“शास्त्रीय भाषा” का दर्जा प्राप्त भाषा.

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आपको पता है ? भारत की भाषाई विविधता की पहचान और सम्मान के लिए संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को सम्मिलित किया गया है. कुछ भारतीय भाषाओं की प्राचीन साहित्यिक परंपरा का संरक्षण और संवर्द्धन करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा उन्हें ” शास्त्रीय भाषा ” का दर्जा प्रदान किया जाता है.

वर्तमान में भारत कुल में छह भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है.

(1) तमिल (2004) में घोषित,

(2) संस्कृत (2005) में घोषित,

(3) कन्नड़ (2008) में घोषित,

(4) तेलुगु (2008) में घोषित,

(5) मलयालम (2013)में घोषित,

(6) ओडिया को (2014) में घोषित

किया गया था. यह छह भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध किया गया है.

विश्व में कुल कितनी भाषा है ये कह पाना मुश्किल लगता है, मगर एक अनुमान के अनुसार दुनिया में कुल भाषाओं की संख्या 6809 है, इनमें से 90 फीसदी भाषाओं को बोलने वालों की संख्या 1 लाख से भी कम है. करीब 200 से 150 भाषाएं ऐसी हैं जिनको 10 लाख से अधिक लोग बोलते हैं. तो लगभग 357 भाषाएं ऐसी हैं जिनको मात्र 50 लोग ही बोलते हैं!

भाषाओं को “शास्त्रीय भाषा” का दर्जा देने संबंधी परंपरा आजादी के बाद पड़ी. संविधान सभा में जब संस्कृत और वोटों के आधार पर आधिकारिक भाषा नहीं बना सकी, तो अनुच्छेद 351 के तहत कुछ भारतीय भाषाओं को विशेष भाषा का दर्जा देने का प्रावधान किया गया.

शास्त्रीय भाषा किसे कहते है :

शास्त्रीय भाषा ऐसी भाषा होती है, जिनका कम से कम 1500-2000 वर्ष पुराना इतिहास हो, साहित्य/ग्रंथों एवं वक्ताओं की प्राचीन परंपरा होना जरूरी और साहित्यिक परंपरा का उद्भव दूसरी भाषाओं से न हुआ हो.

वर्तमान में कई जगह मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देनेकी मांग उठी है. मराठी भारत के महाराष्ट्र राज्य की इकलौती अधिकारिक राजभाषा है. महाराष्ट्र के बहुसंख्य लोग मराठी बोलते है. भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है. मराठी भारत की प्रमुख भाषाओं में से एक है. यह महाराष्ट्र और गोवा की राजभाषा है.

मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में दसवें और भारत में तिसरे स्थान पर है. इसे बोलने वालों की कुल संख्या करीब 10 करोड़ है. यह भाषा 2300 सालों से अस्तित्व में है और इसका मूल प्राकृत से है.

गरीब और दलितों का मददगार वरिष्ठ साहित्यकार कुसुमाग्रज ऊर्फ श्री विष्णू वामन शिरवाडकर मराठी भाषा में काम करने के कारण उनके जन्मदिन तारिख : 27 फरवरी को हर साल विश्व मराठी दिवस के रूपमें मनाया जाता है.

” शास्त्रीय भाषा ” का दर्जा प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा निर्धारित कुछ आधिकारिक मानदंड :

(1) उस भाषा में लिखित आरंभिक ग्रंथों का इतिहास लगभग 1500 से 2000 वर्ष पुराना होना चाहिये.

(2) संबंधित भाषा में प्राचीन साहित्य/ ग्रंथों का एक ऐसा समूह होना चाहिये, जिसे उस भाषा को बोलने वाली पीढ़ियाँ अमूल्य विरासत के रूप में स्वीकार करती हों.

(3) उस भाषा की अपनी मौलिक साहित्यिक परंपरा होनी चाहिये, जो किसी अन्य भाषिक समुदाय द्वारा न ली गई हो.

(4) शास्त्रीय भाषा व उसका साहित्य, आधुनिक भाषा और साहित्य से भिन्न है, इसलिये शास्त्रीय भाषा और उसके परवर्ती रूपों में विच्छिन्नता हो सकती है.

