विशालकाय दृष्ट राक्षस  “बकासुर का वध”|

bakasur

महाकाव्य महाभारत का प्रसंग है. गुप्त अज्ञात वनवास के समय माता कुंती और पांच पांडव वल्कल और मृगचर्म से शरीर ढककर जंगल में भटक रहे थे. बनवास गमन करते एक बार पांडव माता कुंती के साथ एकचक्रा नगरी में आ पहुचे और एक ब्राह्मण के घर अतिथि बनकर रहने लगे, और भिक्षा मांगकर अपना निर्वाह कर रहे थे. 

        एक दिन ब्राह्मण बड़ी चिंता में था. पत्नी से बातचीत करने पर उनकी पत्नी जोर शोर से रोने लगी. पूछने पर माता कुंती को पता चला कि उनके गाँव से दो कोस की दूरी पर यमुना के किनारे एक घने जंगल में एक नरभक्षी खतरनाक राक्षस रहता है. जिसका नाम बकासुर था. राक्षस बड़ा ही खतरनाक और शक्तिशाली था. 

       एकचक्रा नगरी का शासक दुर्बल था, अत: वहां बकासुर को आतंक फैलाने का मार्ग खुला हो गया था. बकासुर राक्षस लोगों, पशुओं और अपने रास्ते में आने वाली चीज को उठा कर ले जाकर खा जाता था. 

      आखिरकार नगरी के लोगोंने तय किया कि बारी बारी से प्रत्येक घर के निवासी उन्हें भोजन का प्रबंध करेंगे, बदलीमे वो शत्रुओं तथा हिंसक प्राणियों से नगरी की सुरक्षा करेंगा. 

राक्षस बकासुर नरभक्षी था. उसको प्रतिदिन दो बैलगाडी भोजन, दो भैंसे तथा एक मनुष्य की बलि देनेका वादा किया गया था. ताकि वो बाकी लोगोंको परेशान ना करें. 

       आज वो ब्राह्मण की पारी थी. इसी कारण ब्राह्मण पत्नी रो रही थी. क्योंकि ब्राह्मण निर्धन था, और इतना भोजन, पशु खरीदने में असमर्थ था. यदि पूर्ति ना की गई तो वो राक्षस परिवार के सभी सदस्यों को निगल जायेगा. 

        कुंती ने बातें सुनकर अपने पांडव पुत्र को बताई. और निर्णय लिया गया कि अबकी बार भीम बकासुर के पास भोजन लेके जायेगा. ब्राह्मण परिवार ने काफी विरोध किया लेकिन कुंती ने कहा हम आपके यहाँ अतिथि बनकर रह रहे हैं. और हमारा धर्म बनता है कि जिस घर में रहते हो उसका हर हालत में रक्षा करनी चाहिए. 

        योजना के अनुसार महाबली भीम भोजन लेकर राक्षस बकासुर के पास पंहुचा. और राक्षस का भोजन खुद खाने लगा. भीम को खुद खाना खाते देखकर राक्षस अतियंत क्रोधी होकर लाल आगबबुला हो उठा, और बोला कौन हे ये जो मेरी आंखों के सामने मेरे ही लिये तैयार करके लाये हुए इस अन्‍न को स्‍वयं खा रहा है ? 

          इस बात पर भीम जोर जोर से हंसने लगे और युद्ध के लिये राक्षस को ललकारा. दोनों के बिच धमासान युद्ध हुआ. अंत में भीम ने राक्षस बकासुर का वध कर दिया.  

        कहां जाता है कि बकासुर मुख्यतः तीन स्थान में रहता था जो द्वैतवन के अंतर्गत आता था. पहला चक्रनगरी, दूसरा बकागढ़, बकासुर इस क्षेत्र में रहता था इसलिए इस स्थान का नाम बकागढ़ पड़ा था. वर्तमान में यह स्थान बकाजलालपुर के नाम से जाना जाता है जो कि इलाहाबाद जिले के अंतर्गत आता है. 

        तीसरा और अंतिम स्थान जहां राक्षस बकासुर रहता था वह था डीहनगर, जिला प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद जिला ले उत्तर में बकुलाही नदी के तट पर बसा है. इस स्थान को वर्तमान में ऊचडीह धाम के नाम से जाना जाता है. लोक मान्यता है कि इसी जगह दृष्ट राक्षस बकासुर का वध भीम ने अज्ञातवास के दौरान किया.

   ——===शिवसर्जन ===——–

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