“सुर्खियों में बागेश्वर धाम के गुरूजी.”

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बागेश्वर धाम के गुरु जी श्री धीरेन्द्र कृष्णा महाराज जी आजकल सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ओमें सुर्खियों में है. ” धीरेंद्र महाराज के आध्यात्मिक गुरु ” सन्यासी बाबा ” हैं और वो उनके दादा जी भी.

उनके पीछे अंधश्रद्धा निर्मूलन की कई संस्था लगी हुई है. उनके दरबार में ऐसे भी लोग आते है जो भूत, पिसाच से त्रस्त है. जिनका ” अंधश्रद्धा निर्मूलन ” संस्था के लोग विरोध करते है. उनका कहना है कि भूत पिसाच जैसी कोई आत्माएं नहीं होती, ये मन का वहम है.

इसपर श्री धीरेन्द्र महाराज जी का कहना है कि भूत, प्रेत, पिसाच , मैली आत्मा ओकी मान्यता आजसे नहीं हजारों सालो से चली आ रही है . यदि ये गलत है तो क्या हनुमान चालीसा भी गलत है….? क्योंकि हनुमान चालीसा में स्पष्ट रूपसे लिखा है……

भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महावीर जब नाम सुनावै ॥ 24.

हनुमान चालीसा कभी गलत नहीं हो सकती. जिसका चमत्कार उनके भक्तों को मील चूका है. बजरंग बली हनुमान जी शिव जी का अवतार है. वे त्रेता युग में भगवान श्री रामजी के साथ थे. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जी के साथ थे और उनको अमरतत्व का वरदान प्राप्त है और आज भी हयात है.

हनुमान चालीसा पर सनातन धर्म के करोड़ों भक्तों की आस्था का सवाल जुडा हुआ है. वैज्ञानिक परिक्षण में भी हनुमान चालीसा खरी साबित हुई है.

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

जैसे जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है, हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी गई कई बातें सही साबित होती जा रही हैं. ये प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति दुनिया को हजारों साल पहले ही ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान दे चुकी थी.

सहस्त्र’ का मतलब 1000 साल है. “योजन” का मतलब 8 मील से होता है.(1 मील में 1.6 किमी होते हैं) अब अगर 1 योजन को युग और सहस्त्र से गुणा कर दिया जाए तो 8 x 1.6 x 12000 x 1000=15,36,00000 (15 करोड़ 36 लाख किमी), जोकि सूर्य से पृथ्वी के बीच की प्रमाणिक दूरी है. ये हमारे धार्मिक शस्त्रों की दूरदर्शिता साबित करती है.

26 वर्षीय महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर कई लोग सवाल उठा रहे है, उनका वो हसते मुखसे उत्तर देते है कि

आदिकाल से ही भगवान राम जी को लोगों ने नहीं छोड़ा, तो हमें कैसे छोड़ देंगे. भारत वो देश है, जहां पर राम के जन्म के सबूत मांगे जाते है. अयोध्या के लिए सबूत मांगे जाते है. भगवान श्री कृष्ण को नहीं छोड़ा गया, उन्हें छलिया कहा गया, उनको मांत्रिक, तांत्रिक और चमत्कारी कहा गया, तो हमें भरोसा है कि हम तो आम इंसान हैं, हमें वो लोग कब छोड़ेंगे…

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बागेश्‍वर महाराज धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 में छतरपुर के गाढ़ा गांव में हुआ था. बागेश्‍वर महाराज श्री धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री ने बीए तक की पढ़ाई की है. बागेश्वर धाम पर जो दिव्य दरबार का आयोजन किया जाता है, हर मंगलवार एवं शनिवार के दिन किया जाता है एवं मंगलवार शनिवार के दिन दरबार होता है . परंतु कभी-कभी नहीं लग पाता है यदि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज कहीं पर कथा में उपस्थित हैं तब या फिर कहीं बाहर हैं उस वक्त मंगलवार तथा शनिवार को दरबार का आयोजन नहीं किया जाता है.

बागेश्वर धाम में जितनी भी दान दक्षिणा इत्यादि प्राप्त होता है वह धाम की सेवा में उपयोग होता है. उन्होंने नौ एकड़ जमीन खरीदी है जिसपर वह कैंसर अस्पताल का निर्माण कर रहे हैं.

धाम में प्राप्त दान मंदिर विस्तार, जन कल्याण कार्य जैसे कन्याओ का शुभ विवाह , रोगों के निदान के लिए और अन्नपूर्णा भंडारा में लगाया जाता है.

पौराणिक कथा ओके अनुसार भगवान शिव जी के बाघ रूप धारण करने वाले इस स्थान को व्याघ्रेश्वर तथा बागीश्वर से कालान्तर के बाद बागेश्वर के रूप में जाना जाता है.

शिव पुराण के मानस खंड में वर्णन है कि इस नगर को शव के गण चंडीश ने शिवजी की इच्छा के अनुसार बसाया था. स्कन्द पुराण के अन्तर्गत बागेश्वर माहात्म्य में सरयू के तट पर स्वयंभू शिव की इस भूमि को उत्तर में सूर्यकुण्ड, दक्षिण में अग्निकुण्ड के मध्य (नदी विशर्प जनित प्राकृतिक कुण्ड से) सीमांकित कर पापनाशक तपस्थली तथा मोक्षदा तीर्थ के रूप में धार्मिक मान्यता प्राप्त है.

श्री धीरेंद्र महाराज के गड़ागंज वाले पैतृक घर में, माता-पिता व उनका एक छोटा भाई भी रहता है. इनके पिताजी का नाम रामकृपाल गर्ग था. जो नशे का आदी था. जिस कारण वह ज्यादा कुछ करते नहीं थे. इनकी माता जी का नाम सरोज गर्ग है. धीरेंद्र जी के छोटे भाई शालिग्राम गर्ग जी महाराज हैं. वह भी बालाजी बागेश्वर धाम को समर्पित हैं.

