मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर| Siddivinayak Mandir

siddhivinayak temple

    सनातन हिंदू धर्म का आराध्य देवता तथा प्रथम पूजनीय प्रभु श्री गणेश जी मुंबईकर लोगोंका आस्था, श्रद्धा व  तथा विश्वास का प्रतिक है. हर साल यहां पर हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला अनंत चतुर्दशी का गणेशोत्सव इसका प्रमाण है. 

    मुंबई प्रभादेवी का श्री सिद्धिविनायक मंदिर भगवान श्री गणेश को समर्पित मंदिर है, जिसकी गिनती देश के सबसे व्यस्त धार्मिक स्थलों में की जाती है. श्री गणेशजी के दर्शन के लिये लाखोंकी तादाद में देश परदेश से भाविक श्रद्धालु यहां दर्शन के लिये आते है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इसे मन्नत का देवता माना जाता है. यहां भक्तों की मांगी मुराद अवश्य पूरी होती है. इसकी गितनी भारत के सबसे अमीर मंदिरों में भी की जाती है.

         सिद्धिविनायक, प्रभु श्री गणेशजी का सबसे लोकप्रिय स्वरूप है, जिसमें उनकी सूंड दाईं और मुडी हुई होती है. श्री गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं, और इसलिए उन्हें सिद्धिविनायक मंदिर की संज्ञा दी जाती है. 

         यहां पर रंक से राजा तक सभी लोग माथा टेकने आते है. संकष्ट चौर्थदशी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ पाई जाती है. त्योहारों के दिन यहां पर विविध प्रकार के भव्य आयोजन कीये जाते है. श्री सिद्धीविनायक भगवान को मुंबईकर ” नवसाचा गणपति ” अर्थात ” मन्नत का गणपति ” कहते है. मराठी भाषा में ” नवसाला पावणारा गणपति ” कहते है. सार्वजनिक गणेशोत्सव के दरम्यान मुंबईकर भक्ति भाव में डूब जाते है. और मुंबई का आसमान गणपति बप्पा मोरिया के नाद के गूंज उठता है. 

       प्रभादेवी, दादर का नामचीन श्री सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण ता : 19 नवंबर 1801 के दिन श्री लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा किया गया था. इस मंदिर के निर्माण कार्य में लगने वाली धन राशी एक किसान महिला ने दी थी, जो निसंतान थी. उसका उदेश्य था कि भगवान के आशीर्वाद से कोई भी महिला यहां आकार मन्नत मांगकर संतान प्राप्त कर सके. 

       मंगलवार के दिन यहां आरती के समय कभी-कभी दो किलोमीटर तक कतार लग जाती है. 

          यह मंदिर की मूल संरचना पहले काफी छोटी थी, और प्रारंभिक संरचना मात्र ईंटों की बनी थी, जिसका गुंबद आकार का शिखर भी था. बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण कर आकार को बढ़ाया गया था. इस मंदिर की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है. जानकारी के अनुसार यह मंदिर हर साल 100 मिलियन से 150 मिलियन धनराशी दान के रूप में प्राप्त करता है. इस मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था मुंबई की सबसे अमीर ट्रस्ट है.

        प्रभादेवी, मुंबई के मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में बप्पा के दर्शन के लिए हमेशा लाइनें लगी रहती थीं लेकिन इस वर्ष कोविद = 19 महामारी को चलतें श्री गणेश जी के भाविक भक्त सिर्फ ऑनलाइन , आरती के समय ही उनके दर्शन कर पा रहा है. 

       सिद्धिविनायक की एक और विशेषता है कि यह चतुर्भुजी देवता है. अर्थात् गणेश जी के ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है. वहीं, नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा पात्र है. इनके दोनों तरफ उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि हैं. इनके माथे पर अपने पिता भोलेनाथ के समान तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार है. यह मूर्ति ढाई फीट ऊंची है. यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बनाई गई है. इस मंदिर का निर्माण सरकारी दस्तावेजों के आधार से ता : 19 नंवबर 1801 निर्माण किया गया है

       इस मंदिर के अंदर चांदी से बनी चूहों की दो बड़ी मूर्तियां मौजूद हैं, माना जाता है कि अगर आप श्रद्धा से उनके कानों में अपनी इच्छाएं प्रकट करते हैं तो वो संदेश प्रभु श्री गणेश जी तक पहुंच जाता हैं. इसलिए यह धार्मिक क्रिया करते हुए आपको अनेक श्रद्धालु लोग मंदिर में दिखाई देते है.

       मंदिर गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजे श्री अष्टविनायक ( महाराष्ट्र में गणेश की आठ अभिव्यक्तियां ) की छवियों के साथ खुदी हुई हैं. गर्भगृह की आंतरिक छत को सोने से मढ़ा गया है , और केंद्रीय प्रतिमा गणेश की है. परिधि में एक हनुमान मंदिर भी है. मंदिर के बाहरी हिस्से में एक गुंबद है जो शाम को कई रंगों के साथ सजाया जाता है और इसके रंग हर कुछ घंटों में बदलते रहते हैं. श्री गणेश जी की प्रतिमा गुंबद के ठीक नीचे स्थित है.

         वर्तमान में नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है, कि अधिक से अधिक भक्तजन श्री गणपति का सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें. पहले मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से सीधे दर्शन कर सकते हैं. अष्टभुजी गर्भग्रह करीब 10 फीट चौड़ा और 13 फीट ऊंचा है. गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का मंडप है, जिसमें ‘श्री सिद्धि विनायक जी विराजते हैं. गर्भग्रह में भक्तजनों को प्रवेश के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं.

       इस श्री मंदिर की न तो महाराष्ट्र के “अष्टविनायकों ” में गिनती होती है और न ही ” सिद्ध टेक ” से कोई संबंध है. फिर भी यहां पर गणपति पूजा का खास महत्व है. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित सिद्ध टेक के गणपति भी श्री सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं और उनकी गिनती अष्टविनायकों में की जाती है. महाराष्ट्र में श्री गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल हैं, जो सभी श्री अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं. लेकिन प्रभादेवी का यह मंदिर अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं है.

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