आजके जमाने में संतूर वादन को इतना लोकप्रिय बनाने का श्रेय पंडित शिवकुमार शर्मा को जाता है. एक वाद्य यंत्र के रूप में संतूर का संगीत बेहद ही मधुर और कर्णप्रिय होता है. शास्त्रीय संगीत से लेकर बॉलीवुड तक जो गाने सुनते हैं, उनमें संतूर का अहम योगदान है. इसे 100 तारों की वीणा भी कहा जाता है.
शिवकुमार शर्मा की शादी मनोरमा शर्मा से हुई है और उनके दो बेटे रोहित और राहुल हैं. उनका बेटा राहुल संतूर वादक है और सन 1996 से शिवकुमार के साथ है. सन 1999 में, शर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने पुत्र राहुल को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया.
पंडित शिवकुमार शर्मा ने सन 1955 में मात्र 17 साल की छोटी उम्र में मुंबई में संतूर वादन का पहला शो किया था. जिसके बाद संतूर की धुन श्रोताओंको पसंद आने लगी थी. इसके बाद इन्होने ई. सन 1956 में फिल्म “ झनक झनक पायल बाजे ” के लिए म्यूजिक कंपोज किया था. फिर उन्होंने सन 1960 में एक एल्बम निकाला. ये बात शायद कम ही लोग जानते है कि पंडित शिवकुमार को आरडी बर्मन के कहने पर फिल्म गाइड का लोकप्रिय गाना ” मोसे छल किए जाए ” में तबला बजाया था और यह गाना लता मंगेशकर ने गाया था.
पंडित श्री शिवकुमार शर्मा का जन्म ता: 13 जनवरी 1938 के दिन जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था. संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है. सन 1999 में रीडिफ.कॉम को दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे.
शिवकुमार के पिताजी ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया था कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें. तब इन्होंने
13 वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ. इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम मुंबई ( तब बंबई ) में 1955 में किया था.
पंडित शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो बनारस घराने से संबंध रखती थीं. श्री शिवकुमार शर्मा ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी माँ का सपना था कि वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाने वाले प्रथम संगीतज्ञ बनें. इस प्रकार उन्होंने 13 वर्ष की आयु में संतूर सीखना शुरू कर दिया तथा अपनी माँ का सपना पूरा किया.
पंडित श्री शिवकुमार शर्मा ने कई संगीतकारों जैसे जैकिर हुसैन और हरि प्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है. उन्होंने हिंदी फिल्मों जैसे “दार”, “सिलसिला”, “लम्हे “, आदि के लिए संगीत भी बनाये है. उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में कॉल ऑफ द वैली, संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार, आदि हैं.
उनका बेटा राहुल भी एक प्रसिद्ध संतूर वादक है. सन 1967 में, कॉल ऑफ द वैली नामक एक अवधारणा एल्बम निर्माण करने के लिए, उन्होंने फ्लॉस्टिस्ट श्री हरिप्रसाद चौरसिया और संगीतकार ब्रज भूषण काबरा के साथ मिलकर काम किया था.
अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने संतूर संगीत पर “द ग्लोरी ऑफ स्ट्रिंग्स- संतूर” (1991), “वर्शा – ए होज़ेज टू द रेन गॉड्स” (1993), “सौ स्ट्रिंग्स ऑफ संतूर” (1994), सहित कई अभिनव प्रयोगात्मक एलबम जारी किए थे.
“द पायनियर ऑफ संतूर (1994)”, “संप्रदाय” (1999), “व्हाइब्रंट म्यूजिक फ़ॉर रेकी” (2003), “एसेन्शल इवनिंग चंट्स”(2007) द लास्ट वर्ड इन संतूर (2009) और संगीत सरताज (2011)
उन्होंने “सिलसिला” (1981), फसलनी (1989), “लम्हे” (1991) और “दरार” (1993) जैसी कई फिल्मों के लिए हरि प्रसाद चौरासिया के साथ संगीत भी बनाया. उन्हें ” शिव-हरि” संगीत जोड़ी के रूप में जाना जाता है.
ई. सन 2002 में, उन्होंने अपनी आत्मकथा ” जर्नी विद एक सौ स्ट्रिंग्स: माई लाइफ इन म्यूजिक ” प्रकाशित की है. वह संतूर संगीत को अपने छात्रों को निःशुल्क पढ़ाते थे, जो भारत भर से और जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसी दुनिया के विभिन्न हिस्सों से उनके पास आते थे.
शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं. एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है. इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें. इनका प्रथम एकल एल्बम 1960 में आया. 1965 में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया था.
सन 1967में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है इन्होंने पं.हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया है.
शिवकुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 1985 में उन्हें अमरीका के बोल्टिमोर शहर की सम्माननीय नागरिकता प्रदान की गई. सन 1986 में शिवकुमार शर्मा को ” संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ” से सम्मानित किया गया.
सन 1991 में उन्हें ” पद्मश्री पुरस्कार” से सम्मानित किया गया. और 2001 में उन्हें ” पद्म विभूषण पुरस्कार ” से सम्मानित किया गया.
शिवकुमार शर्मा ने ” जर्नी विद ए हंड्रेड स्ट्रिंग्स: माई लाइफ इन म्यूजिक ” नाम से एक आत्मकथा लिखी है. इस किताब की सह-लेखिका इना पुरी हैं.
भारत के संगीतकार और मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई के एक अस्पताल में कार्डिएक अरेस्ट के कारण दिनांक 10 मई 2022 को निधन हो गया. वह 84 साल के थे. बताया जाता है कि वह 6 महीनों से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. और डायलिसिस पर थे.