शिष्य को गुरु जी की अनमोल शिक्षा.

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कहा जाता है कि गुरु करें वैसा नहीं, कहे वैसा करना चाहिए. एक गुरु नशा करता है, दारू का सेवन करता है वो भली भाति जानता है कि नशा करना स्वास्थय के लिए हानिकारक है. वो नहीं चाहता की उसके शिष्य मे कोई बुराई का गुण आये. इसीलिए गुरु बुरी चीजों से परहेज करना सिखाता है.

एक गुरूजी से शिक्षा लेनेके बादमे शिष्य ने गुरूजी से कहा, गुरूजी कोई ऐसी बात कहो जो मैं जिंदगी भर याद रख सकु. शिष्य की बात सुनकर गुरू ने कहा कि एक बात याद रखना कभी भी बिल्ली मत पालना. गुरूजी की बात सुनकर शिष्य सोचने लगा कि गुरूजी को क्या हो गया कि वो बिल्ली पालने मना कर रहा है.

कुछ महीने बाद गुरूजी का देहांत हो गया. अब वो शिष्य अकेला कुटीर मे रहने लगा. वस्त्र मे उसके पास एक ही लंगोटी थी. उसे वो खूटी पर टांगके सो जाता था. एक दिन एक चूहा कुटीर मे आया और लंगोट को कुटरने लगा. अब तो वहां कई चूहें आने लगे.

उसने कुछ लोगों से पूछा कि चूहे लंगोट को काट खा रहा है. क्या करना चाहिए. तो लोगो ने उसे राय दी कि एक बिल्ली पाल लो. चूहा भाग जायेगा. वह गुरूजी की बात भूल गया था. लोगोंकी बात सुनकर शिष्य ने एक बिल्ली लाकर रख दी. मगर बिल्ली को तो दूध चाहिए. उसे दूध कहांसे लाएंगे.

चूहा की परेशानी तो खत्म हो गई मगर दूध का क्या. फिर उसने लोगोंसे पूछा कि बिल्ली से चूहे तो खत्म हो गये, मगर उसके लिए दूध कहा से लाये ? गांव के लोंगो ने कहा कि एक गाय पाल लो. शिष्य संन्यासी ने ऐसा ही किया. शिष्य ने दूध के लिए गाय को ख़रीदा. अब गाय के लिए घास तो चाहिए.

लोगोने शिष्य को कहा कि कुटीर के प्रांगण मे घास उगाना शुरु कर दो. शिष्य ने ऐसा ही किया. मगर फिर ये यह सब काम के लिए कोई तो चाहिए. उसे भिक्षा भी मांगनी है. खाना भी तो पकाना है. फिर वो शिष्य इस समस्या के समाधान के लिए गांव के लोगो से पूछता है, तो लोगो ने कहा,कि आप ऐसा करो कि शादी कर लो.

शिष्य मान गया और लोगोंने एक लड़की के साथ शादी करवा दी. उसका बच्चा भी हो गया.अब बच्चों को पढाना लिखाना पड़ रहा था. अब वो वृद्ध हो चूका था. उस को गुरूजी की बात याद आयी. बिल्ली मत पालना. गुरूजी की बात नहीं मानी और साधु से गृहस्थी बन गया. उसे खेद हुआ. पता ही नहीं चला साधु से वापस गृहस्थ कब बन गया. मगर अब क्या करें? समय गुजर गया और बेकार लोगोंके बहेकावे मे वापस गृहस्थी मे आ गया.

ये छोटी सी कहानी हमें बहुत कुछ सीखा जाती है. सचमे हमें गुरूजी करें वैसा नहीं कहे वैसा करना चाहिए

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