शनि देवता : शनि शिंगणापुर| Shani Shingnapur

shani signapur

आपने कभी ऐसा गांव देखा है ? जहां घर के खिड़की – दरवाजे ना हो. शनि शिंगणापुर भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले में स्थित एक गाँव है जो अपने शनी देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है . इस गांव की जन संख्या करीब 3000 बताई जाती है. इस गांव मे किसी भी घर मे दरवाजा खिड़की बिलकुल नहीं है. ना तो किसीके घर मे ताला लगाया जाता है. 

     माना जाता है की यहां पर शनि देव के प्रभाव से चोरी नहीं होती है. सन 2010 मे किसीने वहां चोरी करने का प्रयत्न किया था मगर बादमे उनकी मृत्यु हो गयी थी. शनि देव की पत्थर की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है. ये काले रंग की है तथा 5 फुट 9 इंच ऊँची और 1 फुट 6 इंच चौड़ी है. यह मूर्ति खुले आसमान मे संगमरमर के बने एक चबूतरे पर खुले में ही विराजमान है. 

       यहां स्थित शनि देव सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए भक्तों की मनोकामना पूरी करने खड़े हैं.शनिवार के दिन आने वाली अमावस को तथा प्रत्येक शनिवार को महाराष्ट्र के दूर दराज एरिया से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं तथा शनि भगवान की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं. प्रति दिनप्रातः चार बजे एवं सायंकाल पांच बजे यहाँ आरती होती है. 

        शनि जयंती के अवसर पर अन्य जगह से प्रसिद्ध नामी ब्राह्मणों को यहां पर बुलाकर ” लघुरुद्राभिषेक ” कराया जाता है. यह कार्यक्रम प्रातः 7 से सायं 6 बजे तक हर्षोउल्लास से चलता है.

       शनि की शुभ दृष्टि होती है तो रंक भी राजा बन जाता है. नवग्रहों में शनि को सर्वश्रेष्ठ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक राशि पर सबसे ज्यादा समय तक विराजमान रहता है. कहावत है कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं माँगता. 

       शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष प्रकार से पूजा अर्चना, आराधना की जाती है. शनि देव को न्याय का भी देवता कहा जाता है. हमारे शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को सूर्य का पुत्र भी कहा जाता है. शनि देव आपके कर्मों के अनुसार आपको फल देते हैं. शनि जयंती के दिन लोग शनि देव के मंदिर जाकर भक्ति भाव से पूजा करते हैं. 

       इस शनि देव के यहां पर प्रकट होनेकी कहानी बड़ी रोचक है. एक समय शिंगणापुर गांव में बाढ़ आई थी , तब पूरा गांव पानी में डूब गया. बाढ़ के पानी में एक चमत्कारिक पत्थर बहकर गांव के अंदर आ गया था. बाढ़ का पानी जब खत्म हुआ तो देखा गया की एक पत्थर पेड़ के उपर अटका हुआ था. गांव के एक चरवाहे ने उस पत्थर को पेड़ से निचे उतारने की कोशिश की मगर वो ना कामियाब रहा. 

          उस व्यक्ति ने यह सारी बात गांववालों को बताई. गांव वालोने भी प्रयत्न किया पर व्यर्थ हुआ. रात होनेपर सब चले गए. दरम्यान रात को एक सज्जन को शनिदेव सपने मे आये.

और यहां पर स्थापित करने को कहा. और आगे कहा की मुजे सिर्फ मामा भांजा ही उठा सकता है. दूसरे दिन मामा भांजा के हाथ लगाने मात्र से शनि देव निचे पधारे. गांव के लोगोंने प्रेम पूर्वक विधिवत शनि देव की स्थापना की. 

       बर्षो से शनि सिंगणापुर मंदिर मे महिलाओ का प्रवेश निषेध था, मगर अब दूर से पूजन करने का अधिकार दीया गया है. इस संदर्भ मे ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज का कहना है की रावण संहिता व निर्णय सिंधु में स्पष्ट लिखा है कि महिलाओं द्वारा शनि का स्पर्श नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में उनके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है.

     जिससे उनका पारिवारिक जीवन संकट में आ सकता है. सूर्य पुत्र शनिदेव की चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा होती है. जो सबसे ज्यादा महिलाओं को ही प्रभावित करती है. इसलिए धर्म शास्त्रों में महिलाओं द्वारा शनि को तेल चढ़ाना और स्पर्श करना प्रतिबंधित किया है. 

     महामंडलेश्वर ने कहा कि महिलाओं के लिए शनिदेव की प्रतिमा स्पर्श का निषेध किया गया है, न कि पूजन करने पर कोई प्रतिबंध है. क्षेत्र के अनुसार ये परंपरा बदल भी सकती है, लेकिन शनि शिंगणापुर में यह परंपरा शास्त्रानुसार चली आ रही है. 

      यहां पर पुरुष वर्ग नहाकर पीले रंग का पीताम्बर पहनने के बाद शनिदेव की पूजा करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. नहाने की सुविधा एवं पीला पीताम्बर भाड़ेसे आसानीसे मिल जाता है. 

       शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश निशुल्क है, मगर विभिन्न अनुष्ठानों के लिए अलग अलग शुल्क लिया जाता है. वैसे शनि शिंगणापुर मंदिर चौबीस घंटे खुला रेहता है.आप कभी भी शनि शिंगणापुर मंदिर के दर्शन कर सकते है. यह मंदिर भारत के दूसरे मंदिरों से बिलकुल अलग है.

    भगवान शनि की मूर्ति पर सरसों का तेल तांबे के पात्र से लगातार टपकता है , जो उस मूर्ति के ठीक ऊपर लटकता है. यहां मंदिर में भगवान शनि देव के अलावा नंदी, हनुमान और शिव की भी मूर्तियां हैं.

     इस मंदिर मे 400 वर्षो से अधिक समय से महिलाओ को प्रवेश की अनुमति नहीं थी , मगर ता : 8 अप्रैल 2016 में इस परंपरा के खिलाफ विरोध किए जाने के बाद मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति मिली है.

         शनि शिंगणापुर दर्शन के लिये जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर से नवंबर का होता है. इन महीनों में यहाँ का मौसम बहुत अच्छा होता है. गर्मियों के मौसम का तापमान करीब 40 डिग्री सेल्यिस के आसपास होता है. मानसून के समय भी यहां की यात्रा करना सुविधाजनक नहीं है. 

        शनि सिंगणापुर महाराष्ट्र के अन्य तीर्थ स्थल शिरडी से करीब स्थित है. यहां जाने के लिए आप शिरडी से भी जा सकते हैं. शनि सिंगणापुर के लिए नियमित अंतराल पर शिरडी से साझा टैक्सियाँ उपलब्ध हैं. यदि आप अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे हैं तो आप यहाँ जाने के लिए पूरी तरह से टैक्सी बुक कर सकते हैं.

भारत के प्रमुख शहरों से 

शनि सिंगणापुर की दूरी : 

*** राहुरी से शनि सिंगणापुर दूरी 24 किमी.

*** औरंगाबाद से शनि सिंगणापुर दूरी 82 किमी.

*** नासिक से शनि सिंगणापुर की दूरी 143 किमी.

*** पुणे से शनि सिंगणापुर की दूरी 161 किमी.

*** मुंबई से शनि सिंगणापुर की दूरी 295 किमी.

       —-=== शिव सर्जन ===——

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