श्री सदानंद दाते साहब सन 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आप नवगठित वसई – विरार – मिरा भाईंदर पुलिस आयुक्तालय के पहले पुलिस आयुक्त हैं. सन 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान श्री सदानंद दाते जी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था.
श्री सदानंद दाते जी एक बहादुर अधिकारी है. आपका जन्म 14 दिसंबर 1966 के दिन पुणे मे हुआ था. बचपन मे जब वे आठवीं कक्षा में थे तब उनके पिताजी का अकाल मृत्यु होने के कारण माताने उसे पाल पोषकर बड़ा किया. पिता के स्वर्गवास से पहले वे तीन-चार साल से बीमार थे. माता खूब महेनती थी. अपने बच्चों का पालन करने उसने दूसरों के घरों में खाना बनाकर तथा छोटे-मोटे काम करके बच्चोंको पढ़ाया था.
आयुक्त श्री सदानंद साहब ने सन 1977 से सन 1988 तक, पुणे में एक समाचार पत्र प्रकाशक के रूप में काम किया. कुछ जगहों पर एक सैनिक के रूप में भी काम किया.
उनका बचपन गरीबी मे बिता. पुरा जीवन संघर्ष से भरा रहा. माताजी ने उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया. आखिरकार माँ की महेनत रंग लाई और एक दिन सदानंद साहब आयुक्त के पद पर बिराजमान हुए.
श्री सदानंद दाते साहब ने भारतीय पोलीस सेवा के अनेक राष्ट्रीय और राजकिय पद पर काम किया. उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण विभाग के उप महा संचालक के रूपमें काम किया.
मुंबई गुन्हा अन्वेषण शाखा मे सह आयुक्त के रूपमें सेवा करते समय उनकी ता : 25 फेब्रुवारी 2015 के दिन दिल्ली न्याय विभाग मे नियुक्ती हुई थी.
आप केंद्रीय न्याय विभाग मे सह सचिव के रूपमें पिछले पांच वर्ष से कार्यरत थे. फरवरी 2020 मे मुदत पुरी होनेके बाद दिल्ली से वापस आये. आप केंद्रीय न्याय विभाग मे सहसचिव का पद संभाले हुए थे.
श्री सदानंद दाते साहब ने पुणे विश्व विद्यालय से ” पी.एच.डी ” की डिग्री हासिल की थी.आपने मुंबई शहर के अपर पुलिस आयुक्त के रूप में कार्य किया था. 26/11 के आतंकी हमले के दौरान सदानंद दाते ने कामा अस्पताल में कसाब और इस्माइल से बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी. एके-47 हिट को बहुत सिमित साधनो से असीमित प्रयास करके रोका था.
उल्लेखनीय है कि ता : 26 नवंबर 2008 को दक्षिण मुंबई पर कुख्यात आंतकवादी अजमल कसाब और उसके 9 साथियों ने हमला किया था. देशद्रोही पाकिस्तान आतंकवादी ओने ने 59 घंटे तक शहर को घेर लिया था. तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त सदानंद दाते जी के नेतृत्व में मुंबई पुलिस की एक टीम ने हमलावरों से जान की बाज़ी लगाकर उनका सामना किया था.
26/11 के मुंबई आतंकी हमले के दौरान बेजोड़ बहादुरी दिखाने वाले वसई विरार और भाईंदर के पुलिस कमिश्नर सदानंद दाते को जांबाज अधिकारी के रूपमें लोग आदर के साथ सम्मान देते है. उनकी बहादुरी ने कई लोगोंकी की जान बचाई थी. श्री सदानंद दाते की इस वीरता को राष्ट्रपति पदक से नवाजा गया था. इसके अलावा, फोर्स वन की उनकी जिम्मेदारी, नक्सल बहुल वाले छत्तीसगढ़ में उनका काम और मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में उनका काम विशेष रूप से सहराया जाता है.
आयुक्त श्री सदानंद दाते पिछले 30 साल से पुलिस सेवा में कार्यरत हैं. आप ने एक पुस्तक भी लिखी है जिसका नाम “रिकॉर्ड्स ऑफ मेन इन यूनिफॉर्म” रखा गया है. जिसमे उन्होंने पुलिस सेवा में अपने अनुभवों का वर्णन किया है.
कॉलेज में पढ़ते समय यूपीएससी के बारे में उन्होंने जानकारी प्राप्त की थी. और उन्होने पुलिस सेवा में जाने का फैसला किया था. क्योंकि कम उम्र में यूपीएससी के माध्यम से उच्च पद पर कार्य करने का अवसर मिलता है. उनकी इच्छा समाज के लिए कुछ कर दिखाने की थी. उनको समाज की कई समस्याओं पर काम करना था. इसलिए यूपीएससी की परीक्षा देने का उन्होंने निर्णय लिया. आप व्यवस्था में बदलाव लाना चाहते थे. उसके लिए वह उस व्यवस्था में जाना चाहते थे.
यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद आईएएस, आईपीएस और (आईए एंड एएस) नामक तीन विकल्प दिए गए थे. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे कॉमर्स की पढ़ाई करने के बाद पुलिस वाला बनेगा. हालांकि, सदानंद साहब ने यूपीएससी पूरा करने के बाद पुलिस अधिकारी बनने का फैसला किया था.
आज आप वसई – विरार – मिरा भाईंदर शहर के आयुक्त पद पर कार्य कर रहे है.
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