सबका मालिक एक – शिर्डीके साईंबाबा

शिरडी भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले (आधिकारिक तौर पर अहिल्या नगर ) के राहाता तालुका में स्थित एक नगर और मुख्यालय हैं. यह राष्ट्रीय राजमार्ग पर अहमदनगर से करीबन 83 किमी और कोपरगाँव से करीब 15 किमी दूर है.

यह स्थान सांईबाबा के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ एक विशाल सांई बाबा का समाधी मन्दिर है. इसलिए इसे सांईनगर शिरडी भी कहते हैं. सांई मन्दिर विश्व के सबसे अमिर मन्दिरों मैं से एक हैं.

साईबाबा शुरू से विवादित रहे हैं. कोई उसे हिंदू कहते हैं, तो कोई उसे मुसलमान कहते हैं. साईबाबा हयात थे तब उनका हिंदू – मुसलमान दोनोसें अच्छा रिस्ता था. वो हमेशा कहते थे कि ” सबका मालिक एक हैं.” उन्होंने हिंदू तथा मुसलमान सहित सभी धर्मो के अनुयायी ओको एकता, भाईचारा का संदेश दिया.

शिरडी साईं बाबा के बारे में भक्त

अन्नासाहेब दाभोलकर / गोविंद रघुनाथ

ने सन 1929 में मराठी में श्री साईं सच्चरित्र नामक पुस्तक लिखी थी. इस पुस्तक के अनुसार श्री साईं बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था एवं उनके माता-पिता कौन थे ये बातें अज्ञात हैं.

किसी दस्तावेजसे इसका प्रामाणिक पता नहीं चलता है. स्वयं शिरडी साईं ने इसके बारे में कुछ नहीं बताया है. श्री साईं बाबा के जीवनकाल में लिखे गए श्री संतकवि दासगणु महाराज कृत भक्तिलीलामृत ( वर्ष 1906 एवं शके 1828 ) और संतकथामृत ( वर्ष 1908 तथा शके 1830 ) इन दोनों ग्रंथोमें तथा समकालीन महत्वपूर्ण दस्तावेजोंमें बाबा के जन्म स्थानके बारेमें कोई जानकारी नहीं है.

कुछ लोगोंका यह कहना हैं कि श्री

साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में हुआ था. उनकी मां का नाम देवकी अम्मा और पिता का नाम गोविंद भाऊ बताया जाता है. कुछ लोग गोविंद भाऊ की जगह गंगाभाऊ भी कहते हैं और मां का नाम देवगिरि अम्मा. कहा जाता है कि देवगिरि के पांच बेटे थे, जिनके नाम क्रमश: रघुपत भुसारी, दादा भुसारी, हरिबाबू भुसारी, अम्बादास भुसारी और बालवंत भुसारी थे. सांईं बाबा गंगाभाऊ और देवकी के तीसरे नंबर के बेटे थे, यानी हरिबाबू भुसारी.

बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री ने साईं बाबा के धर्म को लेकर एक बार फिर वो विवाद छेड़ दिया था , जिसमें साईं बाबा को चांद मियां बताया गया था. एक टीवी शो में उनसे जब पूछा गया कि उन्होंने साईं बाबा को चांद मियां क्यों कहा था, तो धीरेंद्र शास्त्री बोले- हम तो उस वक्त थे नहीं, अगर होते तो देख पाते कि साईं बाबा टोपी पहनते थे कि माला! बता पाते कि साईं बाबा हिन्दू थे या मुसलमान थे. हमने जो सुना, कोर्ट ने जो कहा, एक पत्रकार ने ऐसा कहा था.

साईं बाबा के धर्म पर कभी सवाल उठाने वाले बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि वो संत के नाते साईं बाबा का सम्मान करते हैं. उन्हें जब खुद पर आपत्ति नहीं तो किसी साधु से क्यों आपत्ति होगी. उन्होंने कहा, “हमने जो सुना वो कहा था. एक पत्रकार ने ही कहा था कि साईं बाबा चांद मियां थे. उनकी जो कमेटी के लोग हैं, उन्होंने माफी मांगी. हमसे ज्यादा आरोप तो उस पत्रकार पर होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि हमारा किसी संत या धर्म के प्रति अनादर नहीं है. हम बस ये बताना चाहते हैं कि हम अपने धर्म के कट्टर हैं.

