शांत स्वभाव का पक्षी ” कबूतर.”

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कबूतर शांत स्वभाव का शांति प्रिय पक्षी है. यह हर जगह दिखाई देते है. कोलंबिडी कुल की कई करीब सौ प्रजातियों के पक्षियों में से एक छोटे आकार वाले पक्षियों को फ़ाख्ता या कपोत और बड़े को कबूतर कहा जाता हैं. कबूतर को एक छोटा सर होता है व इस सर और चोंच के बीच त्वचा की झिल्ली होती है. कबूतर के दो छोटे पैर होते है जो ऊंचे तारो और पेड़ो कि डालियों पर पकड़ बनाने में मददगार होते है.

” कबूतर ” पक्षी का मुख्य भोजन अनाज, फल, दालें और बीज होते है. भारत में यह सफेद और सलेटी रंग के होते हैं पुराने जमाने में इसका प्रयोग पत्र और चिट्ठियाँ भेजने के लिये किया जाता था. कबूतर एक उड़ने वाला पक्षी है, जो आसमान में उड़ता हुआ दिखाई देता है. कबूतर को अंग्रेजी भाषा में डव़ ( DOVE ) और पिजन ( PIGEON ) दोनों नाम से जाना जाता हैं.

” होमिंग! प्रजाति के कबूतरों की खास विशेषता होती है, वह एक जगह से किसी दूसरी जगह भेजा जाय तो वे अपना काम निपटाकर के वापस मूल जगह आ जाते है. जब पोस्ट ऑफिस की प्रणाली अस्थित्व मे नही थी तब संदेश पहुंचाने के लिए इस प्रजाति का उपयोग किया जाता था. यह भी कहा जाता है कि ” होमिंग ” प्रजाति के कबूतर अपनी जगह से करीब 1600 कि. मीटर आगे उड़कर रास्ता भूले बिना वापस लौट आते थे. उनके उड़ने की गति भी 60 मील प्रति घंटा होती थी.

विशेषज्ञ कायह भी कहना हैं कि कबूतर सूर्य की दिशा, गंध और पृथ्वी के चुम्बकत्व से वापस लौटने की दिशा तय करते है. मगर आधुनिक पोस्ट ऑफिस की शुरुआत के तहत टेलीग्राफ, SMS टेलीफोन और संदेश पहुंचाने की नई व्यवस्थाओं को अपनानेके साथ कबूतर संदेश भेजना खत्म हो गया है.

कुछ मान्यताओं अनुसार कबूतर को मां लक्ष्मी का भक्त माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार यदि कबूतर घर में घोंसला बना ले तो इससे परिवार में सुख समृद्धि आने लगती है. एक रिसर्च के अनुसार दुनिया में कबूतरों की संख्या लगभग 40 करोड़ मानी जाती है. कबूतर की सर्वाधिक गति 92 मील प्रति घंटे की हो सकती है.

कबूतर पक्षी 20 से 30 कबूतरों के झुंड में रहना पसंद करते है.कबूतर शीशे में देखने पर खुद को पहचान लेते है.

कबूतरों की सुनने की क्षमता बहुत तेज होती है. कबूतर साल में 8 बार अंडे दे सकते हैं. ये एक समय में दो अंडे देते हैं जिसे नर और मादा दोनों ही सेते हैं. 18 से 19 दिन के बाद उसमें से चूजे निकलते हैं चूजों का वजन अंडे से निकलने के दूसरे ही दिन दुगुना हो जाता है.

नॉर्थ कोरिया के तानाशाह (Dictator) किम जोंग उन के अलावा एक कबूतर जिसका नाम भी संयोग से किम है, जो दुनिया का सबसे महंगा कबूतर बन चुका है. ये मादा कबूतर 14 करोड़ में बिका है. इस कबूतर को चीन के एक शक्स ने नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाकर जीता है.

इस मादा कबूतर का नाम किम है और ये दो साल की है जो कि दुनिया का सबसे महंगा कबूतर बन चुका है. ये 2018 मे बेहतरीन रेसर प्रतियोगिता मे विजेता रह चुकी है. नेशनल मिडिल डिस्टेंस रेस की विजेता रह चुकी इस मादा कबूतर की गति बेहतरीन है. दज्यादातर लोग नर कबूतरों के लिए ऊंची बोली लगाते हैं लेकिन मादा कबूतर का इतनी कीमत पर बिकना वाकई हैरान करने वाली बात है.

