मशहूर कहावत है कि, ” जिंदा हाथी लाख का, मरा तो सवा लाखका.”
मगर आज यह कहावत ने अपना वजूद खो दिया है. आज हाथी लाखका नहीं! लाखोंका हो गया है. एक जमाना था जब हाथी दांत की नकाशिदार चुडिया महिलाओ की पसंदीदा आभूषण हुआ करता था.
प्लास्टिक के आगमन से पहले हाथी दांत के कई सजावटी और व्यावहारिक उपयोग होते आते थे. हाथी राज घरानो की शान हुआ करता था. हाथी दांत से गले में पहनने के लिए हार, कलाइयों में पहनने के लिए सुंदर चूड़ियां, बटन जैसे आभूषण बनाए जाते हैं. पहले हाथी के दांत का कटलरी हैंडल, बिलियर्ड बॉल , पियानो चाबियाँ , स्कॉटिश बैगपाइप व सजावटी वस्तुओं के लिए किया जाता था. मगर इसकी जगह अब प्लास्टिक की विविध कलाकृतियों ने ले ली है.
एक जमाना यह भी रहा जब हाथी दांत की चुडिया महिलाओ का पसंदीदा गहना था. गुजरात और मारवाड़ की महिलाओ मे इसका चलन ज्यादा था. हाथी दांत से बनने वाली हाथी दांत की चूड़ियां काफी लोकप्रिय हैं, जिसके लिए लोग आज भी लाखों रुपये खर्च करते हैं.
एक हाथी के जीवन काल में 6 बार दांत निकलते हैं. जहां तक उसके दांतों की संख्या की बात करें तो हाथी के कुल 26 दांत होते हैं.”हाथी” शब्द ग्रीक शब्द “एलिफस” से आया है जिसका अर्थ है “हाथी दांत”.
यदि हाथी दांत की कीमत की बात करें तो इनकी कोई कीमत तय नहीं की गई है. लेकिन यह काफी महंगे बिकते हैं. कुछ साल पहले पश्चिम बंगाल में 17 किलो हाथी के दांत पकड़े गए थे.
जिनकी अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कीमत करीब एक करोड़ 70 लाख रुपये थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके एक किलो की वैल्यू 10 लाख रुपये है. यानी अगर हाथी दांत 10 किलो के हैं तो उसके 1 करोड़ रुपये तक कीमत हो सकती है.
भारत मे हाथियों के दांत का अवैध लेन देन गैरकानूनी घोषित किया गया है. इससे संबंधित कारोबार करने पर ” वन्यजीव संरक्षण अधिनियम ” की “धारा 9” के तहत कानूनी कार्यवाही की जाती है. लोग दांत के लालच में हाथियों की हत्या कर देते हैं. जिससे ना सिर्फ इस निर्दोष जीव का जीवन छीन लेते हैं बल्कि इसके चलते हाथियों की संख्या भी प्रभावित होती है.
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, सन 1972 की धारा 40 (2) राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन की लिखित अनुमति के बिना बंदी हाथी के अधिग्रहण, कब्जे और हस्तांतरण पर रोक लगाती है.
अफ्रीका की बात करें तो 1989 में हाथी दांत के बिक्री पर रोक लगाने से अफ़्रीका में हाथियों की जनसंख्या स्थिर हुई. कानून के अनुसार, जो कोई हाथी, ऊंट, घोड़ा, खच्चर, सांड, गाय या बैल जिसका मूल्य कुछ भी हो पचास रुपए या उससे अधिक होता है, उसका वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है.
हाथी अपने दांतों को कई प्रकार के उपयोग मे लेता हैं. भोजन या पानी के लिए खुदाई करने और पेड़ों से छाल उतारने के लिए एक उपकरण के रूप मे करता है. जब वो अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ लड़ाई करता है, तो इसे वो एक हथियार के रूप करता है. कहा जाता है कि मादा हाथी को नर हाथी के बड़े दांत अधिक आकर्षक लगते है. हाथी के मुंह से बाहर निकले दो दांतों को ” गजदंत दांत ” कहते हैं.
गजदन्त दांत हाथी के उन दो दाँतों को कहते हैं जो हाथी के मुँह से बाहर निकले होते हैं और बहुमूल्य माने जाते हैं. हाथियों में बाहर दिखने वाले दांतो को टस्क भी कहते हैं यह टस्क अग्र दातों का यह बड़ा रूप है. यह दांत लंबे हो चुके लगातार बढ़ने वाले अग्र दांत (सामने के दांत ) है.
यह दांत अक्सर जोड़े में पाए जाते हैं पर हमेशा ऐसा नहीं होता. इस प्रकार के अगर दांत कई अन्य जानवरों में भी पाए जाते हैं जैसे सूअर आदि. टस्क का अधिकांश हिस्सा डेंटाइन, एक कठोर, घने, अस्थि (हड्डी) ऊतक से बना होता है और पूरा टस्क एनामल से ढका होता है.
एनामल किसी भी जीवित जीव के शरीर का सबसे कठोर पदार्थ या तत्व होता है जोकि दांतो के कटने फटने टूटने से बचाव करता है. डेंटाइन उन उत्तकों में से एक है जिनसे हड्डियों का निर्माण होता है. इससे हम यह जान सकते हैं हाथी के दांत भी एक प्रकार की हड्डियां से ही बने होते हैं.