मेवाड़ मुकुट-मणि श्री महाराणा प्रताप.

भारत शूरवीरो की भूमि रही है. जहां महाराणा प्रताप जैसे वीर सपूतो ने जन्म लिया है. महाराजा महाराणा श्री प्रताप का जन्म तारिख : 9 मई 1540 के दिन राजस्थान के महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ अभ्यारण में स्थित कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था. पिता श्री उदयसिंह और माता श्री जयवंताबाई की वें 33वीं संतान थी.

मेवाड़ मुकुट-मणि श्री महाराणा प्रताप जिन्हें बचपन में कीका कहकर संबोधित किया जाता था. जो अपनी निडर प्रवृत्ति, और निष्ठा, कुशल नेतृत्व क्षमता, बुजुर्गों व महिलाओं के प्रति विशेष सम्मानजनक दृष्टिकोण, ऊंच नीच की भावनाओं से रहित, निहत्थे पर वार नहीं करने वाले, शस्त्र व शास्त्र दोनों में पारंगत एवं छापामार युद्ध कला में निपुण व उसके जनक थे.

सोशल मीडिया और इंटरनेट पर वायरल कई रिपोर्ट्स में भाले के वजन को लेकर चर्चा की जाती है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि श्री महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था. और उनकी छाती का कवच 72 किलो था. वहीं, उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था. जबकि, कई रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि उनका वजन 110 किलो था और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी. कहा गया है कि प्रताप अपने वजन से कई किलो ज्यादा वजन लेकर जंग के मैदान में उतरते थे.

मगर वास्तविकता क्या है ?

वैसे बहुत से लोग ये ही जानते हैं कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था. लेकिन, हकीकत कुछ और है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके भाले का वजन 81 किलो नहीं था, बल्कि इससे काफी कम था. साथ ही यह तथ्य भी इंटरनेट पर गलत प्रसारित किए जाते हैं कि महाराणा प्रताप 200 किलो से ज्यादा वजन लेकर घोड़े पर सवार होते थे और इतने वजन के साथ युद्ध लड़ते थे.

इसकी बात की हमें सही जानकारी मिलती है उदयपुर में बने सिटी पैलेस म्यूजियम में. दरअसल, प्रताप को लेकर फैलाए जा रहे गलत तथ्यों को लेकर उदयपुर म्यूजियम में एक बोर्ड भी लगा है, जिसमें बताया गया है कि महाराणा प्रताप के निजी अस्त्र शस्त्र का कुल वजन 35 किलोग्राम है. बता दें कि महाराणा प्रताप सिर्फ 35 किलो वजन के साथ युद्ध भूमि में जाते थे और इस 35 किलो में उनका भाला भी शामिल है. ऐसे में माना जाता है कि प्रताप के भाले का वजन करीब 17 किलो था.

इस संदर्भ में उदयपुर असिस्टेंट ट्यूरिज्म ऑफिसर जितेंद्र माली का कहना है कि महाराणा प्रताप के कुल अस्त्र शस्त्र का वजन 35 किलो था, जिसमें भाला भी शामिल था. उदयपुर शहर के सिटी पैलेस उदयपुर संग्रहालय में महाराणा प्रताप का भाला रखा हुआ है. सिटी पैलेस के संग्रहालय में जाकर आप महाराणा का भाला देख सकते है.

एक समय ऐसा भी आया था कि महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां मायरा के गुफाओं में खायी थी. बताया जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध के समय महाराणा प्रताप ने इसी गुफा में अपने हथियारों को छुपाया था.

इतिहास के पन्नोमे अंकित है कि अकबर ने महाराणा प्रताप को यह कहा था कि अगर तुम मेरे सामने झुक जाते हो तो शासन करने के लिए आधा भारत तुम्हें दे दूंगा पर महाराणा प्रताप ने कहा मैं मुगलों के सामने वें कभी नहीं झुक सकता. अकबर ने महाराणा प्रताप के पास 6 शांति दूतों को भी भेजा था. पर महाराणा प्रताप ने अकबर का प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि एक राजपूत योद्धा इस तरह का प्रस्ताव कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता.

