विषकन्या का नाम आपने जरूर सुना होगा. प्राचीन काल मे राजा – महराजाओ द्वारा छल पूर्वक शत्रु राजाओ को मात करने के लिए या राज्य के भेद जाननेके लिये विष कन्या का उपयोग किया जाता था.
विष कन्या जन्म जात नहीं होती, मगर अति सुंदर लड़की को विष कन्या बनाने के लिये छोटी उम्र से उसे थोड़ी थोड़ी मात्रा मे विष ( जहर ) दिया जाता है. उसे जहरीले जीव जंतुओंके साथ रखा जाता है. एक समय ऐसा आता है कि यदि विष कन्या को साप, विंछू आदि जहरीले जीव जंतु काट भी देते है तो भी उसे कुछ असर नहीं होता है ! उल्टा ऐसे साप खुद मर जाते है . विष कन्या का पूरा शरीर जहरीला बन जाता है . यहां तक की उसका पसीना और मुह की लार तक विष युक्त बन जाती है. .
राजा महराजाओ के जमानेमे खूबसूरत लड़की को विष कन्या बनानेमें सालो लग जाते थे. ऐसी लड़किया जवान होने तक पूर्ण विष कन्या बन जाती थी. यदि कोई ऐसी लड़की से शारीरिक संबंध बांधता हे तो उसकी कुछ समय बाद मौत हो जाती थी. विष कन्या को जासूसी के साथ साथ संगीत और नृत्यागना मे भी निपुण बनाई जाती थी. कुछ विष कन्या को काला जादू शिखाया जाता था.
विष कन्या राजा की खास होती थी. उसे हर प्रकार की ट्रैनिग, कलाकारी, सामने वाले को सम्मोहित करने की कला सिखाई जाती थी. उसे छल पूर्वक दुश्मन राजा तक पहुंचाई जाती थी. आगेका काम विष कन्या बखूबी निभाती थी. ज्यादातर विष कन्या का उपयोग दुसरो को हानि – नुकसान पहुंचाने के लिये किया जाता था.
चाणक्य द्वारा रचित ” अर्थ शास्त्र ” ( ग्रंथ ) एवं कल्कि पुराण मे विष कन्या का वर्णन किया गया हे. विष कन्या की प्रथा हजारों सालो से भारत देश मे प्रचलित थी.
विष कन्या का दांत इतना जहरीला बना दिया जाता था की जिसे वो काटती थी, उसका अकाल मृत्यु हो जाता था. कभी कभी तो वह अपने मुँहमे ही जहर रखकर लक्षधारी के मुँहमे विष फैला देती थी.
विष कन्या की प्रथा वैदिक काल से चालू होनेका पुराणों मे उल्लेख मिलता हे ! कल्कि पुराण के अनुसार विषकन्या को कांदली भी कहा जाता हे. कांदल का पेड़ और फूल दिखनेमे सुंदर होता हे मगर उसका मूल विषालु होता हे, यदि कोई उसे गलती से खा लेता हे तो उसकी मृत्यु हो जाती हे.
उस जमाने मे यदि कोई जानकार ब्राह्मण कोई लड़की को ” विष कन्या योग ” बता देता था तो समाज मे उससे कोई शादी नहीं करना चाहता था, ऐसे मे उसे राजा के पास विष कन्या बनाने के लिये भेज दिया जाता था. जहा पर नगर बहु ओ द्वारा उसे विष कन्या बनाई जाती थी. उसे हर कला मे पारंगत की जाती थी. बादमे राजा उसे छल कपट के काम मे लगा देते थे.
उस समय आजके ज़माने जैसे ब्यूटी पार्लर तो थे नहीं फ़िरभी दासी ओ द्वारा उसे कामनगारी, खूबसूरत बनाने के लिये हर प्रयत्न किये जाते थे, ताकि वो अपनी मंजिल कामयाब कर सके.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ शिव सर्जन प्रस्तुति