श्री सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर – टिटवाला. जो टिटवाला गणपति के नामसे भी लोकप्रिय है. ये महाराष्ट्र के थाने जिले मे कल्याण तालुका स्थित मुंबई शहर के पास कल्याण शहर मे विध्यमान है. ये हाथी के सिर वाले भगवान गणेश जी को समर्पित है.
एक किवदंती ऐसी भी है की यहां पर एक किसान अपने खेत को जोत रहा था, तब अचानक हल रुक गया. खूब प्रयत्न करने के बाद भी हल वहासे नहीं हटा तो वो अपने घर चला गया. उसी रात उसे स्वपना आया और स्वयं श्री गणेश वहां होनेके संकेत दिये.
स्वपने मे श्री सिद्धिविनायक ने किसान को बताया की वो वहां स्थापित होना चाहता है. दूसरे दिन किसान ने वहां जाकर खोदा तो उसे वहां थाली के आकर की पत्थर की मूर्ति मिली, जिसपर गणेश जी का चित्र अंकित था. स्वयं भू प्रकट हुई मूर्ति को किसान ने प्रेम पूर्वक उसकी स्थापना की.
कालांतर बाद वहां मंदिर बना और मंदिर मे नयी मूर्ति की शास्त्रोक्त पद्धति से स्थापना की गई. मगर 90 के दशक तक मैने खुद देखा की वहां मूल गोलाकार प्रतिमा की पूजा की जाती थी.
एक अन्य जनश्रुति के अनुसार यह गाँव दंडकारण्य वन का हिस्सा था. जहां कटकरी जनजाति रहती थी. आदिवासी बस्ती अब भी कालू नदीके पार शहर के करीब स्थित है, कण्व ऋग्वेद के कई भजनों और अंगिरस के रचयता थे. उन्होंने शकुंतला को गोद लिया था , जिसे उनके माता-पिता, ऋषि विश्वामित्र और मेनका ने जन्म के तुरंत बाद छोड़ दिया था. शकुंतला की कहानी हिंदू महाकाव्य महाभारत मे मिलती है.
संस्कृत भाषा के विद्वान कवि तथा नाटककार कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम (शकुंतला की मान्यता) नाटक मे वर्णन किया है.
कथित पौराणिक पृष्ठभूमि के साथ शकुंतला द्वारा निर्मित श्री सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर एक टैंक के नीचे डूबा हुआ था. भगवान गणेश की छवि पेशवा सरदार रामचंद्र मेहेंदले ने गाद में दबी पाई थी. इसके तुरंत बाद, मंदिर का नवीनीकरण किया गया और एक पत्थर का मंदिर बनाया गया था.
पेशवा माधवराव प्रथम ने इस नए मंदिर में वसई किले की विजय के बाद इस प्राचीन गणेश प्रतिमा का अभिषेक किया था. प्रारंभ में, मंदिर एक लकड़ी के मंडप के साथ बहुत छोटा था. बाद से मरम्मत का काम फिर से शुरू करके नए मंदिर का निर्माण किया गया था.
वर्तमान मंदिर पेशवाओं द्वारा दान की गई 3–5 एकड़ भूमि पर बनाया गया है, जो मंदिर के वंशानुगत पुजारियों जोशी द्वारा दान की गई अतिरिक्त भूमि के 12 एकड़ को पूरक किया गया था.
मौजूदा ऑडियंस हॉल, नवीकरण के बाद, 90 फीट x 45 फीट को मापता है और दीर्घाओं के साथ प्रदान किया गया है , जो मुख्य हॉल को देखते हैं. जिस चबूतरे पर मंदिर का निर्माण किया गया है वह पत्थर से 3.5 फीट ऊंचा है. मंदिर के हॉल में संगमरमर का फर्श है. छवि और छवि की नाभि को माणिक पत्थरों से सजाया गया है. मुख्य प्रवेश द्वार के दाईं ओर एक शिव लिंग मंदिर के सामने, एक प्रभाव शाली दीपक टॉवर भी है. मंदिर शिखर को अष्टविनायक की मूर्तियों से सजाया गया है ,
सन 2009 में, मंदिर ट्रस्ट और कल्याण डोंबिवली नगर निगम ने 5 साल पहले मंदिर के नवीनीकरण का काम पूरा किया है. नवीकरण कार्य यहां मंदिर में आने वाले भक्तों की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करता है. मंदिर के बगल में स्थित झील, टिटवाला तलाव के गाद को हाल ही में साफ किया गया है और यहां आने वाले लोगों को नौका विहार के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.
विशेष रूप से अंगारिका चतुर्थी को गणेश की पूजा करने के लिए शुभ दिन माना जाता है. यहां गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है, जब करीब पांच लाख से अधिक लोग मंदिर में पूजा के लिए एकत्रित होते हैं. गणेश जयंती या माघी गणेशोत्सव गणेश का जन्मदिन है उस दिन भक्तों की भीड़ रहती है.
टिटवाला गणेश मंदिर के पास विठोबा का प्रसिद्ध मंदिर है , जो कृष्ण का एक स्थानीय रूप और उनकी रुक्मिणी है. श्री शनि मंदिर, श्री स्वामी समर्थ मठ, सद्गुरु निवास आदि तितवाला पूर्व मे स्थित है. टिटवाला पूर्व में साई बाबा मंदिर, श्री हनुमान मंदिर टिटवाला स्टेशन के पास है.
आरती दिन में तीन बार की जाती है. ( सुबह 5 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 6 बजे ). टिटवाला गणेश मंदिर सुबह 5 बजे से 9 बजे तक खुला रहता है.
टिटवाला गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिये कसारा की ओर केंद्रीय लाइन पर, टिटवाला स्टेशन से टिटवाला मंदिर करीब 2.5 किमी की दूरी पर है और ताँगा या ऑटो से वहां तक आसानीसे पहुँचा जा सकता है.
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