विश्व प्रसिद्ध तारागढ़ का किला अजमेर

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राजस्थान को राजाओं की भूमि के रूप में जाना जाता है और यही कारण है कि आपको यहाँ कई अजेय किले मिलेंगे. आज हमें चर्चा करनी हैं तारा गढ़ की. तारागढ़ को एशिया का पहला पहाड़ी किला माना जाता है.

तारागढ़ दुर्ग, राजस्थान के दो ज़िलों में है , अजमेर में स्थित तारागढ़ दुर्ग को “तारा किला” के नाम से जाना जाता है. इसे परमार राजपूतों के महाराजा ने बनवाया था. अजयराज चौहान ने इसकी मरम्मत करवाई थी. इसे मूल रूप से अजयमेरु दुर्ग कहा जाता था. मुगल शासक शाहजहाँ के एक सामंत विट्ठलदास गौर के नाम पर इसका नाम “गढ़ बिठली” रखा गया हैं.

बूंदी में स्थित तारागढ़ किला, अरावली पर्वत श्रृंखला की एक पहाड़ी पर बना है. यह बूंदी का प्रमुख पर्यटक आकर्षण है. दरबार वर सिंह हाड़ा ने इस किले का निर्माण संवत 1411 में करवाया था.

तारागढ़ किला राजस्थान के अजमेर शहर में एक खड़ी पहाड़ी पर बना एक प्रसिद्ध किला है. इसका निर्माण परमार राजपूतों के महाराजा ने करवाया था , तथा अजयराज चौहान ने इसकी मरम्मत करवाई थी. इसे मूल रूप से अजयमेरु दुर्ग कहा जाता था.

विश्व प्रसिद्ध तारागढ़ का किला अजमेर में स्थित है, जिसे ‘तारा किला’ के नाम से भी जाना जाता है. तारागढ़ किला जयपुर से 133 किलो मीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. इसे अजमेर के राजा महाराजा अजयराज चौहान ने बनवाया था.

क़िले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं. ब्रिटिश काल में इसका उपयोग चिकित्सालय के रूप में किया गया. कर्नल ब्रोटन के अनुसार बिजोलिया शिलालेख (1170 ईस्वी) में इसे एक अजेय गिरी दुर्ग बताया गया हैं. लोक संगीत में इस क़िले को गढबीरली भी कहा गया हैं. तारागढ़ क़िला जिस पहाडी पर स्थित हैं उसे बीरली कहा जाता हैं इसलिये भी इसे लोग गढबीरली कहते हैं. यहाँ एक मीठे नीम का पेड़ भी है. कहा जाता है कि जिन लोगों को संतान नहीं होती यदि वो इसका फल खा लें तो उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाती है.

किले में तीन प्रवेशद्वार हैं जिन्हें (1) लक्ष्मी पोल, (2) फूटा दरवाज़ा (3) और गगुड़ी की फाटक के नाम से जाना जाता है. इस किले की दीवार में 14 बुर्ज थे. इन प्रवेशद्वारों के ज़्यादातर हिस्से अब खंडहर हो चुके हैं. इसकी सबसे बड़ी दीवार 16वीं सदी की बुर्ज है जिसे भीम बुर्ज के नाम से जाना जाता है, जिस पर कभी गर्भ गुंजम या ‘गर्भ से वज्र’ नामक एक बड़ी तोप रखी जाती थी. किले में पानी के जलाशय हैं.

अजमेर शहर की स्थापना चौहान राजा अजयराज ने 1113 ईस्वी में की थी. अजमेर शहर का नाम अजयमेरू के नाम पर पड़ा है. अजमेर में स्थित ढाई दिन का झोपड़ा वास्तव में एक मस्जिद है. इसका निर्माण मोहम्मद गोरी के मंत्री कुतुब्दीन ऐवक ने 1192 में करवाया था.

12 वीं शताब्दी ईस्वी में शाहजहाँ के एक सेनापति गौड राजपूत राजा बिट्ठलदास ने इस क़िले का जीर्णोद्धार करवाया था, इसलिये भी कई लोग इसका संबंध गढबीरली से जोड़ते हैं.

वहां तक पहुँचने के मार्ग :

ट्रैन द्वारा :

निकटतम रेलवे स्टेशन बूंदी या कोटा जंक्शन है जो मुंबई – अहमदाबाद – जयपुर – दिल्ली लाइन पर स्थित है. आप सभी प्रमुख भारतीय शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर, इलाहाबाद, कोलकाता आदि से अजमेर के लिए आसानी से ट्रेन ढूंढ सकते हैं.

सड़क मार्ग द्वारा :

यह स्थान राष्ट्रीय राजमार्गों और अच्छी तरह से बनी सड़कों से भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आप या तो बस ले सकते हैं क्योंकि अजमेर बस स्टैंड निकटतम है. या, आप यहां पहुंचने के लिए एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं.

वायुमार्ग द्वारा :

लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर, किशनगढ़ हवाई अड्डा निकटतम है. एक बार जब आप वहां पहुंच जाते हैं, तो आप तारागढ़ पहुंचने के लिए एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या आरएसआरटीसी की बस ले सकते हैं.

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