यक्ष प्रश्न ?
रामलला का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव : रामलला की मूर्ति का रंग काला क्यों ?
आज पुरा हिंदुस्तान राममय हो गया है. गली – गली, हर नुक्कड़ पर विजय पताका ( VICTORY FLAG ) को लहराकर सभी लोग खुशियाँ मना रहे है.
इतनी आस्था, इतना उमंग शायद राम राज्याभिषेक के बाद पहली बार नजर आ रहा है. पुरे भारत देश में अलौकिक, अद्भुत, अकल्पिक उत्सव मनाया जा रहा है.
आज ता : 22 जनवरी को पुरा देश उत्सव मना रहा है. आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम धार्मिक भावना ओके साथ आस्था का उत्सव अयोध्या नगरी में संपन्न हो रहा है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान श्री राम लला की मूर्ति की तस्वीर सामने आई है, जिस में प्रभु रामजी बाल स्वरूप में श्यामल पत्थर से बना दिखई दे रहा हैं.
प्रभु श्री रामजी की श्यामल प्रतिमा को देखकर कई लगोके मनमे एक प्रश्न उदभव रहा है कि आखिरकार भगवान रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों हैं ?
आपको बता दे कि रामलला की मूर्ति का निर्माण शिला पत्थर से किया गया है. इस काले पत्थर को कृष्ण शिला भी कहा जाता है. इस वजह से भी रामलला की मूर्ति श्यामल है. जिस पत्थर से रामलला की मूर्ति का निर्माण हुआ है, उसमे कई गुण हैं. वह पत्थर कई मायनों में बेहद खास है.
भगवान श्री रामलला की मूर्ति के निर्माण में इस पत्थर का उपयोग करने के पीछे एक वजह ये भी है कि जब रामलला का दूध से अभिषेक होगा तो दूध के गुण में पत्थर की वजह से कोई केमिकल प्रतिक्रिया या बदलाव नहीं होगा. उस दूध का उपभोग करने पर स्वास्थ्य पर कोई गलत असर नहीं पड़ता है. साथ ही ये हजार से अधिक वर्षों तक सलामत रह सकता है. यानी कि इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
शास्त्रों की बात करें तो वाल्मीकि रामायण में भी इसका वर्णन मिलता है.
इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के स्वरूप को श्याम वर्ण में ही वर्णित किया गया है.इसलिए यह भी एक वजह है कि रामलला की मूर्ति का रंग श्यामल है. साथ ही श्री रामलला का श्यामल रूप में ही पूजन होता है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महा सचिव चंपत राय के अनुसार भगवान श्री रामलला की जो मूर्ति बनी है, वह पांच वर्ष के बालक का स्वरूप है. उनके अनुसार मूर्ति 51 इंच की है. और वजन 150 किलोग्राम बताया जा रहा है. श्री रामलला की मूर्ति में भगवान के कई अवतारों को दर्शाया गया है.
भगवान श्री राम जी एक हिंदू देवता हैं जो विष्णु के अवतार माने जाते है. प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण के अनुसार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था.
राम मंदिर का मूल डिज़ाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया था. सोमपुरा ने कम से कम 15 पीढ़ियों से दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन में अपना योगदान दिया है, जिसमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल है. मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा थे, उनकी सहायता उनके दो बेटे, निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने की, जो वास्तुकार भी हैं. मूल से कुछ बदलावों के साथ एक नया डिज़ाइन, 2020 में सोमपुरा द्वारा तैयार किया गया था, हिंदू ग्रंथों, वास्तु शास्त्र और शिल्पा शास्त्रों के अनुसार मंदिर 250 फीट चौड़ा, 380 फीट लंबा और 161 फीट (49 मी.) ऊँचा होगा.
एक बार पूरा होने पर, यह मंदिर परिसर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा. इसे नागर शैली की वास्तुकला की गुर्जर – चालुक्य शैली में डिज़ाइन किया गया है, जो एक प्रकार की हिंदू मंदिर वास्तुकला है जो मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाई जाती है.
प्रस्तावित श्री मंदिर का एक मॉडल सन 2019 में प्रयाग कुंभ मेले के दौरान प्रदर्शित किया गया था. मंदिर की मुख्य संरचना तीन मंजिला ऊंचे चबूतरे पर बनाई जाएगी. इसमें गर्भगृह के मध्य में व प्रवेश द्वार पर पांच मंडप होंगे. एक तरफ तीन मंडप कुडु, नृत्य और रंग के होंगे, और दूसरी तरफ के दो मंडप कीर्तन और प्रार्थना के होंगे. नागर शैली में मंडपों को शिखरों से सजाया जाता है.
इमारत में कुल 366 कॉलम होंगे. स्तंभों में प्रत्येक में 16 मूर्तियाँ होंगी जिनमें शिव के अवतार, 10 दशावतार, 64 चौसठ योगिनियाँ और देवी माता सरस्वती के 12 अवतार शामिल होंगे. सीढ़ियों की चौड़ाई 16 फीट (4.9 मी) होगी. भगवान श्री विष्णु को समर्पित मंदिरों के डिज़ाइन के अनुसार, गर्भगृह अष्टकोणीय होगा. मंदिर 10 एकड़ (0.040 कि.मी2) में बनाया जाएगा , और 57 एकड़ (0.23 कि.मी2) भूमि को एक प्रार्थना कक्ष, एक व्याख्यान कक्ष, एक शैक्षिक सुविधा और एक संग्रहालय और एक कैफेटेरिया सहित अन्य सुविधाओं के साथ एक परिसर में विकसित किया जाएगा.
मंदिर समिति के अनुसार, 70,000 से अधिक लोग इस स्थल का दौरा कर सकेंगे. लार्सन एंड टुब्रो ने मंदिर के डिजाइन और निर्माण की निःशुल्क देखरेख करने की पेशकश की, और इस परियोजना का ठेकेदार बन गया.