कालान्तर के बाद बाजार में चोरी किए हुए सामानों की बिक्री होने लगी , जिस कारण लोग इसे ” चोर बाजार ” के नाम से पहचानने लगे. इस बाजार में आपको हर एक पुरानी चीज मिल जाएगी. सत्तर के दशक में कहां जाता था कि यहां पर चोरी हुई कार के एक घंटे के बाद उसके पुर्जे अलग अलग जगह पर बिखेर दिए जाते थे. जैसे टायर वाले के पास टायर, सीट वाले के पास सीट, इस तरह हर भाग सेकंड हैंड रेट से बेचने के लिये रख दिया जाते थे.
चोर बाजार दक्षिण मुंबई के मोहम्मद अली रोड के पास एस.वी. पटेल और मौलाना शौकत अली सड़क के बीच के बाजार क्षेत्र में मटन स्ट्रीट पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिये इसका निकटतम स्थानीय रेलवे स्टेशन ग्रांट रोड है.
यह भीड़भाड़ वाली जगह होनेके कारण जेबकतरो का प्रमुख स्थान कहां जाता है. यहांपर हरदम भीड़ रहती है. यहां इस्तेमाल किया हुआ या तो फिर चोरी किया हुआ कोई भी माल मिलता है. चोर बाजार में पुराने और विंटेज आइटम के अलावा ऑटोमोबाइल पार्टस्, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, झूमर, पुराने कैसेट व विडियो टेप ,पुराने जमाने के रेडियो, पुराने ग्रामोफोन, पुराने विविध प्रकार के मोबाइल, स्पेर पार्ट और लकड़ी का कलात्मक सामान यहां पर मिल सकता है.
यह महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई के भिंडी बाजार के पास स्थित है. यह भारत का सबसे बड़ा कबाड़ी बाजार है और मुंबईकरों व यहां आने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है.
यदि आप पुराने ग्रामोफोन के चाहक हो तो आप इसे विविध मॉडलों में चोर बाजार से आसानी से सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं. यहां पर आप पुरानी फिल्मों के पोस्टर, पुराने प्रोजेक्टर आदि खरीद सकते हैं. आपको सस्ते में एंटीक औपनिवेशिक-युग लैंप, केरोसीन तूफान लैंप, क्रिस्टल झूमर, और कांच के लैंप आदि आसानीसे खरीद सकते हैं.
चोर बाजार में आपको नई से लेकर पुरानी घड़ी मिल सकती है. चोर बाजार में घडियो की कई दुकाने है. इसके आलावा पुराने बॉक्स केमेरा से लेकर 8 मिमी फिल्म कैमरों की शॉपिंग कर सकते हैं. चोर बाजार की चीज आपको सस्ती चाहिए तो आपको भावताल करने आना चाहिए. वर्ना सस्ता सामान लेने के चक्कर में यहां पर अपना सबकुछ गंवाना पड़ सकता है.
बताया जाता है कि चोर बाजार में बेचा जाने वाला 80 प्रतिशत माल चोरी का या इस्तेमाल किया गया, पुराना माल होता है. इसमे प्राचीन एंटीक आईटम के उपरांत कीमती मूर्तियां, झूमर और तांबा पीतल की कलाकृति सामिल होती है. यहां पर ऐसी वस्तुए पचास साठ हजार रुपये तक बेचीं जाती है. इसमे भावताल जरुरी होता है.
मुंबई के चोर बाजार की विशेषता ये है कि यह भारत का पहला ऐसा कबाड़ बाजार है, जो संगठित है. यहां ऐसे कई कबाड़ आते हैं, जो अति महंगे होते हैं. उनको कारोबारी रीफर्निंश करके नया करते हैं और उनको अच्छे दाम पर बेचा जाता है. इसमें फर्निचर से लेकर पेंटिंग और पुराने जमाने के नक्काशीदार दरवाजे आदि मुख्य हैं.
पुराने जमाने की चीजे जो फ़िल्म इंडस्ट्रीज को शूटिंग के लिये लगती है वो यहांसे भाड़े पर मिल जाती है. जिसमे जमाने के हिसाब से फर्नीचर, झूमर तथा ग्रामोफोन वगेरा विविध प्रकार की कलाकृति आदि का समावेश है. वर्तमान टी.वी. सीरियल को लगने वाली ऐसी चीजों के लिये चोर बाजार मुख्य पसंदीदा बाजार है.
इसके अलावा संग्रह करने वाले लोग पुराने सिक्के, पुराने नोट ख़रीदने की मुख्य जगह है. यहां पर पुराने कैसेट और विडियो टेप की हर आइटम तथा नये पुराने प्रकार के मोबाइल सेट मिल जाते है.
जानकारों का कहना है कि चोरी के सामान व भंगार के सामान को ठीक कर दोबारा से बेचा जाता है. इसकी वजह से इनकी कीमतें सस्ती और आधी हो जाती हैं. यहां पर बुद्ध की पीतल की मूर्ति की 8000 रुपये से 10000 रुपये तक मिल जाती है.
हम लोग मुंबई में रहते हुए भी ऐसी बाजार को देखने नहीं जाते है.ये हमारी कमनसीबी है. मुंबई का चोर बाजार खुलने का समय सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे है, लेकिन शुक्रवार को यह मार्केट देर से खुलता है. या कुछ दुकाने बंद भी मिल सकती है. हाल के कोरोना काल मे सरकारी फरमान के अनुसार खुलता है.