चीन (China) में कबूतरों की रेस एक ट्रेंड (Trend) बनती जा रही है. मादा रेसिंग कबूतर को अच्छे रेसर कबूतर पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इतिहास में पहली बार किसी ने एक मादा कबूतर पर इतनी ऊंची बोली लगाई है.

किम ने आर्मंडो से दुनिया के सबसे महंगे कबूतर का खिताब छीन लिया है. दरअसल आर्मंडो पर 2019 में 1.25 मिलियन यूरोज की बोली लगाई गई थी जो कि किम पर लगाई गई बोली यानी 1.6 मिलियन यूरोज से कम है.

कबूतर और इंसान का रिश्ता बहुत ही पुराना बताया जाता है.मेसोपोटामिया काल के कुछ अवशेषों में इस बात की पुष्टि होती है की आज से लगभग 5000 साल पहले भी कबूतर मनुष्यों के करीब हुआ करते थे। कई विद्वानों का यह भी मानना है की कबूतर और इन्सान 10,000 साल से साथ रहते आ रहे हैं.

कबूतरों में सुनने की उत्कृष्ट क्षमता होती है. वे मनुष्यों की तुलना में कम फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनियों को भी सुन सकते हैं और दूर से ही तूफानों और ज्वालामुखियों का भी अंदाजा लगा सकते हैं.

कबूतर की उम्र 3 से 5 साल तक होती है लेकिन कई बारे इससे अधिक उम्र तक भी जीवित रहते हैं. अगर खास देखरेख में पाला जाए तो ये 15 से 20 साल तक भी जीवित रह सकते हैं. यह उनके खान-पान और पर्यावरण पर निर्भर करता है. अब तक का सबसे अधिक उम्र वाला कबूतर 25 साल का बताया जाता है.

कबूतर ये एक बार में 1 से 3 अंडे देते हैं, लेकिन ये एक बार में ज्यादातर 2 अंडे देते हैं और उसमे से निकलने वाले दोनों चूजों को एक साथ पालते हैं.

अंडे से निकलने में चूजों को 25 से 32 दिन लगते हैं. बच्चे के पालन-पोषण में नर और मादा दोनों जिम्मेदारी निभाते है. अंडे सेना, बच्चे को दूध पिलाना और उनकी देखभाल करना माता-पिता दोनों का काम होता है.

कबूतरों को रोजाना लगभग 1 औंस (30 मिली) पानी की आवश्यकता होती है. वे ज्यादातर मुक्त पानी पर भरोसा करते हैं लेकिन वे पानी प्राप्त करने के लिए बर्फ का उपयोग भी कर सकते हैं.

प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कबूतरों को सन्देश वाहक के रूप में इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दुश्मन के हमले की जानकारी पहुँचा कर कई लोगों की जान बचाई थी.

किसी जमाने में कबूतरों का उपयोग एरियल फोटोग्राफी में भी किया गया था. सन 1907 में, जूलियस नूब्रोनर नामक एक जर्मन फार्मासिस्ट ने एक विशेष प्रकार का कैमरा बनाया जिसे पक्षी के गले बंधा जा सकता था. इन टाइमर कैमरा का उपयोग कबूतरों द्वारा ऊंचाई से दुर्लभ तस्वीरें खीचने के लिए किया गया. इससे पहले, ऐसी तस्वीरों को केवल गुब्बारे या पतंग का उपयोग करके कैप्चर किया जाता था.

कबूतर पर गाने बनाने मे हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्रीज भी पीछे नही है. ता : 29 दिसंबर 1989 में रिलीज हुई ” मैंने प्यार किया ” फ़िल्म का कबूतर पर लिखा गया मजेदार गाना …..

कबूतर जा, जा, जा कबूतर जा जा जा. पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ, कबूतर जा, जा, जा……(2)

आज भी युवा दिलोंकी धड़कन है.

कबूतर पर लिखा गया दूसरा मजेदार गाना……. सन 1993 मे रिलीज हुई दलाल फ़िल्म का निम्नलिखित गाना…

गुटर गुटर गुटर गुटम,गुटर गुटर गुटर गुटम

अरे चढ़ गया ऊपर रे, अटरिया पे सोना कबूतर रे….

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