सौर्य मंडल का एक ग्रह “पृथ्वी” | Earth

Earth

किसीने खूब कहां है, ” जीवन चलनेका नाम, चलतें रहो सुबह शाम.” गति से प्रगति की ओर प्रयाण किया जा सकता है. पानी यदि एक जगह रुक गया तो अशुद्ध होने लगता है, और जल-प्रपात बनकर बहता है तो निर्मल रहता है. इसीलिए शायद प्रभु ने इस ब्रह्मांड के भीतर के तारे, ग्रह, को गतिशील रखे है. कवि शैलेंद्रजी ने भी राजकपूर की फ़िल्म श्री 420 मे गाना लिखा है कि.” चलना जीवन की कहानी रुकना मौत की निशानी ” सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी. कवि शैलेंद्र जी भी यहीं कहते है, चलना जीवन और रुकना मौत की निशानी….. 

           हमारी प्यारी पृथ्वी सौर्य मंडल का एक भाग है. क्या आपको पता है ? हमारी पृथ्वी की विषुवतीय परिधि 40,067 कि.मी. है और विषुवतीय व्यास 12,757 कि.मी. है. पृथ्वी की ध्रुवीय परिधि 40,000 किलोमीटर है,और ध्रुवीय व्यास 12,714 कि.मी. है. ” इरेटोस्थनीज ” यूनान देश का प्राचीन दार्शनिक, गणितज्ञ और खगोलविद था. उन्होंने सर्व प्रथम पृथ्वी की परिधि नापी थी. उसे भूगोल का जनक भी कहा जाता है. हमारी पृथ्वी का कुल सतह क्षेत्र की बात करें तो 510,100,500 वर्ग किलोमीटर है. 

        पृथ्वी को संरक्षण प्रदान करने के लिए और दुनिया से इसमें सहयोग और समर्थन करने के लिए पृथ्वी दिवस प्रति वर्ष ता : 22 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन को 193 देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है. ” पृथ्वी दिवस ” की परिकल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं, जिसमें दुनिया भर की हवा और पानी प्रदूषणमुक्त हो.  

        पृथ्वी दूरी के आधार पर सूर्य से तीसरा ग्रह है. यह एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है. इसकी सतह का 71% भाग जल से तथा 29% भाग भूमि से ढका हुआ है , इसकी सतह विभिन्न प्लेटों से बनी हुए है इस पर पानी तीनो अवस्थाओं में पाया जाता है. इसके दोनों ध्रुवों पर बर्फ की एक मोटी परत है. उल्लेखनीय है की तारे स्वप्रकाशित होते है ओर ग्रह प्रकाशित नहीं होते. पृथ्वी ग्रह है. सूर्य तारा है. आकाश मे चमकने वाले तारे स्वप्रकाशित है जिसे तारा कहते है ओर पृथ्वी से कई तो हजारों गुने बड़े है. 

     पृथ्वी अथवा पृथिवी एक संस्कृत शब्द हैं जिसका अर्थ 

” एक विशाल धरा ” होता है. एक अलग पौराणिक कथा के अनुसार, महाराज पृथु के नाम पर इसका नाम पृथ्वी रखा गया. पृथ्वी के अन्य नामों में, ” धरा, भूमि, धरित्री, रसा, रत्नगर्भा इत्यादि नाम सामिल हैं. अन्य भाषा अंग्रेजी में इसे अर्थ ( EARTH ) और लेटिन भाषा में टेरा ( TERRA ) कहा जाता हैं. 

         शास्त्रों और पुराणों के अनुसार पृथ्वी अरबों सालोंसे अस्थित्व मे है. पृथ्वी पर ताजा पानी 3 प्रतिशत है जबकि नमकीन पानी 97 प्रतिशत है. पृथ्वी के घुर्णन की अवधि 23 घंटे 56 मिनट 4.091 सेकेंड है. 

      भूमध्य रेखा पर घुर्णन की गति 1674 कि.मी. प्रति घंटा है. नक्षत्र दिवस की गणना सूर्य को आकाश गंगा का चक्कर लगाते हुए मानकर की जाती है. यह दिवस 23 घण्टे 56 मिनट की अवधि का होता है. 

         पृथ्वी अपनी धुरी पर नित्य लगातार पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती रहती है. साथ – साथ हम लोग भी पश्चिम से पूर्व की ओर जाते रहते है. कर्क रेखा, भूमध्य रेखा, मकर रेखा के लोग एक मिनट मे करीब 25 से 30 किलोमीटर की रफ़्तार से पश्चिम से पूर्व की ओर जा रहे है. अर्थात हम मिरा भाईंदर के लोग एक मिनट मे उत्तन से भिवंडी इतना अंतर हर मिनट मे आगे पूर्व की ओर बढ़ते रहते है. उत्तर ओर दक्षिण की ओर बढ़ते जाते ही रफ़्तार की गति मे कमी आती जाती है. 