धीरेंद्र के पिताजी के कुछ न करने के कारण, परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. तीन-तीन दिन तक खाना नहीं मिलता था. जैसे तैसे गृहस्थी चला करती थी. रहने के लिए एक छोटा सा कच्चा मकान था. जो बरसात के दिनों में टपका करता था.

वर्तमान में इनकी आमदनी रुपये 3.5 लाख प्रतिमाह है. उनका नेट-वर्थ करीब 19.5 करोड़ रुपये बताया जाता है. इसे आप हनुमान जी का आशीर्वाद कहिए या फिर किस्मत का खेल. इतनी कम उम्र में श्री धीरेंद्र जी महाराज ने शानदार मुकाम और प्रसिद्धि हासिल की है. और कई चमत्कार कर रहे है.

हम लोगोंने देखा की बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कम समय में कुछ ज्यादा ही प्रसिद्धि प्राप्त की है. आज अत्र तत्र सर्वत्र धीरेन्द्र महाराज की ही चर्चा हो रही है. टी.वी. चैनलो मे तो एक दूसरों में स्पर्धा लगी हुई है. सभी धीरेंद्र महाराज का इंटरव्यू लेने में व्यस्त है. फिरभी वो मुस्तैदी से सबका जवाब दे रहे है.

एक अच्छी बात ये है कि श्री धीरेंद्र महाराज हिंदू सनातन धर्म का प्रचार और प्रसार कर रहे है. सत्य साईबाबा को शिर्डी के साई बाबा का अवतार माना जाता था. क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर जैसे अनेक दिग्गजो ने सत्य साईबाबा की शरण में माथा टेके थे. वो तो हवासे विविध चीजे निकालने में माहिर थे.

धीरेंद्र महाराज भीड़ मेसे किसीको स्टेज पर लानेको कहते है. एक महिला पत्रकार चैलेंज करती है. वो एक महिला को लेकर आती है. उसे पूछा जाता है कि आप एक दूसरे को पहचानते तो नहीं हो ? दोनों एक दूसरे से अनजान होनेका कबूल करती है.

धीरेंद्र महाराज वो महिला के स्टेज तक पहुंचने से पहले, उसके जीवन की खास बातें लिख देता है और उसे पढ़के दिखाता है. महिला सच होनेका इकरार करती है. पंडाल तालिओंसे गूंज उठता है. सनातन धर्म की जय जयकार की जाती है.

भारत भूमि साधु संतों की भूमि है. यहां एक से बढकर एक तपस्वी, ऋषि मुनि, साधु संत प्रकट हुये है. उन्होंने अपनी तपस्चर्या के बल बुते पर अनेको आविष्कार किये थे. जो चमत्कार से कम नहीं है.

वनस्पति से सोना बनानेकी प्रक्रिया, उड़ता पुष्पक वाहन बनाना, मंत्रो के उच्चारण से अग्नि प्रकट करना, जमीन में बाण मारके पानी निकालना, मेघ मल्हार राग निकालके पानी बरसाना वगेरा कोई चमत्कार से कम नहीं है.

👉 एक ऐसी भी विद्या है , जिसे लोग ” काग विद्या ” कहते है. ये एक ऐसी विद्या है, जिससे साधक को सामनेवाली व्यक्ति की भूत और भविष्य की बातें पता चल जाती है. इसका मुजे अनुभव हो चूका है. वो मेरे लिए सुनहरा अवसर था. जिसे मैं भुला नहीं सकता. 👈

हो सकता है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने भी ऐसी विद्या हस्तगत की हो. 26 वर्षीय धीरेंद्र जी ने सनातक की डिग्री हासिल की है और धीरेंद्र के

आध्यात्मिक गुरु “सन्यासी बाबा” हैं.

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का जन्म तारीख : 4 जुलाई 1996 के दिन मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास स्थित गड़ागंज ग्राम में हुआ था. इनका पूरा परिवार उसी गड़ागंज में रहता है, जहां पर प्राचीन बागेश्वर धाम का मंदिर है.

धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि वे लोगों के मन की बात जान लेते हैं. कोई भक्त अपनी समस्या लेकर उनके पास आता है तो वे पहले ही उसे कागज पर लिख लेते हैं और उसका उपाय भी बता देते है.

दंडी सन्यासियों ने धीरेंद्र शास्त्री का डटकर विरोध किया है और उन्होंने उनका यह काम को सीधे तौर पर अंध विश्वास व जादू टोने को बढ़ावा देने वाला कहा है. जबकि धीरेंद्र जी उसे सनातन हिंदू धर्म की परंपरा बताते है.

धीरेंद्र के अनमोल वचन :

*** जो विद्यार्थी प्रतिदिन माता-पिता व गुरु को प्रणाम करता है. उसकी आयु बढ़ जाती है. उसकी विद्या बढ़ जाती है. उसका यश बढ़ जाता है. उसका बल बढ़ जाता है.

*** दुख का झूला, जितना पीछे तक जाएगा. सुख का झूला, उतना आगे तक पहुंचेगा. जिंदगी में झूला जितना पीछे तक खींचा जाता है. वो उतना ही आगे तक जाता है.

*** प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में, अभाव की बहुत आवश्यकता है. जब तक अभाव नहीं होगा. वो प्रभाव के महत्व को नहीं समझेगा. अभाव का जीवन नहीं समझेगा. सीधा प्रभाव प्राप्त हो जाएगा. तो अभाव ग्रस्त व्यक्ति भावनाओं को समझना बहुत कठिन है.

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