मीरा रोड भाईंदर क्षेत्र की बात करें तो भाईंदर मे मुस्लिम समाज करीब सो साल से भी ज्यादा समय से यहां पर वास्तव्य कर रहे है. आज यह समाज के लोग मीरा भाईंदर मे दूध मे सक्कर की तरह मिल जुल कर भाईंदर के विकास मे अपना अमूल्य योगदान दे रहे है. जानकारों के अनुसार श्री इब्राहिम शेठ का परिवार सबसे पहले भाईंदर गांव मे आया था. उसके बाद पत्रकार श्री आसिफ शेख के पिताजी श्री गुलाब शेख और दुल्हन बी परिवार आकर यहां बसे थे.
बताया जाता है की ब्रिटिश हकूमत के समय स्व : श्री मोहमद इब्राहिम शेख इश्माइल के पूर्वज हिंदू थे. बादमे उन्होंने मुस्लिम धर्म को अंगीकार किया था. शेठ मोहमद इब्राहिम शेख इश्माइल के पिताश्री तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के घर किचन कुक के पद पर काम करते थे. उनको तीन सुपुत्र थे जिनमे इब्राहिम शेठ सबसे छोटा पुत्र था.
जब देश आजाद हुआ तो ब्रिटिश सरकारी अफसर ने भारत छोड़ते समय खुश होकर जाते जाते भाईंदर पश्चिम की जमीन इब्राहिम शेठ के नाम पर गिफ्ट मे देते हुए ” साल्ट विल ” बनाकर नाम पर कर दी अतः मालकियाना हक मिलते ही श्री इब्राहिम शेठ भी नमक के प्रतिष्ठित व्यापारी और बड़े जमींदार बन गये.
बादमे उन्होंने नाना बंदर और मोटा बंदर नामक मीठा आगर का निर्माण किया. जो नाना बंदर से मोटा बंदर के रुप मे मूर्धा खाड़ी की सीमा तक फैला हुआ है.
यातायात की जन समस्या को देखते सन 1947 मे भाईंदर से ठाणे के बिच प्राइवेट बस श्री इब्राहिम शेठ ने शुरु की. जो आबू शेठ के नामसे प्रसिद्ध थी. जिसका एक तरफ जाने का भाड़ा एक आना था. मतलब ( 16 आने का एक रूपया ) के हिसाब से लगभग आजका 6 नया पैसा होता है. मतलब आने जाने का ठाणे का कुल भाड़ा 12 पैसे था.
यह बस भाईंदर से थाना के बिच रोज एक फेरी करती थी. सुबह 8 बजे जाती थी और शाम 5 बजे थाना से वापस आती थी. पुराने ग्राम पंचायत समय मे भाईंदर गांव के प्रतिष्ठित मुस्लिम समाज के समाजसेवक रहे दानशूर शेठ श्री स्व: इब्राहीम का नाम नमक मिठागर के मालिक व प्रसिद्ध व्यापारी के रुप मे सम्मान के साथ लिया जाता है.
सन 1962 तक मीरारोड पूर्व पश्चिम मे मुस्लिम समाज नहीं था. मीरारोड स्टेशन के पूर्व मे करीब चार किलोमीटर की दुरी पर मीरागांव एवं काशिगाव विद्यमान था. पश्चिम मे नमक के मिठागर और मैंग्रोव्स के पेड़ थे. जो आज भी है. कहनेको तो स्टेशन का नाम “मीरा रोड “था मगर वहां दूर दूर तक रोड का कोई नामो निशान नहीं था.
भाईंदर पश्चिम राव तलाव स्थित पीर की मजार (दर्गा ) ब्रिटिश काल से है. वर्त्तमान इस दर्गा की देखभाल दुल्हन बी कुरैशी परिवार के लोग करते है. यहां पर हर साल कुरैशी परिवार के लोग द्वारा कव्वाली का प्रोग्राम करते है.
भाईंदर पश्चिम डोंगरी स्थित श्री धारावी मंदिर के आगे हजरत सैयद बालेपीर शाह बाबा की दर्गा है. ये मजार करीब 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है. यहां पर मुंबई के हाजी अली दर्गा और कल्याण के हाजी मलंग बाबा दरगाह की तरह हिंदू , मुस्लिम, शिख, ईसाई सभी धर्म के लोग माथा टेकने जाते है.
