रेल दुर्गटना पर मिलने वाला मुआवजा.

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ट्रेन की यात्रा के समय किसी की मौत हो जाये तो रेलवे कितना मुआवजा देती हैं ? जानते हैं आजके आर्टिकल में. ट्रेन में चढ़ते-उतरते वक़्त या फिर ट्रेन में बैठे हुए अगर किसी की मौत हो जाए तो क्या रेलवे मुआवजा देती है ? कई लोगों की मौत ट्रेन में हो जाती है. मगर रेलवे ऐसी स्थिति में मुआवजा नहीं देती हैं.

टू व्हीलर, रिक्शा, बस, ट्रैन, हवाई जहाज, पानी में चलने वाली बोट ये सभी यातायात के साधन हैं. हवाई जहाज की यात्रा महंगी हैं, जो सबको परवड़ने योग्य नहीं हैं. एकमात्र ट्रैन की यात्रा सबसे सस्ती और सुविधा युक्त होती हैं. भारत में हर रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं ; और यात्रा करने की सबसे पहली वजह है इसका सस्ता टिकट किराया.

दूसरी वजह है इसका आरामदायक सफर, फिर चाहे आप जनरल कोच में सफर कर लें या फिर एसी कोच में, सबसे कम्फर्टेबल जर्नी ट्रेन की रहती है. कुछ ऐसी ही कई और वजह हैं, जिस कारण से यात्री भारतीय रेलवे से सफर करना पसंद करते हैं.

कई लोगोंका सवाल रहता हैं कि

अगर ट्रेन हादसा नहीं हुआ है लेकिन किसी व्यक्ति की ट्रेन में सफर करते हुए मौत हो जाए, तब क्या उस शख्स को मुआवजा दिया जाता है ? भारतीय रेल परिवहन विभाग के नियम के मुताबिक, अगर ट्रेन के अंदर बैठे किसी व्यक्ति की मौत रेलवे के कारण हो जाती है, तो भारतीय रेलवे उसे मुआवजा देता है. पर अगर किसी भी बीमारी या दूसरी किसी वजह से उसकी मौत ट्रेन में बैठे बिठाए हो जाती है, तो भारतीय रेलवे की तरफ से इसके लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाता.

ट्रेन में चढ़ते या उतरते समय यदि हादसा होता हैं जिसमें लोग ट्रेन पकड़ते हुए या उतरते हुए पटरी के नीचे आ जाते हैं. इससे मौत हो जाती है या फिर गंभीर चोट लग जाती है, ऐसी स्थिति में यात्रियों की गलती मानी जाती है, वो इसलिए क्योंकि अधिकतर बार कई यात्री ट्रेन चलने के दौरान ट्रेन में चढ़ते हैं या उतरते हैं. इससे वे कई बार हादसे के शिकार हो जाते हैं.

इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति ट्रेन के आगे खुदखुशी करने की कोशिश करता है, और बचने के बाद घायल हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है, तो उसके लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाता. वहीं अगर अंदर बैठे हुए भी अगर आपकी किसी वजह से मौत हो जाती है, जिसमें रेलवे की गलती नहीं है तब भी शख्स को मुआवजा नहीं दिया जाता.

ट्रेन हादसे में पीड़ितों को मिलने वाला मुआवजा, हादसे की गंभीरता पर निर्भर करता है.

*** ट्रेन हादसे में घायल होने पर 2

लाख रुपये मिलते हैं.

*** गंभीर रूप से घायल होने पर 2.5

लाख रुपये मिलते हैं.

*** शरीर के किसी हिस्से के खोने या

दिव्यांग होने पर 7.5 लाख रुपये

मिलते हैं.

*** पूरी तरह से विकलांग होने पर 10 लाख रुपये मिलते हैं. अगर कोई व्यक्ति ट्रेन हादसे में मर जाता है, तो उसके परिवार वालों को 10 लाख रुपये मिलते हैं.

(साधारण रूप से घायल होने पर

( 50,000 रुपये मिलते हैं.)

रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 124 के तहत, ट्रेन हादसे में शामिल यात्रियों को मुआवजा मिलता है. रेलवे की गलती की वजह से किसी भी यात्री को नुकसान हो, तो उसकी ज़िम्मेदारी रेलवे की होती है. हालांकि, रेलवे स्टेशन पर किसी यात्री की करंट लगने से मौत हो जाए, तो उसे सहायता राशि नहीं दी जाती.

ध्यान रखें अगर आप अपनी गलती से हादसे का शिकार हो जाते हैं, या फिर ट्रेन के सामने आते हैं, तो इसके लिए रेलवे आपको कोई मुआवजा नहीं देती है. जब तक यात्रा के समय हादसा रेल विभाग से ना हुआ हो. तब तक यात्री को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता.

रेलवे दावा अधिकरण (प्रक्रिया) :

संशोधन नियम, 2002 के नियम 8 के अनुसार, रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 124 या 124ए के अंतर्गत देय मुआवजे के लिए आवेदन उस पीठ के समक्ष दायर किया जा सकता है, जिसका उस स्थान पर क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र है जहां से यात्री अपना पास या टिकट प्राप्त करता है या खरीदता है या जहां दुर्घटना या अप्रिय घटना घटित होती है या जहां गंतव्य स्टेशन स्थित है या जहां दावेदार सामान्यतः रहता है.

इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि दावेदार के पास अपनी सुविधा के अनुसार उक्त नियम में उल्लिखित चार स्थानों में से किसी एक पर आवेदन दायर करने का विकल्प है.

रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल, अक्सर रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे में जब भी कोई दिक्कत आती है तो यहीं सुनवाई होती है. साल 2014 में दीपक ठाकरे नाम के एक व्यक्ति की चलती ट्रेन से फिसल कर गिरने पर मौत हो गई थी. मौत के बाद, जब परिवार ने रेलवे से मुआवजे की मांग की तो रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) ने ये कहते हुए मुआवजा देने से मना कर दिया कि मृतक दीपक ठाकरे के पास यात्रा का टिकट नहीं था.

( समाप्त )

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