भारत सरकार द्वारा ” आधिकारिक भाषाओं ” के रूप में घोषित भाषाओं की सूची :

बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, असमी, मलयालम, कोंकणी, मैथिली, हिंदी, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू और उर्दू को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में “आधिकारिक भाषाओं” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.

शास्त्रीय भाषा के रूप में, भारत सरकार ने छह भारतीय भाषाओं को “शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया जिसकी चर्चा हम उपर कर चुके है.

शास्त्रीय भाषा के रूप में, भारत सरकार ने छह भारतीय भाषाओं को “शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया जिसकी चर्चा गत अंक में कर चुके है. अब जानते है विस्तार से :

(1) तमिल.

यह द्राविड़ भाषा परिवार की प्राचीनतम भाषा मानी जाती है. विश्व के विद्वानों ने संस्कृत, ग्रीक, लैटिन आदि भाषाओं के समान तमिल को भी अति प्राचीन तथा सम्पन्न भाषा माना है. यह भाषा भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत ने 2004 से इस भाषा को “भारत की शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया है.

(2) संस्कृत.

यह हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा है. संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन वर्तमान में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है. देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिये ही बनी है, इसलिये इसमें हर एक चिन्ह के लिये एक और केवल एक ही ध्वनि है. यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध की गई 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत सरकार ने 2005 से इस भाषा को ‘भारत की शास्त्रीय भाषा’ के रूप में सूचीबद्ध किया है.

(3) तेलुगु.

यह द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है. यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है. तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं — “तेलुगु”, “तेनुगु” और “आंध्र”. यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध की गई 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत सरकार ने 2008 से इस भाषा को “भारत की शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया है.

(4) कन्नड़.

यह भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है. यह द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत के भी बहुत से शब्द हैं. कन्नड भाषी लोग इसको “सिरिगन्नड” कहते हैं. यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत सरकार ने 2008 से इस भाषा को “भारत की शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया है.

(5) मलयालम.

यह द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है. यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध की गई 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत सरकार ने 2013 से इस भाषा को “भारत की शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया है.

(6) ओडिया.

यह आधुनिक भारत-आर्य भाषा परिवार के अन्तर्गत आती है. इसकी लिपी का विकास भी नागरी लिपि के समान ही ब्राह्मी लिपि से हुआ है. यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. भारत सरकार ने 2014 से इस भाषा को “भारत की शास्त्रीय भाषा” के रूप में सूचीबद्ध किया है.

शास्त्रीय भाषा घोषित होनेका फायदा :

शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त होने के पश्चात् केंद्र सरकार उक्त भाषा को निम्नलिखित लाभ प्रदान करती है:

(1) सबंधित भाषा के प्रतिष्ठित विद्वानों को प्रतिवर्ष दो बड़े सम्मान देने की व्यवस्था.

(2) उस भाषा में अध्ययन के लिये उत्कृष्ट केंद्रों की स्थापना.

(3) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से आग्रह कर आरंभिक तौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में संबंधित भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त प्रतिष्ठित शोधार्थियों के लिये शास्त्रीय भाषा की कुछ सीटें आरक्षित करवाना.

भाषा ओकी कुछ रोचक बातें :

*** दुनिया की सबसे सरल भाषा संस्कृत है इसलिए इसे माता और अन्य भाषाओं की पुत्री कहा जाता है. संस्कृत का पठन लोगो की विकृत मानसिकता को बदल देता हैं , संस्कृत का श्रवण पठन एवं बोलने वाला व्यक्ति शरीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहता हैं.

*** गूगल द्वारा किया गया सर्वे के अनुसार मलयालम भाषा जो केरल राज्य की अधिकृत भाषा को भारत की सबसे कठिन भाषा घोषित की है. भारत में किसी भी अन्य भाषा की तुलना में, इसे सीखना और उच्चारण करना दोनों ही कठिन है. चीनी भाषा के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे कठिन भाषा हो सकती है.

वर्तमान में अखिल मराठी भारतीय साहित्य सम्मेलन ने मांग की है कि मराठी को ” शास्त्रीय भाषा ” का दर्जा दिया जाए.

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