मजार के आकार पर सवाल :

करीब आठ साल पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा के धर्म पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि वो मुसलमान थे. उनका तर्क था कि शिरडी में साईं बाबा की मजार बनी हुई है, उसी से उनका मुस्लिम होना साबित होता है. क्योंकि, हिंदुओं में जो समाधि दी जाती है, वह गोल आकार की होती है, जबकि मुस्लिमों में मजार लंबे आकार की होती है.

उन्होंने कहा था कि साईं की जहां मजार बनाई गई है, वहां मूर्ति भी लगा दी गई है. कब्रिस्तान होने से वहां न तो सच्चा हिंदू जाता है और मूर्ति लगाने के कारण मुसलमान भी नहीं जाता. यह तमाशा नहीं तो और क्या है ?

साईं बाबा के पैतृक घर के पास में ही एक मुस्लिम परिवार रहता था. उस परिवार के मुखिया का नाम चांद मियां था. उनकी पत्नी का नाम था- चांद बीबी. बताया जाता है कि उनकी कोई संतान नहीं थी. हरिबाबू यानी कि साईं बाबा उनके घर पर अपना काफी समय बिताया करते थे. चांद बीबी भी हरिबाबू को अपने बेटे की तरह मानती थीं. उन्हें चांद मियां कहे जाने के तार यहीं से जुड़े हैं.

अपने जीवन साईं बाबा ने परोपकार किए हैं. बहुत सारे लोग उन्हें चमत्कारी भी मानते रहे हैं. उनके जीवन में एक नाम आता है, चांद पाशा पाटिल का, जो कि धूपखेड़ा के मुस्लिम जागीरदार थे. एक बार उनका घोड़ा कहीं गुम हो गया था तो साईं बाबा ने एक आावाज लगाकर उसे बुला दिया था. शिरडी आने से पहले साईं बाबा धूपखेड़ा में इन्हीं चांद पाशा पाटिल के यहां पर ठहरे थे. वहीं से वे एक बारात में दूसरी बार शिरडी पहुंचे और फिर वहीं बस गए.

श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी, श्री साईबाबा समाधि मंदिर में दिन प्रति दिन की गतिविधियों को नियंत्रित करने और प्रबंधित करने के लिए अधिकृत निकाय है. यह आवास, भोजन (निःशुल्क), जलपान और बहुत कुछ जैसी विभिन्न सुविधाएँ भी प्रदान करता है. संस्थान ट्रस्ट स्कूल और कॉलेज (जूनियर और सीनियर), जूनियर केजी से कक्षा दस तक अंग्रेजी माध्यम स्कूल, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ( ITI ), पेयजल आपूर्ति, अस्पताल, साईबाबा सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल और श्री साईनाथ अस्पताल चैरिटी के आधार पर) भी चलाता है.

शिरडी साईं बाबा के जन्म को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है. हालांकि, कई साईं भक्त 28 सितंबर को साईं बाबा का जन्मदिन मनाते हैं. कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 दिसंबर, 1835 को हुआ था. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म 1838 में हुआ था.

एक बार अपने एक भक्त के पूछने पर साईं ने कहा था कि, उनका जन्म ता : 28 सितंबर 1836 को हुआ था. इसलिए हर साल 28 सितंबर को साईं का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

अगस्त 1918 में, शिरडी साईं बाबा ने अपने कुछ भक्तों से कहा कि वह जल्द ही “अपना देह छोड़ देंगे” सितंबर के अंत में उन्हें तेज बुखार हुआ और उन्होंने खाना बंद कर दिया. जैसे-जैसे उनकी हालत बिगड़ती गई, उन्होंने अपने शिष्यों से उन्हें पवित्र ग्रंथ सुनाने के लिए कहा.

