” दारा सींह ” का नाम आते ही हमारे सामने रामानंद सागर की टी.वी. सीरियल , ” रामायण ” मे हनुमान जी का रोल अदा करने वाल किरदार श्री दारा सींह की याद आती है. अब तक की टी.वी. सीरियल मे ऐसी कोई टी वी सीरियल इतनी लोकप्रिय नहीं हुई. यह सीरियल सन 1986 मे पुरा भारत भर मे दर्शायी जाती थी.
हर रोज शाम आधा घंटा सोनी टी.वी पर यह सीरियल दिखाई जाती थी. जिस समय यह सीरियल दिखाई जाती थी, उस समय रोड के उपर एक भी आदमी चलते नहीं दिखाई देता था. दुकानदारो के लिये आधा घंटा ग्राहकी ठप्प हो जाती थी. लोग पंद्रह मिनट आगेसे टेलीविज़न के सामने कही भी बैठ जाते थे.
सारा शहर राममय हो जाता था. रास्ते सुनसान हो जाते थे. यह सीरियल उसके डायलॉग , अभिनय, संगीत और तकनीकी कलाकारी की वजह से सुपर हित हुई थी. श्री राम जी का किरदार श्री अरुण गोहिल और सीता माता जी का किरदार दीपिका चिखलिया ने निभाया था.
एक ज़माने मे श्री दारा सिँह और मुमताज़ की जोडी हिंदी फ़िल्म की सुपर हित जोडी मानी जाती थी. साठ के दशक मे ये दोनोकी अनेक हिंदी फ़िल्म आयी थी. जो उनके चाहको मे फेमस हुई थी. उनकी ” किंगकॉन्ग ” फ़िल्म दर्शकों को बहुत पसंद आयी थी.
दारा सिंह ने सन 1952 से अपनी फ़िल्म ” संगदिल “से अपनी कारकिर्दी की शुरुआत की थी. सन 1982 मे आयी फ़िल्म रुस्तम उनकी आखरी फ़िल्म थी. उनका जन्म 19 नवंबर 1928 मे पंजाब मे हुआ था, और मृत्यु 83 साल की उम्र मे 12 जुलाई 2012 मे मुंबई मे हुआ था.
दारासिंह भारतीय पेशेवर पहलवान , अभिनेता और राजनेता थे. भारत के राज्यसभा मे नोमिनेट होने वाले पहले खिलाडी थे. उन्होंने पंजाबी और हिंदी फ़िल्म निर्माता,लेखक और निर्देशक के रूप मे भी काम किया था तथा टेलीविज़न मे भी प्रमुख भूमिका निभाई थी. मगर रामायण मे श्री हनुमान जी की भूमिका ने उन्हें लोकप्रिय बना दीया था.
सन 1947 से सन 1983 मे आपने पहलवान के रूप मे कुस्तिया लड़ी और फ्री स्टाइल कुश्ती में दुनिया भर में , अंत तक अपराजित रहे. और रुस्तमे हिन्द की उपाधि हासिल की.
सन 1950 से सन 2012 तक अभिनय क्षेत्र मे अपना नाम किया. सन 2003 से सन 2009 तक राजनेता का काम किया.
दारा सिंह ने दो बार शादी की. उनके तीन पुत्र और तीन बेटियां थी. उन्होंने करीब 130 फ़िल्म मे अपना किरदार निभाया और फ़िल्म जगत मे फेमस हो गये. महा भारत टीवी सीरियल मे भी उन्होंने श्री हनुमान जी की भूमिका बखूबी निभाई थी.
साठ के दशक मे फ्री स्टाइल कुस्ती मे आपका विश्व भर मे नाम था. मुंबई, वरली स्थित ” सरदार वल्लभ भाई पटेल ” स्टेडियम मे आपकी कुस्ती शाम सात बजे के बाद शुरु होती थी. मुजे उनकी कुस्ती देखनेका बड़ा शोक था. मुजे आज भी याद है जब उसने मुंबई मे श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम मे तत्कालीन वर्ल्ड चैम्पियन माइटी चांग और लुइथेस को हराया था.
फ्री स्टाइल कुस्ती मे दारा सिंह की ये विशेषता थी की वो एक ऐसा दाव खेलते थे जिसे , ” डेड लॉक ” कहा जाता था. वो लॉक मारने के बाद सामने वाले पहलवान की हालत तड़प तड़प कर मरने जैसी हो जाती थी और वो हार कबूल कर लेता था !. मरते दम तक दुनिया मे उसे कोई हरा नहीं पाया. और भारत देश का नाम रोशन करके गया. हमें नाज़ है ऐसे भारत के पुत्र पर. सैलूट टु ” दारासिंह “.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.