” मैं चुप रहूंगी. ” सुपर हिट फ़िल्म.

मीनाकुमारी अभिनित पाकीजा फ़िल्म के दस साल पहले 1962 में रिलीज हुई हिंदी बॉलीवुड फ़िल्म ” मैं चुप रहूंगी ” ने बॉक्स ऑफिस पर राज किया था. यह फिल्म सन 1960 में रिलीज हुई तमिल रोमांटिक ड्रामा फिल्म “कलासुर कन्नम्मा” की रीमेक बनाई गई थी. फिल्म ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया और अच्छी कमाई की थी. यह तेरहवीं सन 1962 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी.

मुख्य कलाकार के रूपमें……

*** सुनील दत्त = कमल कुमार.

*** मीना कुमारी = गायत्री.

*** राज मेहरा = ठेकेदार.

*** बाल कलाकार बबलू.

*** गजानन जागीरदार =रतन कुमार.

*** नाना पालसिकर = नारायण.

*** मोहन चोटी = माधव.

और हेलन जैसे कलाकारों ने अपनी कला कारीगरी के कसब दिखाए थे.

फ़िल्म के निर्देशक थे ए भीमसिंह. ये फ़िल्म ए. वी. मयप्पन द्वारा बैनर सारेगामा के तहत निर्मित थी. फिल्म के गाने चित्रगुप्त श्रीवास्तव द्वारा लिखें गये थे. गीत राजेंद्र कृष्ण द्वारा लिखे गए थे.

कहानी :

मैं चुप रहूंगी कहानी है जमीनदार कमल कुमार ( सुनील दत्त ) और गरीब किसान की बेटी गायत्री (मिना कुमारी) की प्रेम कहानी. नारायण ( नाना पलसीकर ) रामनगर में व्यापारी रतन कुमार के स्वामित्व वाली एक खेत पर मजदूर के रूप में काम करता है.

नारायण एक पूर्व-दोषी था, रतन ने उसे नौकरी, कुछ ज़मीन और एक छोटा सा घर दिलाने में मदद की थी जहाँ वह अब अपनी बड़ी बेटी गायत्री (मीना कुमारी) के साथ रहता है , जो एक शिक्षक के रूप में काम करती है.

अपने पूर्ण सदमे में, नारायण को पता चलता है कि गायत्री गर्भवती है. रतन नारायण से कुछ पैसे लेने और स्थानांतरित करने के लिए कहता है, जो नारायण कृतज्ञता पूर्वक करता है.

गायत्री एक बच्चे को जन्म देती है, और नारायण उसे रतन द्वारा दान किए गए एक अनाथालय में ले जाता है, और गायत्री को सूचित करता है कि उसका बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था.

गायत्री और नारायण रामनगर लौट आते हैं, और भाग्य के रूप में, गायत्री को अनाथालय में एक शिक्षक के रूप में नौकरी मिलती है, जिसमें उसका बेटा (अब श्याम नाम) रहता है. जमीनदार रतन का बेटा, कमल ( सुनील दत्त ), सिंगापुर से लौटता है, वह श्याम से मिलता है और उसे पसंद करता है, लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसकी स्कूल की शिक्षक गायत्री है, तो वह मांग करता है कि गायत्री (मिना ) को निकाल दिया जाए क्योंकि वह अच्छे चरित्र की नहीं है. श्याम के पिता कौन हैं, गायत्री अपने बच्चे की पहचान के बारे में चुप क्यों रहती है, और कमल गायत्री की पृष्ठभूमि के बारे में क्या जानता है, ये सवाल के जवाब अंत में मील जाते है. अंत में गायत्री और कमल कुमार एक हो जाते है और हैप्पी एन्ड होता है. यु ट्यूब पर सर्च करने पर यह फ़िल्म आसानीसे मील जाती है.

इस फ़िल्म का प्रार्थना गीत, ” तुम ही हो माता पिता, तुम ही हो….. आज भी कई स्कूलों में प्रार्थना के रुप में गाया जाता है. इस गीत को कोकिल कंठी गायिका लता मंगेशकर ने गाया था. गीत राजिंदर कृष्ण ने लिखा था.

गीत के बोल इस प्रकार थे….

तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो.

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ;

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो.

तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे;

कोई ना अपना सिवा तुम्हारे.

तुम ही हो नईया, तुम ही खिवईया;

तुम ही हो बंधू, सखा तुम ही हो.

तुम ही हो माता, पिता तुम्ही हो,

तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो.

जो खिल सके ना वो फूल हम हैं,

तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ;

दया की दृष्टि, सदा ही रखना ;

तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो.

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो,

तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो.

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