“संतप्त शांति चाचा की विटंबना.”

आज सुबह से ही शांति चाचा कुछ मूड मे नहीं था. मैंने पूछा, क्या बात हैं चाचा आज कुछ मूड मे नहीं लग रहे हो. मेरे पूछने पर वो आग बबूला हो उठा. बोला खाक मुड़मे होगा ! सब गड़बड़ चल रहा हैं. सब लोग येनकेन प्रकारेण करोड़ पति बनना चाहता हैं.

इसके लिए वो नीचता की हर हद पार कर रहा हैं. एक जमाना था, तब कहा जाता था, ” विद्वान सर्वत्र पूज्यते.” आज कहा जाता हैं, ” धनवान सर्वत्र पूज्यते.” आपके पास माल हैं, तो ताल हैं, वर्ना रास्ते का हमाल है. शांति चाचा ने अपनी भड़ास निकालते कहा.

मुजे पता हैं, शांति चाचा ईमानदार हैं, सच्चा देश भक्त हैं, उसे कोई अन्याय करें तो पसंद नहीं. उसे काम से मतलब, नाम से नहीं. वो चाहता हैं कि देश और दुनिया मे अमन शांति हो, पुरे विश्व का कल्याण हो. प्राणियों मे सदभावना हो.

जहां भी अन्याय होते दिखा, वो अपनी तीखी प्रतिक्रिया देना शुरु कर देता हैं.

वो भली भाति जानता हैं कि, लोगो को अन्याय, लाचारी और कीड़े मकोड़ो की तरह जीनेकी आदत बन गई हैं. यहीं कारणवश लोग उसके नजदीक आने से परहेज करते हैं. मैंने उसके खंडेपर हाथ रखकर पूछा, चाचा आज कुछ ज्यादा ही परेशान होते नजर आ रहे हो.

चाचा अपनी व्यथा सुनाते बोला, आज सुबह आलू – प्याज़ लेने गया था. मुजे संदेह हुआ. एक मित्र की दुकान मे वजन किया तो 900 ग्राम निकला. हैं कोई पूछने वाला. वेट एंड मेजरमेंट अधिनियमन कानून के तहत हर धंधे वाले को वजन कांटे का रजिस्ट्रेशन करना होता हैं फिर हर साल उस काटे का रिपेरिंग करके मुद्राकन करना जरुरी होता हैं. दुकानदार तो यह प्रकिर्या पुरी करते हैं, मगर फुटपाथ पर बैठने वाले कुछ फेरीवाला तो कांटे मे छेड़छाड़ करके ग्राहकों को लूटने का काम करते हैं. यहां तक की 50 ग्राम की जगह वो लोग पत्थर का वजन रखते हैं.

क्या कभी वेट एंड मेजरमेंट विभाग के अधिकारी वर्ग उनके उपर कार्रवाई करते हैं ? ग्राहक को “ग्राहकराजा” कहा जाता हैं. जनता जनार्दन की ये हालत ?

मैंने शांति चाचा को सांत्वना देते कहा, चाचा जी मैं आपकी व्यथा को समझ सकता हूं.

शांति चाचा ने बात को आगे बढाते कहा, भाईंदर पूर्व के कुछ रिक्शा वाले मुसाफिरों को लूटने मे लगे हैं. सरकार ने रिक्शा वाले को 1.5 किलोमीटर तक 23 रुपिया निर्धारित किया हैं.चाहे आप एक बैठो या तीन पैसेंजर बैठो. मगर यहा के कुछ रिक्शा वाले करीब आधा किलो मीटर की दुरी पर स्थित सरस्वती स्कूल तक जानेके लिए 40 रुपये से 50 रुपये तक वसूलते हैं.

मिरा भाईंदर शहर मे मीरारोड की सभी रिक्शा मीटर पर चलती हैं. जबकि भाईंदर के RTO और यूनियन लीडरो के साथ हुई मीटिंग मे ये तय किया गया था की यदि पैसेंजर को मीटर से चलना हो तो वो मीटर से चल सकता हैं. यदि उसको शेयर रिक्शा मे जाना हो तो वो रिक्शा स्टैंड से वैसे भी जा सकता हैं. मगर भाईंदर की कोई भी रिक्शा मीटर से चलने के लिए तैयार नहीं होती हैं.

भाईंदर पश्चिम की रिक्शा बरोबर चलती हैं. पूर्व की कुछ रिक्शा RTO कानून की धज्जिया उड़ा रही हैं, जिससे सभी रिक्शा वालोका नाम बदनाम हो रहा हैं. शहर की स्वस्थता के लिए RTO विभाग ने भाईंदर पूर्व मे रिक्शा वालों की मनमानी के लिए एक फरियाद नबर सार्वजनिक करके लगाना चाहिए. कई मुसाफिर परेशान हैं. सब सहन करते चुप हैं. विरोध करने वाले शख्स को मुर्ख समझा जाता हैं. स्थानीय RTO विभाग के कर्मचारी ईस संदर्भ मे हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रही हैं ?

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