महाराणा प्रताप अपने पास हमेशा दो तलवारें रखते थे. इसके पिछेका कारण है कि अगर किसी निहत्थे दुश्मन से सामना हो जाए तो उसे अपनी एक तलवार दे सकें.

महाराणा प्रताप ने दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने दिवेर थाना के मुखिया सुल्तान खान पर अपने भाले से ऐसा भीषण प्रहार किया कि भाला सुल्तान खान और उसके घोड़े को बेधते हुए जमीन में जा गड़ा.

दर्द से तड़पते हुए सुल्तान खान ने जब पानी मांगा तो दुश्मन के प्रति दया भाव दिखाते हुए महाराणा प्रताप ने सोने के कलश मे गंगाजल मंगवाकर सुल्तान खानको अपने हाथोंसे गंगाजल पिलाया था.

महाराणा प्रताप ने छोटी आयु में ही मुगलों पर आक्रमण करना शुरू कर दिए थे उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में मेवाड़ के आसपास बसे हुए अफगानीयों की बस्तियों पर हमले किए तथा महाराणा प्रताप मेवाड़ से जाने वाले मुगल सैनिकों पर भी गुलेल से हमला किया करते थे.

मुग़ल सैनिक महाराणा प्रताप के इस शौर्य से बहुत परेशान थे. अकबर ने बहलोल खान को महाराणा प्रताप का सिर काटकर लाने को कहा था, कहते है, बहलोल खान बहुत जालिम और ताकतवर था पर जब हल्दीघाटी युद्ध में दोनों का सामना हुआ तो महाराणा प्रताप ने एक ही वार से बहलोल खान और उसके घोड़े के दो टुकड़े कर दिये. अकबर ने महाराणा प्रताप को 30 सालो तक बंदी बनाने की कोशिश की पर अकबर इसमें कभी सफल ना हो सका.

महाराणा प्रताप महिलाओं का बहुत अधिक सम्मान करते थे. महाराणा प्रताप के राज्य की किसी भी महिला को अकबर के हरम में नही भेजा जा सकता था.

जब मुग़ल सेना का बड़ा सैन्य अधिकारी अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, मेवाड़ के खिलाफ अभियान चला रहा था, तब महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने अब्दुल रहीम खान-ए-खाना की सेना में शमिल सभी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था.

जब महाराणा प्रताप को महिलाओं को कैद करने के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने पुत्र को इसके लिए फटकार लगाई. महाराणा प्रताप ने कहा कि महिलाओं का अनादर करना हमारी संस्कृति में नहीं है. प्रताप ने अपने पुत्र अमर सिंह को महिलाओं को मुक्त करने की आज्ञा दी और सम्मान के साथ उनके शिविर तक सुरक्षित रूप से पहुँचाया.

खुद अकबर ने महाराणा प्रताप की तारीफ में कहा था की महाराणा प्रताप अगर उसके साथ मिल जाए तो वह विश्व का सबसे शक्तिशाली राजा बन सकता है.

महाराणा प्रताप ने शस्त्र चलाने की प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल में ली थी.इसके बाद महाराणा प्रताप खुद ही भीलो की बस्तियों में जाकर हथियार चलाना सीखते थे और भीलो के साथ अभ्यास करते थे. महाराणा प्रताप ने लोहारों की बस्तियों में जाकर हथियार बनाना भी सीखा था.

जानकर ताजुब होगा कि महाराणा प्रताप, चेतक के ऊपर हाथी का मुखौटा और सुंड लगाते थे. महाराणा प्रताप चेतक के सिर पर हाथी का मुखौटा इसलिए लगाते थे ताकि युद्ध भूमि में शत्रु दल, घोड़े को हाथी समझे और महाराणा प्रताप तेज रफ्तार से शत्रु के पास पहुंचकर उनका सफाया कर सके.

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