास की अमर ज्योत प्रज्जवलित करने वाला “भाईंदर भूमि”

अख़बार मरा नहीं, अख़बार कभी मरता नहीं. वो इतिहास के पन्नों में चिरंजीवी बनकर अमर हो जाता है.

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