    सौर दिवसकी गणना सूर्यको गतिहीन मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना के रूप में की जाती है. नक्षत्र दिवस सौर दिवस से छोटा होता है. पृथ्वी पर सर्वोच्च बिंदु माऊन्ट एवरेस्ट 8,848 मीटर की ऊँचाई पर है. 

        पृथ्वी पर सबसे गहरा गर्त चैलेंजर डीप (मेरियाना गर्त में स्थित) है जो प्रशांत महासागर में स्थित है और जिसकी गहराई 10,994 मीटर है. 

        जून 2016 तक, 1,419 मानव निर्मित उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं. वर्तमान में कक्षा में सबसे पुराना और निष्क्रिय उपग्रह वैनगार्ड 1, और 16,000 से अधिक अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े भी घूम रहे हैं. पृथ्वी का सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह, अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन है.

         पृथ्वी के वायुमंडल की कोई निश्चित सीमा नहीं है, यह आकाश की ओर धीरे-धीरे पतला होता जाता है और बाह्य अंतरिक्ष में लुप्त हो जाता है. वायुमंडल के द्रव्यमान का तीन चौथाई हिस्सा, सतह से 11 किमी (6.8 मील) के भीतर ही निहित है. सबसे निचले परत को ट्रोफोस्फीयर कहा जाता है.   

      सूर्य की ऊर्जा से यह परत ओर इसके नीचे तपती है, और जिसके कारण हवा का विस्तार होता हैं. फिर यह कम-घनत्व वाली वायु ऊपर जाती है और एक ठण्डे, उच्च घनत्व वायु में प्रतिस्थापित हो जाती है. इसके परिणामस्वरूप ही वायु मंडलीय परिसंचरण बनता है जो तापीय ऊर्जा के पुनर्वितरण के माध्यम से मौसम और जलवायु को चलाता है.

       चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक ” उपग्रह ” है. यह सौरमंडल का पाचवाँ सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है. चंद्र का व्यास पृथ्वी का एक चौथाई तथा द्रव्यमान 1/81 है. चंद्र बृहस्पति उपग्रह के बाद दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है. सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है.

         समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते है. चन्द्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है इसीलिए आसमान में सूर्य और चंद्र का आकार हमेशा समान नजर आता है. पृथ्वी के मध्य से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384400 कि.मी. है. यह दूरी पृथ्वी कि परिधि के 30 गुना है.    

      चंद्रमा की उत्पत्ति के बारेमे एक मान्यता ऐसी भी है कि

आज से 450 करोड़ साल पहले, सूर्य मंडल में मंगल के आकार का एक ग्रह था जो कि पृथ्वी के साथ एक ही ग्रह पथ पर सूर्य की परिक्रमा करता था. मगर यह ग्रह किसी कारण धरती से टकराया और एक तो धरती मुड़ गई और दूसरा इस टक्कर के फलस्वरूप जो पृथ्वी का हिस्सा अलग हुआ उससे चाँद बन गया. 

         चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है. यह पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन मे पूरा करता है और अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में लगाता है.यही कारण है कि हम हमेशा चन्द्रमा का एक ही पहलू पृथ्वी से देखते हैं. यदि चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ़-साफ़ अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेगी अर्थात पृथ्वी को कई वर्षो तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी. पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण “चन्द्र दशा” हर 29.5 दिनों में बदलती है.

            पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है. दूरी के आधार पर यह सूर्य से तीसरा ग्रह है . यह सौरमंडल (सौरमण्डल) का सबसे बड़ा चट्टानी पिंड है. पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है. यह अपने अक्ष पर लंबवत 23.5 डिग्री झुकी हुई है.इसके कारण इस पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के मौसम आते हैं.

        पृथ्वी अपने अक्ष पर यह 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है जिससे इस पृथ्वी पर दिन और रात होती है.चन्द्रमा के पृथ्वी के निकट होने के कारण पृथ्वी पर मौसम के लिए उत्तरदायी है. इसके आकर्षण के कारण इस पर ज्वार-भाटे उत्पन्न होता है. चन्द्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है.

