प्राचीन काल से रसोई बनानेके लिए मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता रहा है. इन बर्तनों मे मिट्टी का तवा, मिट्टी की कढ़ाई, मिट्टी का मटका, परात , सुराही, गुल्लक, ढकणी या ढाकणी, बिलौना, दीपक, कुल्हड़, कुंडा, तावणी, कटोरा, पारी, सिकोरा आदि आइटम का समावेश है इसके अलावा आजकल बहुत से सजावटी आईटम और खिलौने भी मिट्टी से बनाए जाते हैं.
हमारी भारतीय संस्कृति हमेशा से महान थी जहाँ ऋषि मुनियों ने जीवन जीने के उत्तम तरीके बताये थे जिससे हमारी आयु बढ़ती थी , और हम हमेशा के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ भी रहते थे.
मिट्टी के बर्तन एक प्राचीन शिल्प कला है, मिट्टी के बर्तनों के सबसे पुराने ऐतिहासिक रिकॉर्ड मिस्र में 4000 ईसा पूर्व और चीन में 3000 ईसा पूर्व के हैं. मिट्टी की विविध आइटम बनाने वाले को कुम्हार कहा जाता है.
मिट्टी के बर्तन को अंग्रेजी मे “clay pot” कहा जाता है. इससे बने बर्तन आमतौर पर मिट्टी के सीमित तापमान से बनाए जाते हैं, जिससे वे सुरक्षित रहते हैं और स्वच्छ रहते हैं. आजकल लगभग हर एक के घर में एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाया व खाया जाने लगा हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता हैं.
आजकल भारतीय लोगो के पास मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने का उत्तम विकल्प होने के बाद भी एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने लगे हैं.
एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने के प्रमुख कारणो मे सबसे बड़ा कारण यह हैं कि आज की आधुनिकता ने हमें इतना ज्यादा व्यस्त कर दिया हैं कि किसी के पास समय ही नही हैं. एल्युमीनियम के बर्तन मिट्टी के बर्तनों की अपेक्षा खाना बनाने में कम समय लेते हैं इसलिये लोग इसमें खाना बनाने लगे हैं. शिवाय एल्युमीनियम के बर्तनों के टूटनेका खतरा भी नही होता, जबकि मिट्टी के बर्तन गिरते ही टूट जाते हैं.
कुछ लोगो का यह मानना है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना निर्धन लोगों का कार्य हैं. बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों को मिट्टी के बर्तनों से इतना लाभ नही मिलता था इसलिये उन्होंने एल्युमीनियम व अन्य धातुओं के बर्तन बनाने व उनकी मार्केटिंग करने में ही ध्यान दिया.
बड़ी कंपनियों के द्वारा जो बर्तन बनाये जाते वही बर्तन सभी को दुकानों, शॉपिंग माल्स, ऑनलाइन वेबसाइट पर मिलते व साथ ही उनमे कई तरह के डिजाईन भी मिलते जिस कारण लोग उन्ही को खरीदना पसंद करते है.
एल्युमीनियम के बर्तन भोजन के कुल 80 प्रतिशत से ज्यादा पोषक तत्व समाप्त कर देते हैं तो इसी प्रकार अन्य धातुओं के बर्तन जैसे कि पीतल, कांसा इत्यादि भी भोजन के कुछ पोषक तत्व समाप्त कर देते हैं किंतु मिट्टी के बर्तनों में आप निश्चिंत होकर खाना पकाइए क्योंकि इसमें आपके भोजन का 1 % पोषक तत्व भी समाप्त नही होता है, और इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है.
स्वास्थ्य के लिए अन्य बर्तनों में पका भोजन आपके लिए थोड़ा हानिकारक भी होता हैं तो वही मिट्टी के बर्तन में बना भोजन ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक हो जाता हैं. हमारे शरीर को 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व चाहिए होते हैं जो मिट्टी के बर्तनों से नष्ट नही होते हैं. साथ ही मिट्टी में किसी भी प्रकार का रसायन या अन्य हानिकारण तत्व भी नही मिला होता हैं जिससे भोजन उत्तम रहता हैं.
यदि आपने कभी किसी के यहाँ मिट्टी के बर्तनों में खाना खाया होगा तो आपको अवश्य पता होगा कि कैसे वह एक दाल को भी इतना स्वादिष्ट बना देता हैं. मिट्टी के बर्तन की यह भी सबसे बड़ी उपलब्धि हैं कि वह भोजन को स्वास्थ्यवर्धक बनाने के साथ-साथ उसे हमारे लिए स्वादिष्ट व सुगंधित भी बनाता हैं.
यदि आप मिट्टी की बर्तन ले आये हैं तो उन्हें सीधा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि आपको पहले इसे खाना बनाने लायक तैयार करना ठीक रहता हैं , अन्यथा ये जल्दी खराब हो सकते है. इसलिये जब भी आप कोई मिट्टी का बर्तन खरीदकर लायें तो सबसे पहले नीचे दी गयी रीत को अपनाएं.
सबसे पहले उस नए बर्तन को रात भर पानी में डुबोकर रखें व निकाल ले.
अब अगले दिन एक अन्य बर्तन में पानी गर्म करें व उसे मिट्टी के बर्तन में डाले. ऐसा आप 3 से 4 दिन तक लगातर करें. अंतिम दिन आप इसे अंदर व बाहर से किसी ब्रश की सहायता से साफ करें ताकि इसमें से अनावश्यक मिट्टी निकल जाएँ व इसके बाद इसे धूप में सुखाएं.
जब यह अच्छे से सूख जाएँ तब इसके चारों और खाना बनाने का तेल लगायें व इसमें पानी भरकर गैस पर मध्यम आंच पर गर्म करें. इसे 2 से 3 घंटे तक गैस पर गर्म होने दे व उसके बाद ही इसे खाना बनाने में इस्तेमाल करें.