संस्था के ट्रस्टी श्री अमजद शेख, श्री असद भाई , श्री अशफाक मुल्ला, आदि परिवार के लोग उर्स के दिन हर साल बडे पैमाने पर कव्वाली का प्रोग्राम मनाते है.
भाईंदर पश्चिम पुलिस स्टेशन के बगल मे स्थित मस्जिद 150 साल पुरानी है. इस जामा मस्जिद बनाने के लिए स्व.हज्जन दुल्हनबी कुरेशी, स्व.शेठ अनवरखान पठाण, स्व. श्री हाजी गुलाब शेख, श्री हाफीजभाई खान, काॅनट्रॅक्टर श्री इसहाकभाई शेख आदी का योगदान सहरानीय रहा था.
सन 1960 के दशक मे भाईंदर पुलिस स्टेशन के सामने दुल्हन बी. का परिवार तथा पत्रकार डॉ. आसिफ शेख के पिताश्री हाजी गुलाब शेख का परिवार वास्तव्य करता था. उनके ठीक सामने जहां आज नया पुलिस स्टेशन और नगर पालिका कार्यालय है वहां खुला मैदान था. वहां रविवार के दिन संडे मार्किट भरता था जो आज तक रोड के किनारे भरता है. धीरे धीरे उसका विस्तार होकर तब कॉमडी गली और मीरा भाईंदर मुख्य कार्यालय के गेट तक बाजार भरने लगा था.
समाज सेविका दुल्हन बी ( पूर्व नगर सेवक याक़ूब कुरैशी की माँ ) और शेख परिवार द्वारा उस खुले मैदान मे हर साल कव्वाली का शानदार प्रोग्राम होता था. और तत्कालीन कव्वाली किंग इस्माइल आज़ाद, युसूफ आज़ाद , कव्वाली क्वीन और फ़िल्म अदाकारा शकीला बानू भोपाली, मुंबई के जाने माने कव्वाल जानी बाबू, कलंदर आज़ाद, रज़िया सुल्ताना, अजीज नाजा जैसे मुंबई के नामी प्रसिद्ध स्टेज कलाकार भी यहां भाईंदर आ चुके है. इस कार्यक्रम मे ख्वाजा कुरैशी का सहरानीय योगदान रहता था.
मुर्धागांव के श्री आमिरबाबा खोत 60 साल से मूर्धा गांव मे वहां कव्वाली व लंगर ( खाने की आम दावत ) का आयोजन करते है, तथा उत्तन गांव के बलबले, मुल्ला, चौधरी व शेख परिवार का भी विकासकार्य में विशेष योगदान रहा है.
शेठ श्री इब्राहिम खान पठान परिवार के स्व: अनवर खान पठान एवं वर्तमान मे शेठ श्री असगर खान पठान मिठागर के मालिक और उद्योग पति है. जो अपने घर परिवार के साथ भाईंदर (पश्चिम) स्टेशन रोड स्थित जैनब मंजिल मे रहते है.
इसके अलावा काशीमीरा गांव के स्व: श्री गुलाम रसूल पटेल ( पूर्व नगर सेवक स्व: आसिफ पटेल के पिता ), रिझवान, तथा पूर्व विधयक मुजफ्फर हुसैन के पिता श्री नजर हुसैन , समाज सेवी श्री अमजद खान, स्व: मौलाना मजहर आलम काझमी (सबसे पहला पुराना मदरसा अजिजिया) , तथा पुराने मुस्लिम बांधवो मे भाईंदर के जैनुद्दीन शेख , उत्तन मे श्री युसूफ भाई उत्तनवाला , अब्दुल शेठ , एवं भाईंदर के पुराने मुस्लिम फॅमिली में बाबुभाई व बशीरभाई कुरैशी, श्री इब्राहीमभाई खोत आदी पुराने लोग जिन्हे हर समाज के लोग आज भी आदर और सम्मान के साथ याद करते है.
——=== शिवसर्जन ===——