आप लोगोंने सुना होगा कि पुलिस गुन्हा कबूल करवाने के लिए थर्ड डिग्री का इस्तमाल करते हैं. थर्ड डिग्री का मतलब है किसी कैदी से कबूलनामा करवाने के लिए उसे मानसिक या शारीरिक यातना देना और पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया दुर्व्यवहार, मनोवैज्ञानिक दबाव, नींद की कमी यानी सोने नहीं देना जैसा दुर्व्यवहार शामिल होता है.
अपराधियों या विचाराधीन कैदियों के साथ किसी तरह की ज्यादती या शारीरिक प्रताड़ना पूरी तरह गैरकानूनी है लेकिन फिर भी पुलिस अपराधियों से सच उगलवाने के लिए चोरी छिपे हल्की मारपीट से लेकर थर्ड डिग्री तक का इस्तेमाल करती है.
आरोपी बदमाश चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो, वारदात का राज उगलवाने के लिए पुलिस ऐसे-ऐसे हथकंडे अपनाती है कि अच्छे से अच्छों के पसीने छूट जाता हैं. कुछ पुलिसिया हथकंडे ऐसे होते हैं जिन्हें देखकर ही बदमाश सच बोलना शुरू कर देते हैं.
सोशल मिडिया पर वायरल तथ्य के अनुसार आम लोगोंकी भाषामे इन तरीकों को हम भले ही थर्ड डिग्री का नाम दें, लेकिन पुलिस ने इन्हें स्पेशल नाम दिए हैं. जैसे “आन मिलो सजना”, “पैट्रोल मार”, “गुल्ली-डंडा” और “हेलिकॉप्टर मार” इनमें से प्रमुख हैं. आइए आपको हम बताते हैं पुलिस इनका इस्तेमाल अपराधियों पर कैसे करती है.
“आन मिलो सजना” :
“आन मिलो सजना” में अकड़ जाता है कमर के नीचे का हिस्सा. हम आपको आज बता रहे हैं पुलिस के ऐसे स्पेशल हथकंडे जिन्हें पुलिस स्टेशन में शातिर अपराधियों से जुर्म कबूलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
यह स्पेशल हथियार लैदर का एक पट्टा होता है, जिसके एक ओर लिखा होता है “आन मिलो सजना” और दूसरी ओर अंकित होता है “समाज सुधारक”.
इस स्पेशल हथियार को पुलिस ऐसे शातिर अपराधियों पर इस्तेमाल करती है जो आसानी से मुंह नहीं खोलते. इसे इस्तेमाल करने का पुलिस का अपना तरीका है.
सबसे पहले बदमाश को नग्न कर हाथ-पैर बांध दिए जाते है. फिर उसे पीठ के बल लिटाकर उसके ऊपर एक पुलिसवाला बैठ जाता है. फिर लैदर के पट्टे को भिगोकर धीरे-धीरे उसकी पीठ पर मारा जाता है. पुलिस अपनी ओर समाज सुधारक नाम रखती है और आन मिलो सजना का निशान बदमाश की पीठ पर पड़ता है. दो-चार पट्टे पड़ते ही बदमाश तोते की तरह बोलना शुरू कर देता है.
“हेलिकॉप्टर मार” :
हेलिकॉप्टर मार को सुनकर तो चौंक जाएंगे आप यह बिना डंडे का पुलिस का एक स्पेशल टॉर्चर है. इसमें सबसे पहले तो बदमाश को रस्सियों से उलटा लटका दिया जाता है. हाथ-पैर बांधने के बाद उसे घंटों ऐसे ही रखा जाता है. इस दौरान उसे हाथ तक नहीं लगाया जाता.
दो-चार घंटे के बाद बदमाश के हाथ और सिर का ब्लड सर्कुलेशन नीचे आने लगता है और शरीर सुन्न हो जाता है. इस स्थिति में बदमाश ज्यादा देर सहन नहीं कर पाता और सब उगल देता है.
“गुल्ली-डंडा” डिग्री :
मोहल्ले का नहीं पुलिसिया स्पेशल है यह गुल्ली-डंडा. यह टॉर्चर बेहद ही दर्दनाक होता है. इसमें पुलिस बदमाश को गुल्ली-डंडे का आकार देती है. हाथ और पैर बांधकर बदमाश को लंबे और मोटे डंडे के बीच फंसा देते है. इसे ही गुल्ली-डंडा कहते है.
डंडे में पूरी तरह से फिट करने के बाद पुलिस उसकी आंखों पर तेज लाइट का फोकस करती है. तेज लाइट आंखों पर पड़ने के बाद अच्छे से अच्छा शातिर भी बिना सवालों का जवाब दिए नहीं रह पाता.
” पेट्रोल-मार ” डिग्री :
पेट्रोल-मार सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. शातिर से शातिर बदमाश से सच उगलवाने के लिए पेट्रोल मार पुलिस का सबसे खतरनाक हथियार होता है. इसमें पुलिस पहले तो बदमाश को पूरा नग्न कर देती है. फिर उसके नाजुक अंगो में पेट्रोल डाल देती है. इसे कभी-कभी खूंखार अपराधियों पर इस्तेमाल किया जाता है.
इसमें पुलिस बदमाश को रस्सियों से बांधकर एक डंडे के सहारे लटका दिया जाता है. कुछ ही घंटों में बदमाश के लिए खड़ा रहना मुश्किल हो जाता है.
आधिकारिक रुप से पुलिस अब इन हथकंडो को इस्तेमाल नहीं करती हैं, लेकिन कई बार खूंखार अपराधियों पर इन्हें छिपते-छिपाते प्रयोग में लाया जाता है. हालांकि पुलिस के ये स्पेशल हथकंडे अब भी उत्तर भारत के कई थानों में आम बात है. ( समाप्त )