हम सब जानते है की श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधान मंत्री तथा प्रथम गृहमंत्री थे. श्री सरदार भाई पटेल एक समाजसेवक , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता , भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ तथा भारतीय गणतंत्र के संस्थापक पिता थे.
आपने आजादी की लड़ाई मे अग्रणी भूमिका निभाई थी. और राष्ट्र निर्माण मे अपना जीवन समर्पित कर दिया था.
आजादी के आंदोलन के समय आप अनेक बार जनता के लिये जेल मे गये थे. गांधीजी से प्रेरित होकर स्थानीय छुआ छूट, शराब ,नारी के अत्याचार के लिये लड़ने का मन बनाया था. जो जीवन का मकसद बना.
सन 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. तथा लंदन से बेरिस्टर की डिग्री हासिल की थी. वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई थी. पटेल जब सिर्फ 33 साल के थे, तब उनकी पत्नी का निधन हो गया था.
सरदार का जन्म गुजरात के नडियाड गांव मे ता : 31 अक्टूबर 1875 के दिन हुआ था, और उनकी मृत्यु ता : 15 दिसंबर 1950 के दिन 75 साल की उम्र मे मुंबई मे हुई थी. आपके प्रथम उप प्रधानमंत्री का कार्य काल तारीख : 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक रहा था.
श्री सरदार वल्लभ भाई को लोह पुरुष के नामसे भी जाना जाता है. आपको सन 1991 मे मरणोपरांत भारत सरकार का सर्वोच्च पुरुस्कार भारत रत्न से नवाजित किया गया था. उन्होंने बारडोली , खेड़ा , बोरसाद के किसानों को ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़नेको एकत्रित किया था. आप गुजरात के प्रतिभाशाली नेताओ मे से एक थे.
किसान परिवार मे जन्मे श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को सन 1934 – 37 मे भारत छोड़ो आंदोलन के दरम्यान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 49 वे अध्यक्ष के रुप मे नियुक्त किये गये थे.
श्री सरदार भाई वल्लभ पटेल और श्री जवाहर लाल नेहरू के आपसी विचारों मे काफ़ी मतभेद नजर आते थे. जिस समय चाऊ एन लाई चाइना के प्रधानमंत्री ने नेहरू जी को पत्र लिखकर तिब्बत को चीन का भाग माननेको कहा तो सरदार पटेल ने खुलकर विरोध किया और कहा कि ऐसा करने पर चीन हमारे लिये ख़तरनाक साबित होगा. नेहरू जी नहीं माने जिसकी वजह से चीन ने हमारी सीमा की 40 हजार वर्ग गज भूमी पर कब्ज़ा कर लिया था.
श्री सरदार पटेल जी ने गुजरात का श्री सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण करके इतिहास रचा. इतनाही नहीं गांधी स्मारक निधि की स्थापना , कमला नेहरू अस्पताल की रुप रेखा आदि जन सेवा के अनेककार्य अपने कार्यकाल मे किये.
नेहरू जी से मतभेद होनेके बावजूद भी गांधी जी से वचनबद्ध होने की वजह से वे नेहरू जी को हमेशा सहयोग देते रहे. मज़ाक मे वो कभी कहते थे, सब जगह तो मेरा वश चल सकता है पर जवाहरलाल की ससुराल में मेरा वश नहीं चलेगा. आजादी के समय पटेल ने 565 स्वराज रियासतो को एकीकरण करने मे महत्व की भूमिका निभाई थी. जिस वजह लोग उन्हें लोह पुरुष के नामसे पहचानने लगे थे.
स्ट्रॉन्ग मैन लोह पुरुष श्री सरदार पटेल गुजरात के पाटीदार पटेल समूह से थे. बोरसाद की एडवर्ड मेमोरियल हाई स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष थे. जिसे आज झवेरभाई दाजीभाई पटेल हाई स्कूल के नामसे जाना जाता है.
उनका दिल का दौरा पड़नेसे 15 दिसंबर 1950 के दिन बॉम्बे के बिड़ला हाउस मे निधन हो गया. भारत के सव्तंत्रता संग्राम सेनानी सरदार भाई को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने एक सप्ताह का राष्ट्रीय शोक घोषित किया था. उनके जन्मदिन 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिन के रूपमे मनाया जाता है.
वर्तमान सरकार ने उनके कार्यो की कदर करके दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई है.
सरदार पटेल जी के कुछ विचार.
(1) जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती.
(2) कठिन समय में कायर बहाना ढूंढ़ते हैं जबकि बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं.
(3) उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये.
