ता : 26 जनवरी 1963 को भारत सरकार ने मोर को देश का राष्ट्रीय पक्षी (National Bird Of India) घोषित किया था. भारतीय वन अधिनियम 1972 के तहत मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित होने पर संरक्षित किया गया है. इसका शिकार करना कानूनी अपराध है. वीटीआर के जगंलों में बहुतायत पाए जाने वाले मोर के बारे में कई ऐसे रोचक तथ्य हैं, जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे.
वीटीआर डिवीजन-वन के फॉरेस्ट ऑफिसर प्रद्युम्न गौरव के अनुसार मोर के बारे में एक मिथ प्रसिद्ध है कि यह कभी निषेचन क्रिया नहीं करते हैं. नर मोर का आंसू पीकर मादा मोर गर्भवती होती है. दरअसल, यह तथ्य बिलकुल ही गलत है. अन्य प्राणियों की तरह ही मोर भी निषेचन क्रिया करते हैं.
आमतौर पर मादा मोर निषेचन क्रिया के लिए अपने साथी नर मोर का चुनाव उसके आकार, रंग, पंखों और पूंछ की सुंदरता देखकर करती हैं. मोरनी अंडे देने की लिए घोंसला नहीं बनाती, यह जमीन पर ही सुरक्षित स्थान पर अपने अंडे देती है. मोरनी एक समय में 3 से 5 अंडे देती हैं, जिनसे लगभग 28-30 दिनों के बाद बच्चे निकल आते हैं.
प्रद्युम्न गौरव ने मोर के बारे में एक प्रसिद्ध तथा रोचक जानकारी दीते हैं कि समय के साथ-साथ जहां सभी प्राणियों ने सर्वाइवल हेतु खुद में कई प्रकार के बदलाव किए हैं. लेकिन मोर में इस बदलाव को बेहद कम देखा गया है. दरअसल, नर मोरों के शरीर पर लंबे और भारी पंख होते हैं, जिन्हें ट्रेन ऑफ फेदर्स कहा जाता है. इनकी वजह से उन्हें जंगल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
विकास के सिद्धांत को देखा जाए तो सभी जीवों ने सर्वाइव हेतु ऐसे अंगों का त्याग किया है, जो उनके सर्वाइवल में बाधक है. लेकिन कुछ जीव ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बदलाव को स्वीकार नहीं किया. मोर उनमें से एक है.
मोर के शरीर की 60 प्रतिशत लंबाई पूंछ है. एक मोर की औसतन आयु 20 वर्ष होती है. इन्हें झुंड में रहना पसंद होता है. इनके एक झुंड में 6 से 10 मोर रहते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इनके पूंछ बहुत ही लम्बे होते हैं. इनकी लम्बाई का 60% हिस्सा इनके पूंछ से ही आता है. वीटीआर के जंगलों में यह बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं.
मोर के बारे में कुछ रोचक बातें :
*** मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी माना जाता है.
*** मोर की उम्र 25 से 30 साल तक होती है.
*** मोर की रफ़्तार 16 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.
*** मोरनी घोंसला नहीं बनाती, बल्कि ज़मीन पर सुरक्षित जगह पर अंडे देती है.
*** मोर की पूंछ बहुत लंबी होती है और शरीर की लंबाई का 60% हिस्सा पूंछ से ही आता है.
*** मोर के पूंछ के पंख असली पूंछ के पंख नहीं होते, बल्कि ये ऊपरी पूंछ के आवरण होते हैं.
*** मोरनी, सबसे ज़्यादा ओसेली वाले मोरों को चुनती है.
*** मोर के प्रजनन के मौसम में, वह अपनी संभोग सफलता को बेहतर बनाने के लिए पूंछ की अच्छी स्थिति बनाए रखता है.
*** मोर सर्वाहारी होता है और कीड़े, कृमि, छिपकलियां, मेंढक, सांप खाता है.
*** मोर को मध्यकालीन समय में अमीर लोगों की मेज़ पर धन के प्रतीक के रूप में परोसा जाता था.
*** मोर के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं. भगवान कार्तिकेय की सवारी मोर है जिसका नाम परवानी है.
*** मोर को घमंडी पक्षी कहा जाता है.
*** मोर दुनिया का सबसे खूबसूरत पक्षी है.
*** मोर के पंख हरे, नीले और सुनहरे रंग के होते हैं और शरीर नीले रंग का होता है.
*** भारी पंख होने की वजह से मोर बहुत ऊंचा नहीं उड़ सकते हैं.
*** मोर को मयूर नामसे भी जाना जाता हैं.
*** वर्षा ऋतू आने पर मोर अपने पंख खोलकर नाचने लगते हैं.
*** मोर की कुछ प्रजाति सफेद रंग की भी होती है.
*** मोर पौधे और कीड़े दोनों खाते हैं.
*** भारत में मोर का शिकार करना गैर कानूनी है.
*** भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट में मोर पंख लगाते थे.
*** वर्षा ऋतू के आते ही मोर अपने पंखों को फैलाकर नृत्य करते और उनका यह नृत्य बहुत मनमोहक होता है.
*** मोर से लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी है. मोर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन भी है.
*** ज्यादातर खूबसूरत पंख वाले मोर नर होते हैं।
*** मोर अपने पंखों को 4.9 मीटर तक फैला सकते हैं.
***:मोर मोरनी से दो गुना बड़े होते हैं.
मोर 11 तरह की आवाज निकाल सकते हैं.
*** मोर दिन में 5 से 6 घंटे सोते हैं.
मोर के प्रकार :
मोर तीन तरह की प्रजातियों में आते हैं
(1) पहला भारतीय मोर, जो भारत और श्रीलंका में पाए जाते हैं.
(2) दूसरा हरा मोर, यह इंडोनेशिया में पाए जाते है और
(3) आखिरी कांगो मोर, ये अफ्रीका में मिलते हैं. भारतीय और हरे मोर के सिर पर एक आकर्षक शिखा और लंबे रंगीन पंख होते हैं, दूसरी ओर कांगो मोर की शिखा कम आकर्षक होती है और इसकी छोटी पूंछ होती है. भारतीय और हरे मोर दोनों ही कांगों मोर के मुकाबले ज्यादा सुंदर दिखते हैं.
भारत की सभ्यता में मोर का एक अहम स्थान प्राचीन काल से ही रहा है. हिंदू धर्म में मोर के पंख को धन की देवी माँ लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती से जोड़ा जाता है. इसलिए अक्सर आपने लोगों के घर या किताबों में मोर पंख देखा होगा. इसके अलावा श्री कृष्ण के मुकुट पर भी मोर पंख लगा रहता है. जिससे मोर को एक पवित्र पक्षी माना जाता है. पहले के जमाने में लोग मोर का पंख उपयोग करके कविताएं और किताबें भी लिखते थे.
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