मुनक्का और किशमिश मे अंतर.

Kismis

आप लोगोंने मुनक्का और किशमिश के बारेमें अवश्य सुना होगा. ये दोनों ही अंगूर से बनते हैं. मगर आयुर्वेद के अनुसार दोनों के गुणों और फायदों में काफी अंतर होता है. किशमिश छोटे अंगूरों को सुखाकर बनाई जाती है, और ” मुनक्का ” लाल रंग के बड़े अंगूरों से बनाया जाता है.

किशमिश और मुनक्‍का देखनेमे एक जैसे होते है. अतः अक्सर कई लोग किशमिश और मुनक्के में अंतर पहचान नहीं पाते, मगर दोनों में काफ़ी अंतर है. आयुर्वेद के अनुसार, किशमिश और मुनक्का खाने का तरीका अलग होता है. मुनक्के को किशमिश की तुलना में ज्यादा उपयोगी माना गया है और कई रोगों को जड़ से खत्म करने वाला कहा गया है.

यक्ष प्रश्न ये है कि किशमिश और मुनक्‍का के बीच क्या अंतर है….?

आयुर्वेद में मुनक्का का उपयोग मुख्य रूप से इसके औषधीय गुणों के कारण किया जाता है. दोनों के बीच अंतरों में किशमिश बीज रहित और पीले हरे रंग के साथ छोटी होती है. तो दूसरी ओर मुनक्का बड़ा, बीज के साथ भूरे या हल्‍के काले रंग का होता है. भारतीय खाना पकाने में मुख्य रूप से किशमिश का उपयोग होता है क्योंकि इसमें मीठा स्वाद मौजूद होता है.

मुनक्का और किशमिश में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है, लेकिन किशमिश में खटास मौजूद होती है. मुनक्का में क‍िशम‍िश की तुलना में अधिक ऊर्जा होती है. इसमें आयरन और मैग्नीशियम होता है. इसलिए आयुर्वेद में मुनक्का को किशमिश से ज्यादा फायदेमंद बताया जाता है.

भीगे हुए मुनक्का खाने से एसिडिटी या गैस्ट्रिक से संबंधित समस्याओं ख़त्म होती है. यह रक्त मे हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है. मुनक्का को रात भर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से शरीर में आयरन का स्तर बढ़ता है.

एनीमिया से पीड़ित हैं उन लोगों को रात को सोने से पहले एक गिलास उबले हुए दूध के साथ मुनक्का का सेवन करने से बहुत फायदा होता है.

अंगूर की खेती आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्य मे मुख्य रुप से होती है. जबकि उत्तर भारत में हरियाणा , पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली राज्यों में इसकी बागवानी की जा रही है.

किशमिश छोटे अंगूरों को सुखाकर तैयार की जाती है, जबकि मुनक्का लाल रंग के बड़े अंगूरोंसे बनाया जाता है. इन में बीज भी होता है. आयुर्वेद के अनुसार मुनक्के को किशमिश की तुलना में ज्यादा फायदेमंद माना गया है और कई रोगों को जड़ से खत्म करने वाला बताया गया है क्योंकि मुनक्के में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर के हर हिस्से को फायदा पहुंचाते हैं.

मुनक्के में पोटैशियम काफी मात्रा में पाया जाता है, जो हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार होता है. इसके अलावा ये कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखता है और हार्ट को कई परेशानियों से बचाता है.

मुनक्का में कैल्शियम भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाती है. इसमें ” बोरान ” नामक तत्व भी पाया जाता है जो हड्डियों तक कैल्शियम को पंहुचाने का काम करता है.

कब्ज से कई बीमारियां होती है. ये तमाम बीमारियों से छुटकारा दिलाने में भी मुनक्का कारगर है क्योंकि मुनक्का फाइबर का अच्छा स्रोत माना जाता है. इसे नियमित लेने से पेट की अन्य कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.

जिस किसीको बहुत कमजोरी और थकान महसूस होती है, उन्हें हर रोज मुनक्के का सेवन करना उचित होता है. ये हमारे शरीर को मजबूती देता है और कमजोरी दूर भगाता है.

मुनक्के में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और कॉपर पाए जाते हैं. दोनों ही तत्व खून को बढ़ाने में मददगार है. ऐसे में इसका सेवन एनीमिया के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है.

मुनक्के के गुणों का पूरा लाभ लेने के लिए इसे दूध के साथ लेना बेहतर होता है. इसके लिए रात में सोने से एक घंटे पहले 8 से 10 मुनक्कों को दूध में उबालें और मुनक्कों को खाकर दूध पी लें. इससे काफी फायदा मिलेगा. इसके अलावा इसे पानी में भिगोकर भी खाया जा सकता है. इसके लिए रात में 8 से 10 मुनक्के पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट खाएं और इसका पानी भी पी लेंना चाहिए.

काला मुनक्का काले अंगूर से तैयार किया जाता है जिसे पेड़ पर ही सुखाना पड़ता है. पतंग उड़ाने वाले मांजे से अंगूर के गुच्छे को सुखा दिया जाता है, जिसके बाद 35 दिन तक इसे ऐसे ही रहने दिया जाता है. इसके बाद ही इसे पेड़ से निकाला जाता है.

राज्य में सबसे ज्यादा अंगूर का नासिक, सांगली, जालना, सोलापुर, सातारा, इंदापुर के साथ कुछ हद तक इंदापुर, बीड और कर्नाटक के सीमा भाग में उत्पादन होता है.

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