     पृथ्वी का वायुमंडल कई परतों से बना हुआ है.नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक है. इसके अलावा वायु मंडल में ओजोन गैस की एक परत है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है. वायुमंडल के घने होने से इस सूर्य का प्रकाश कुछ मात्रा में प्रवर्तित हो जाता है जिससे इसका तापमान नियंत्रित रहता है.अगर कोई उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाता है तो वायु के घर्षण के कारण या तो जल कर नष्ट हो जाता है या छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाता है.

         पृथ्वी की ऊपरी सतह कठोर है. यह पत्थरों और मृदा से बनी है. पृथ्वी का भूपटल कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं. इसकी सतह पर विशाल पर्वत, पठार, महाद्वीप, द्वीप, नदियां, समुद्र आदि प्राकृतिक सरंचनाएँ है. पृथ्वी की आतंरिक (आन्तरिक) रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे , निकल के आतंरिक कोर के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है. पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र विभिन्न प्रकार के आवेशित कणों को प्रवेश से रोकता है.

जानते है पृथ्वी के बारेंमे रोचक बातें : 

*** 6 अरब किलोमीटर की दूरी से पृथ्वी को देखने पर वह एक नीली बिंदु सी नजर आती है.

*** पृथ्वी में सिर्फ एक चंद्रमा है जबकि बृहस्पति में 67 चंद्रमा हैं.

*** पृथ्वी के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि चंद्रमा का एक ही पक्ष हमेशा हम सब को नजर आता है. ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के साथ ही घूमता रहता है.

*** पृथ्वी पर हर दिन 100 से 300 मेट्रिक टन कॉस्मिक डस्ट आता है. ये डस्ट अंतरिक्ष में मौजूद होते हैं और सभी ग्रह पर होते हैं. 

*** पृथ्वी के घूमने की गति धीरे-धीरे धीमी हो रही है. इसका मतलब है कि अब से लगभग 140 मिलियन वर्षों में पृथ्वी पर एक दिन की लंबाई 25 घंटे होगी.

*** सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में 8 मिनट 18 सेकंड लगते हैं.

*** पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण होता है.

*** सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे नजदीकी तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है.    

*** धरती के सारे महाद्वीप पिछले 2.5 करोड़ साल से गति कर रहे है. यह गति टेक्टोनिक प्लेटों की निरंतर गति के कारण है. हर महाद्वीप दूसरे महाद्वीप से भिन्न चाल से गति कर रहा है. जैसे के प्रशांत प्लेट 4 सैटीमीटर प्रति वर्ष जबकि उत्तरी अटलाटिंक 1 सैटीमीटर प्रति वर्ष गति करती है.

*** धरती पर ताप का स्रोत केवल सूर्य नही है. बल्कि धरती का अंदरूनी भाग पिघले हुए पदार्थों से बना है जो लगातार धरती के अंदरूनी ताप स्थिर रखता है. एक अनुमान के अनुसार इस अंदरूनी भाग का तापमान करीब 5000 से 7000 डिग्री सैलसीयस है जो कि सूर्य की सतह के तापमान के बराबर है.

*** धरती के सारे महाद्वीप आज से 6.5 करोड़ साल पहले एक दूसरे से जुडे हुए थे. वैज्ञानिको का मानना है कि धरती पर कोई उल्का पिंड गिरने या फिर निरंतर ज्वालामुखीयों और ताक़तवर भूकंपों के कारण यह महाद्वीप आपस से अलग होने लगे, इसी कारण धरती से डायनासोरो का अंत हुआ था.

*** लगभग हर साल 30,000 बाहरी अंतरिक्ष के पिंड धरती के वायुमंडल मे दाखिल होते है. पर इनमें से ज्यादातर धरती के वायुमंडल के अंदर पहुँचने पर घर्षण के कारण जल जाते है. जिन्हें हम अक्सर ‘टूटता तारा‘ कहते है. 

*** धरती की सतह का सिर्फ 11 प्रतीशत हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए उपयोग किया जाता है.

*** चाँद समेत कई और ग्रह और उपग्रह है जिन पर पानी मौजूद है. पर धरती ही एकलौता ऐसा पिंड है जहां पानी तीनों अवस्थायों में पाया जाता है. मतलब कि ठोस,द्रव और गैस तीनो में. 

*** धरती अपने धुरे पर करीब 1600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से घूम रही है जबकि सूर्य के ईर्ध-गिर्द यह 29 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफतार से चक्कर लगा रही है.

*** धरती पर हर साल लगभग 1000 टन अंतरिक्ष धुड़-कण धरती में दाखिल होते है.

     ——===शिवसर्जन ===——–

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