हालाँकि उन्होंने आगंतुकों से मिलना भी जारी रखा.15 अक्टूबर 1918 को, उसी वर्ष विजयादशमी उत्सव के दिन, साईने अपना अवतारकार्य समाप्त करते हुए महासमाधी ली. उनके पवित्र देह को शिरडी के बूटी वाडा में दफनाया गया और वहा श्री साई की अलौकिक एवं अविनाशी तुर्बत का निर्माण किया गया, जो बाद में एक पूजा स्थल बन गया जिसे आज श्री समाधि मंदिर या शिरडी साईं बाबा मंदिर के रूप में जाना जाता है.

हालही में साईं संस्थान शिर्डी द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीधा प्रवेश का प्रबंध किया हैं. वरिष्ठ नागरिक अपने साथ एक व्यक्ति को लें जा सकता हैं. दर्शन को आनेवाले प्रत्येक भाविक भक्त को बूंदी का प्रसाद वितरण किया जाता हैं. शिर्डी संस्थान द्वारा दो लडडू के प्रसाद का पैकेट 20 रुपये में भी दिया जाता हैं.

कुछ भी हो मगर साईबाबा के पास

जाने वाली अधिकांश भक्तो की मन्नत पूरी होती हैं. इतने विवादों के बाद भी देश विदेश से उनके भक्तो की संख्या में दिन प्रतिदिन संख्या बढ़तीय जा रही हैं.

श्री साईबाबा प्रसादालय :

शिरडी साईं प्रसादालय ने सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अध्यात्म के साथ मिलकर विज्ञान का सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. उनके प्रसादालय को दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा से चलने वाला निःशुल्क भोजन रसोईघर कहा गया है. इन तथ्यों और आंकड़ों को जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

श्री साईबाबा ने अपने जीवनकाल में हमेशा पीड़ितों को ठीक किया और गरीबों की सेवा की. शिरडी में रहने के दौरान वे खुद खाना बनाकर भूखे लोगों और जानवरों को खाना खिलाते थे. साईं के इस अनुष्ठान को आगे बढ़ाते हुए श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट ने 2009 में शिरडी में प्रसिद्ध श्री साईं प्रसादालय का निर्माण किया. यह प्रसादालय साईं के सभी को मुफ्त भोजन के सिद्धांत को बढ़ावा देता है और इसे एशिया का सबसे बड़ा प्रसादालय माना जाता है.

श्री साईं प्रसादालय में शिरडी पुलिस स्टेशन के पीछे 11,550 वर्ग मीटर में फैला एक विशाल भोजन कक्ष है. भूतल पर कुल 3,500 भक्तों के बैठने की क्षमता वाला एक विशाल अखाड़ा बनाया गया है. साथ ही, पहली मंजिल पर 1,000 -1,000 लोगों के बैठने की सुविधा वाले दो अलग-अलग हॉल बनाए गए हैं.

इस रसोई के माध्यम से नियमित रूप से 60,000 से अधिक भक्तों को निःशुल्क भोजन परोसा जाता है,जबकि रामनवमी, नववर्ष, दशहरा, गुरु पूर्णिमा जैसे त्योहारों के दौरान यह संख्या कुल 85,000 -1,00,000 भक्तों तक पहुँच जाती है. साईं बाबा के भक्तों के लिए इस भोज के आयोजन में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, जो दुनिया भर से उनकी दिव्य भूमि के दर्शन करने आते हैं.

प्रसादालय में परोसा जाने वाला भोजन साईंनाथ का प्रसाद माना जाता है. यह भोजन सबसे पहले साईं को और फिर उनके समर्थकों को समर्पित किया जाता है. भोजन में दाल, चपाती, चावल, दो तरह की सब्जियाँ और मिठाई शामिल होती है. यह सभी भक्तों को मुफ़्त परोसा जाता है.