(4) हमें अपमान सहना सीखना चाहिए.
(5) बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम होता है.
(6) शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाये, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है.
(7) आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखें को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये.
यह थे श्री सरदार वल्लभ भाई के निजी विचार.
वर्तमान मोदी सरकार ने तारीख : 31 अक्टूबर 2018 को उनके जन्म दिन के अवसर पर एकता का प्रतिक स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी मूर्ति का जन हित मे उद्घाटन किया था.
स्वतन्त्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद मे बनाया गया स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी मूर्ति गुजरात मे स्थित है. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था,
यह विशाल स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है. यह मूर्ति स्थान भारतीय राज्य गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है. जो सात किलोमीटर की दुरी से भी दिखाई देता है.
यह विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है जो अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी से तथा चीन की सबसे ऊंची स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध की 682 फीट प्रतिमा से भी ऊंची है. सरदार पटेल की मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर अर्थात 597 फीट है तथा उसके आधार सहित कुल ऊंचाई 240 मीटर यानी 790 फीट की है. जो विश्व मे कीर्तिमान है. इस मूर्ति को बनानेमें करीब 5 साल लगे थे.
इस मूर्ति को बनाने मे लगभग 2989 करोड़ रुपये का खर्च आया है. जिसका भारतीय विनिर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने ठेका लिया था. इसका भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र महेता ने 31 अक्टूबर 2018 के दिन सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर शुभारंभ किया था.
इस निर्माण के अभियान के तहत सुराज प्रार्थना पत्र बना जिसके उपर दो करोड़ से ज्यादा लोगोने हस्ताक्षर किये जिससे सुराज प्रार्थना पत्र विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना पत्र बन गया. इस अवसर पर पुरे भारत भर मे ता : 15 दिसम्बर 2013 के दिन एक “रन फॉर यूनिटी” नामक मैराथन का भी आयोजन हुआ था.
इस प्रतिमा को लोहे से बनाया गया है. लोहा देश भरके किसानों से जुटाया गया था. गुजरात सरकार द्वारा ता : 7 अक्टूबर 2010 के दिन इस परियोजना की घोषणा की गयी थी. श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने देश भर मे 36 कार्यालय खोले थे. जिससे करीब 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया था. इस अभियान का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान” दिया गया था. 3 माह लम्बे चले इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया था.
अब एकता की मूर्ति बनकर तैयार है. इसमे प्रदर्शनी फ्लोर , छज्जा और छत सामिल है. छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है जिसमे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है.
500 फुट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है जिसमे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति का निरिक्षण कर सकते हैं. एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखती है. यहां खानपान स्टॉल, उपहार की दुकानें, रिटेल और अन्य कई सुविधाएँ शामिल हैं,
प्रत्येक सोमवार को रखरखाव के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक बंद रहता है.
यह स्मारक सार्वजनिक तथा निजी साझेदारी के माध्यम से बना है. इसमे अधिकांश भाग गुजरात सरकार का है. गुजरात सरकार ने सन 2012 – 2013 के बजट मे इस प्रकल्प के लिए 100 करोड़ तथा सन 2014 – 2015 के बजट मे 500 करोड़ रुपये आवंटित किये थे.
सन 2014 – 2015 मे इस प्रकल्प के निर्माण हेतु भारतीय संघ ने अपने बजट मे दो अरब रुपये आवंटित किये थे. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 के दिन इस मूर्ति का उद्घाटन किया था.
इस मूर्ति को देखने के लिये वयस्कों को 120 रुपये तथा 3 से 15 वर्ष तक के बच्चों को 60 रुपये टिकट लेना अनिवार्य है. इस टिकट के जरिये ‘फूलों की घाटी’, स्मारक, संग्रहालय और एक ऑडियो-विज़ुअल गैलरी, एसओयू और सरदार सरोवर बांध का लुत्फ उठाया जा सकता है.
यदि दर्शक प्रतिमा के आसपास का पूरा नजारा (विहंगम दृश्य) देखना चाहते हैं तो ऑब्जर्वेशन डेक के लिए थोड़ा महंगा टिकट खरीदना होता है. जिसकी कीमत 350 रुपये है. 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क रखा गया है.
बस सेवा का लाभ उठाने के लिए टिकटों की कीमत वयस्कों के लिए 30 रुपये और बच्चों के लिए केवल 1 रुपये रखी गई है , डेक व्यू के लिये 350 रुपये का टिकट खरीदने वाले को अलग से बस का टिकट खरीदने की कोई जरूरत नहीं होती.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.