सुपरहिट अदाकारा माला सिन्हा.

आज मुजे बॉलीवुड हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्रीज की ऐसी अभिनेत्री की बात करनी है कि जिसने अपनी अदाकारी से हिंदी फ़िल्म दर्शकों को पागल बनाया था. उन्होंने हिंदी ही नही बल्कि बंगला और नेपाली भाषी फिल्मों में भी अपनी अदाकारी के मोती बिखेरे है.

पचास , साठ , सत्तर के दशक मे माला सिन्हा का जादू फ़िल्मी दर्शकों पर राज करता था. लोग उनकी अदाकारी पर पागल बन गए थे. माला सिन्हा का जन्म ता : 11 नवंबर 1936 के दिन हुआ था. बॉलीवुड इंडस्टीज के जाने माने अभिनेता और निर्देशक गुरु दत्त ने सन 1957 मे अपनी फिल्म ” प्यासा ” में माला सिन्हा को रोल दिया था.

वास्तव मे गुरु दत्त जी पहले मधुबाला को लेना चाहते थे. प्यासा सफल होने के बाद, फिर सुबह होगी (1958) और यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म धूल का फूल, (1959) फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी. और माला सिन्हा स्टार बन गई थी.

उसके बाद सफलता का सिलसिला शुरु हुआ और उजाला, मैं नशे में हूँ, दुनिया ना माने, लव मैरिज (1959), बेवक़ूफ़ (1960), माया (1961), हरियाली और रास्ता, दिल तेरा दीवाना (1962), अनपढ़ और बम्बई का चोर (1962) जैसी कई सफल फिल्मों मे उन्होंने अदाकारी से दर्शकों का मन मोह लिया था.

माला जी सन 1950 से लेकर सन 1970 के दशक तक हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही थीं. उन्होंने सौ से अधिक फिल्मोंमें अभिनय किया, जिस में प्रमुख फ़िल्म अनपढ़, दिल तेरा दीवाना (1962 ), गुमराह, बहुरानी, गहरा दाग़ ( 1963 ), 1965 मे रिलीज हुई फ़िल्म हिमालय की गोद में आदि हैं.

माला सिन्हा ने राजेश खन्ना, देव आनंद , किशोर कुमार , धर्मेन्द्र, राज कुमार, राजेन्द्र कुमार, विश्वजीत और मनोज कुमार के साथ फिल्मों में काम किया. मालासिन्हा का जन्म नेपाली मूल के परिवार में हुआ था. उनके पिता श्री का नाम अल्बर्ट सिन्हा था और वह नेपाली ईसाई थे.

माला सिन्हा ने 1966 में नेपाली अभिनेता चिदंबर प्रसाद लोहानी से शादी की थी. अपनी शादी के बाद, वह फिल्मों के फिल्मांकन के लिए मुम्बई आती रहती थीं और उनके पति नेपाल में रहकर अपना व्यवसाय चलाते थे. शादी से उनकी एक बेटी है प्रतिभा सिन्हा, जो बॉलीवुड की अभिनेत्री हैं.

अपनी सफल 1960 और 1970 के दशक की भूमिकाओं में, उन्हें राज कपूर, देव आनंद, किशोर कुमार और प्रदीप कुमार जैसे बड़ी उम्र के कलाकार और 1950 के दशक के उत्तरार्ध मे नये सितारे जैसे शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार और राज कुमार के साथ अभिनय किया था. उन्होंने अपने दौर के कई नामचीन कलाकारों के साथ काम किया जिनमें मनोज कुमार, धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना, सुनील दत्त, संजय ख़ान, जीतेन्द्र और अमिताभ बच्चन शामिल हैं.

उन्होंने सन 1959 मैं नशे में हूँ , लव मैरिज, सन 1961 मे माया, धर्म पुत्र, सन 1962 मे हरियाली और रास्ता,दिल तेरा दीवाना, सन 1963 गुमराह,1964 सुहागन, पूजा के फूल, सन 1965 मे हिमालय की गोद में जैसी सुपर हिट फ़िल्म मे अपना यादगार किरदार निभाया.

माला के बचपन का नाम आल्डा था. जब वो स्कूल जाती थीं तो उनके दोस्त उन्हें डालडा कहकर पुकारते थे. वहीं माला की माताजी और पिता उन्हें बेबी कहते थे. इसलिए कई दोस्त उन्हें डालडा सिन्हा तो कई बेबी सिन्हा कहने लगे. माला को ये दोनों ही नाम बिलकुल पसंद नहीं थे. इसलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर माला सिन्हा रख लिया.

माला एक बंगाली फिल्म के लिए मुंबई आई थीं. यहां उनकी मुलाकात अपने जमाने की फेमस एक्ट्रेस गीता बाली से हुई थी. उन्होंने ही माला को डायरेक्टर केदार शर्मा से मिलवाया. केदार शर्मा को माला बहुत पसंद आईं और उन्होंने अपनी फिल्म रंगीन रातें में बतौर अभिनेत्री काम दिया.

फिल्मों में काम करने से पहले माला रेडियो के लिए गाती थीं. माला की खूबसूरती को देख लोगों नें उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी थी. माला का प्रथम प्रवेश बंगाली फ़िल्म ” जय वैष्णोदेवी ” मे बाल कलाकार के रुप मे हुआ था. मुख्य भूमिका के रूप में सन 1952 मे रिलीज हुई बंगाली फ़िल्म

रोशनारा मे काम किया था. हिंदी फ़िल्म मे मुख्य भूमिका के रूपमें सन 1954 मे आयी फ़िल्म ” बादशाह ” मे उन्होंने अभिनय किया था.

माला सिन्हा सन 1958 से सन 1965 तक अभिनेत्री वैजयंतीमाला के साथ सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री थीं, और सन 1966 से सन 1967 तक वैजयंतीमाला के साथ दूसरी , और फिर 1968 से 1971 तक शर्मिला टैगोर के साथ दूसरा स्थान और सन 1972-73 में साधना और नंदा के साथ तीसरा स्थान साझा किया था.

उन्होंने कई पुरुस्कार हासिल किये जिसमे सर्व श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरुस्कार सन 1965 मे बंगाल फिल्म पत्रकार संघ का मिला था. सन 2018 मे उन्होंने लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार स्वयं जीता था. सन 2007 मे स्क्रीन अवार्ड्स लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार स्वयं जीता था.

सन 2004 मे उन्हें सिक्किम सरकार द्वारा सिक्किम सम्मान पुरस्कार प्रदान किया था. सन 2005 मे उनको नेपाल का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया. 2017 मे एलजी फिल्म अवार्ड तथा सन 2021 मे उनको सिनेमा में योगदान के लिए दीनानाथ मंगेशकर विशेष पुरस्कार से नवाजा गया था.

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