इसके अलावा, भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता का सबसे ज़्यादा ध्यान रखा जाता है. साईं प्रसादालय शिरडी आने वाले साईं के हर अनुयायी को स्वादिष्ट प्रसाद खिलाने की कोशिश करता है ताकि उनके आध्यात्मिक आदरणीय के घर से कोई भी भूखा न जाए.

डाइनिंग हॉल और टिकट :

यहाँ तीन डाइनिंग हॉल हैं.

(1) ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल जिसमें एक बार में 4500 भक्त बैठ सकते हैं. हॉल में प्रवेश करने के लिए भक्तों को काउंटर से टिकट लेना होगा (टिकट निःशुल्क हैं).

(2) पहली मंजिल पर 1000 लोगों के बैठने की क्षमता वाले दो हॉल. इन दोनों हॉल में डाइनिंग टेबल हैं और यहाँ भोजन का भुगतान करना होता है. ग्राउंड फ्लोर पर टिकट काउंटर पर टिकट उपलब्ध हैं. (वर्तमान में इस हॉल के लिए प्रति व्यक्ति 50 रुपये का शुल्क लिया जाता है)

दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संचालित रसोईघर :

श्री साईप्रसादालय ने न केवल एक नेक काम किया बल्कि अपने रसोईघर को स्मार्ट रसोईघर में बदलने के लिए विज्ञान और तकनीक दोनों का शानदार उपयोग किया हैं. यह पूरी तरह सौर ऊर्जा से कार्य करता है. यह 73 सौर व्यंजनों के साथ 4 छतों पर फैला हुआ है, जो इसे भारत में सौर ऊर्जा से चलने वाला सबसे बड़ा रसोईघर बनाता है.

सौर व्यंजन प्रत्येक दिन लगभग 50,000 भोजन तैयार करने के लिए ईंधन प्रदान करते हैं और सभी व्यंजनों से केंद्रित ऊष्मा एक दिन में 4200 किलोग्राम भाप बनाती है. ये व्यंजन सूर्य के प्रकाश को पानी वाले रिसीवरों पर केंद्रित करते हैं, जिससे भाप उत्पन्न होती है जो भोजन पकाने के लिए रसोईघर तक पाइप के माध्यम से पहुँचती है.

इस संयंत्र के माध्यम से प्रति दिन 2 टन से अधिक चावल पकाया जाता है, जिससे 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक की रसोई गैस की बचत होती है. इसने प्रतिष्ठित कंसन्ट्रेटेड सोलर थर्मल CST और सोलर कुकर एक्सीलेंस अवार्ड 2016 भी जीता है. इस सौर रसोई ने अब तक ट्रस्ट के 60 लाख रुपये के गैस बिल की बचत की है.

प्रसादालय में प्रयुक्त मशीनरी :

16 वर्ग फीट के 73 सौर ऊर्जा पैनल लगाए गए हैं जो श्री साईप्रसादालय में खाना पकाने के लिए भाप प्रदान करते हैं. 20 टन थर्मल फ्लूइड हीटिंग सिस्टम की क्षमतावाली LPG गैस परियोजना का निर्देश दिया गया है, जिसका उपयोग प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए किया जाता है, जिससे 30% गैस की बचत होती है.

भक्तों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए 2500 लीटर/घंटा क्षमता वाला आरओ प्लांट लगाया गया है. बर्तन धोने के लिए दो आयातित बर्तन धोने की मशीनों का उपयोग किया जाता है. यहां सब्जियां काटने के लिए दो आयातित मशीनों का उपयोग किया जाता है. चावल, सब्जियां, फलियां धोने के लिए तीन आयातित मशीनों का उपयोग किया जाता है.

आटा पीसने के लिए ऑनलाइन चक्की इकाई स्थापित की हैं. सब्जियों और सूखे खाद्य पदार्थों के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध है. चपाती बनाने की मशीन का भी उपयोग किया जाता है. प्रक्रिया को स्वचालित करने और भोजन में मैनुअल स्पर्श को कम करने और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लिए विभिन्न छोटी मशीनों का उपयोग किया जाता है.

