शीर्षक पढते ही आपको लगा होगा की मै कोई सुनार या लुहार की चर्चा करने वाला हूं. मगर नहीं आज मै भाईंदर की एक अनजान संस्था की कुछ बात करने वाला हूं. जिसको कम लोग जानते है. वैसे तो भाईंदर मे सामाजिक , शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक अनेकों संस्था है. जो एक से बढ़कर एक काम कर रही है.
आपने ” भाईंदर डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ” का नाम शायद ही सुना होगा. ये संस्था की शुरुआत उन दिनों हुई थी जब भाईंदर पानी , खाबड़खूबड़ रोड , यातायात, अस्पताल, सब वे , उड़ान पूल, पादचारी पूल, टेलफोन भवन , गटर , बाग बगीचा, स्मशान भूमि , समाज मंदिर, बस, खेलकूद के मैदान, लाइट, रेल यात्री सुविधा जैसी अनेकों समस्याओ के सिकंजे मे जकड़ा हुआ था.
उस समय एक कॉलेज का लेक्चरर भाईंदर मे रहने आया. नाम था श्री पुरुषोत्तम लाल बिहारीलाल चतुर्वेदी.ऊर्फ ” लाल ” साहब. शैक्षणिक पात्रता थी. M.A ( बीएड ).
भाईंदर मे आनेसे पहले वे चांदी का व्यापार करते थे. उसने भाईंदर मे आते ही यहांकी जटिल जनसमस्याओ को देखा, समजा और मन व्याकुल हो उठा . जनता असंगठित थी. उसने सर्व प्रथम, ” भाईंदर डेवलोपमेन्ट आर्गेनाइजेशन ” संस्था की स्थापना की. संस्था के नामका लेटर हेड छपवाकर संबंधित अधिकारिओ को पत्र व्यवहार करना शुरू किया.
डेली एक पत्र लिखकर यहांकी जन समस्याओ को उजागर करने संबंधित कार्यालय प्रमुखों को भेजते रहा. रिजल्ट शून्य. कही से प्रतिक्रिया नहीं आयी तो आखिरकार उसने पत्र निकालने का मन बनाया. पत्र के नामको प्रमाणित करके रजिस्टर किया गया.
नाम रखा ” भाईंदर भूमि ” हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र. पत्र ने कम समय मे ख्याति प्राप्त कर ली. और यहाँका लोकप्रिय पत्र बन गया.
दरम्यान श्री पुरुषोत्तम ” लाल ” साहब जी की पहचान तत्कालीन भाईंदर ब्लाक युवक कांग्रेस के महा सचिव श्री एस आर मिश्रा से हुई. उन्होंने शिक्षक श्री सुभाष मिश्रा के साथ भाईंदर भूमि के प्रधान संपादक श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी मंत्रालय मुंबई गये.
वो साल 1985 का था. तब श्री वसंतदादा पाटिल जी महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री पद पर थे.उस समय पत्रकार श्री राममनोहर त्रिपाठी महाराष्ट्र राज्य के नगर विकास मंत्री थे. वहा जाकर ये प्रतिनिधि मंडल ने श्री राममनोहर त्रिपाठीजी से रुबरु बातचीत की. उन्होंने अपने सचिव से मिल कर अपना समय निर्धारित करने को कहा.
त्रिपाठीजी के सचिव से मिलनेपर सचिव ने कहा कि बिना निमंत्रण मंत्री जी कही नहीं जाते अतः उन्होंने भाईन्दर दवलपमेंट ओर्गनाइजेशन संस्था के लेटरहेड पर मंत्री जी को निमंत्रण पत्र दिया.
उसके बाद मंत्री जी भाईन्दर पधारे.भाईन्दर (पश्चिम ) चर्च के पुराने हॉल मे सभा हुई. इस सभामे उन्होने आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री जी को यहा का, सब हाल बतायेंगे और नगर पालिका स्थापना करने की सिफारिश करेंगे.
मंत्री जी ने दो महीने के भीतर अपना वादा पुरा करके दिखाया. तत्पश्चात तारीख 12 जून 1985 के दिन विधिवत मीरा भाईंदर नगर पालिका की स्थापना की गई और पहले प्रशासक के रूपमें तहसीलदार रहे श्री बी डी म्हात्रे को नियुक्त किया गया.
भाईंदर डेवलोपमेन्ट आर्गेनाइजेशन संस्था का काम अब ख़त्म हो चूका था. सौ सुनार की के बदले एक लोहार की का काम भाईंदर डेवलोपमेन्ट आर्गेनाइजेशन संस्था ने कर दीया था. संस्था के एक पत्र ने नगर पालिका स्थापना करने का स्वपना पुरा कर दिया था. इस संस्था का आयुष्य भले लंबा ना था मगर एक ऐसा काम करके गई जिसका लोगों को बेसब्री से इन्तेजार था.
आगे संस्था का काम भाईंदर भूमि साप्ताहिक ने संभाल लिया था. सन 1985 के बाद भाईंदर मे विकास की क्रांति आयी और सन 2002 मे उसने महा नगर पालिका का रुप धारण कर लिया. आज आपको जो विकास दिख रहे है, उसके पीछे भाईंदर डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन संस्था के एक पत्र का प्रमुख हाथ है. यू कहो की कमाल था.
—-=== शिव सर्जन ===——