शुद्ध पानी की सुविधा :

आरओ प्लांट लगाया गया है जिसकी क्षमता 2,500 लीटर प्रति घंटा है. इसके अलावा बर्तन धोने, सब्जियां काटने, खाद्य पदार्थों को धोने के साथ साथ आटा और मसाले पीसने के लिए मशीनें भी स्थापित की गई हैं. साथ ही, सभी खाद्य सामग्री के लिए उचित भंडारण की सुविधा भी उपलब्ध है.

बायो गैस प्लांट :

भक्तों की थालियों से बचा हुआ खाना अक्षय ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है. प्रसादालय परिसर में 5 मीट्रिक टन क्षमता का बायो गैस प्लांट लगाया गया है. जिससे प्रतिदिन 200 किलोग्राम एलपीजी की बचत होती है.

खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला :

प्रसादालय में किराने का सामान, घी, तेल और अन्य खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशाला स्थापित की गई है.

पुरस्कार :

श्री साईं प्रसादालय ने एक मजबूत सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए आध्यात्मिकता के साथ मिलकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम संभव तरीके से उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. साईं प्रसादालय को दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संचालित निःशुल्क भोजन रसोईघर कहा गया है.

*** खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली का ISO 2000:2005 अनुपालन.

*** गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली का ISO 9001:2015 अनुपालन.

*** धार्मिक क्षेत्र में सबसे बड़ी सौर खाना पकाने की प्रणाली का उपयोग करने के लिए भारत सरकार के नवीन अक्षय ऊर्जा मंत्रालय से सौर तापीय पुरस्कार और योग्यता प्रमाण पत्र.

सामान्य हॉल में भोजन करने वाले भक्तों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है, इसके अलावा भोजन मुफ्त में वितरित किया जाता है. मरीजों और मरीजों के रिश्तेदारोंके लिए श्री साईनाथ अस्पताल और साईबाबा अस्पताल.

“द्वारकामाई उरद्धाश्रम” (वृद्धाश्रम).

संत दिनेश्वर स्कूल.

बिन्द मूक-बधिर विद्यालय, बाभलेश्वर.

सबका मालिक एक स्कूल, शिरडी.

अन्नदान के लिए दान योजनाएँ :

अन्नदान निधि: इस निधि का उपयोग प्रसादालय गतिविधि, भक्तों को मुफ्त भोजन, अस्पताल के मरीजों, वृद्धाश्रमों को भोजन, मूक-बधिर विद्यालयों के छात्रों के लिए किया जाता है.

नोट : अन्नदान निधि के लिए प्राप्त दान आयकर की धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए लागू होगा.

निःशुल्क प्रसाद भोजन योजना :

भोजन योजना के अंतर्गत भक्त भक्त को निःशुल्क भोजन के लिए 50,000 रुपये या उससे अधिक का दान दे सकते हैं. भक्त द्वारा बुकिंग की तिथि के लिए दानकर्ता भक्त का नाम डोनर बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाएगा. इस योजना के लिए राशि स्थानीय काउंटर के साथ-साथ ऑनलाइन भी स्वीकार की जाती है. ( www.online.sai.org.in )

नोट: धार्मिक कार्यक्रम निधि (क्रमांक 6 से 11) के लिए प्राप्त दान आयकर की धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए लागू नहीं होगा.

आवास पर प्रसादालय:

साईंआश्रम भक्ति निवास, साईंबाबा भक्ति निवास, द्वारावती भक्ति निवास जैसे भक्त केंद्रित स्थानों पर भी प्रसादालय खोले जाते हैं. इससे भक्त को आवास स्थल पर ही भोजन करने की सुविधा मिलेगी.

प्रसादालय के लिए बस सुविधा :

प्रसादालय संस्थान की बसों द्वारा सभी आवासों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. ये बसें निःशुल्क हैं और आवास स्थान से मंदिर होते हुए प्रसादालय तक नियमित अंतराल पर चलती हैं. ( समाप्त )

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