कुदरत की लीला अनंत है ,अपरंपार है. ये मै नहीं कहेता ! ये हमारे प्राचीन ग्रंथ वेदोंका सार है… ! प्रभु तु सी ग्रेट हो. आप कितना दयालु है. तेरी दयाका अहसास मै हर पल कर रहा हूं.
सुबह उठतेही खिड़की से पूर्व की तरफ देखता हूं तो सुबह किरण की लाली मन को मोह लेती है. गगन मे ऊँचे उड़ते पक्षीओ का नजारा देखता हूं तो, आपकी लीला की तृप्तता का अहसास करता हूं.
राम वो नाम है जिसके नाम से श्रद्धा हो तो पत्थर भी पानी मे तैर जाते है. श्री राम पुरुषो मे उत्तम है तभी तो पुरुषोत्तम कहा जाता है. एक पुरुषोत्तम ” लाल ” चतुर्वेदी राम बनकर भाईंदर की पावन भूमि मे पधारे, अपने दाढ़ी बाल बढाकर 14 साल तक पर्याप्त पानी के लिये तपस्चर्या की. भाईंदर का सर्वांगीण विकास मे गुरुजी का योगदान 21 तोपोंकी सलामी के लायक है.सैलूट लाल साहब जी को.
जब कभी मै दुःखी होता हूं तो हे प्रभु श्री राम जी को याद करता हूं. 14 साल का वनवास. कितने दुःखोंका सामना किया होगा आपने. हमकों तो सुबह उठतेही पालिका का पानी मिल जाता है, मगर आपको तो पानी पानेके लिये ना जाने कितने कष्ट उठाने पड़े होंगे. कभी झरनो का सहारा लिया होगा तो कही पर खड्डा खोदकर पानी प्राप्त किया होगा.
कभी तालाब का पानी पीकर दिन निकाले होंगे तो कभी नदीका पानी पिया होगा. प्रभु हम लोग 14 घंटे बीना भोजन नहीं रह सकते फिर जंगल मे आपको 14 साल तक कैसा भोजन मिला होगा ? कही फल खाकर दिन निकाले होंगे तो कभी कंदमूल ( root vegetable ) खाकर. शायद राम फल और सीता फल आपका प्रिय भोजन रहा होगा जो आज भी हम लोग श्रद्धा से खाते है.
हे ! प्रभु श्री रामजी , हम लोग तो बिस्तर पर सोते है, मगर आपको तो ना जाने कहा कहा सोना पड़ा होगा. कभी वृक्ष के सूखे पत्ते को शय्या बनाई होंगी. तो कभी गुहा मे सोना पड़ा होगा. आपके संकटो के आगे हमारा संकट तो सुक्ष्म लगता है. आपकी धीरज और आपका जीवनी ही तो हमें संबल देकर जिंदगी जीनेकी राह दिखाता है.
इस धरा पर ना – ना प्रकारके राक्षस मनुष्य के रूपमें आज भी मौजूद है मगर आपको तो कई राक्षसों का सामना करना पड़ा था. अतः जब भी कोई हम पर संकट आते है तो आपको याद करते है. भगवान श्री कृष्ण को कारावास मे जन्म लेना पड़ा. प्रभु येशु को क्रॉस पर लटकाया गया.
प्रभु आज भी देव और दानव वृति मनुष्य मे भरी पड़ी है. आज मनुष्य मे राम रावण की हरकते भरी पड़ी है. आज भी बजरंगबली बनकर कोई इंसान सहायता करने के लिये खड़ा हो जाता है.
हर साल रावण का पुतला जलाया जाता है. थोड़ी देरके लिये हम लोग रावण दहन का आनंद लेते है. मगर रावण मनुष्य के रूपमें अमर है. वो मरता नहीं. फिर कही ना कही कोई मनुष्य के रूपमें हाजिर होता है. कोई किसी अबला की इज्जत लुटता है. गरीबों का हक छिनता है. भ्रष्ट्राचारी बनकर देश को कूटरता है. तो कोई चंद पैसो की खातिर महाभारत खड़ा करता है. लुटमलूट करता है.
हे ! प्रभु , ज़ब दुनिया मे हम आये है तो जिनाही पड़ेगा. जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा.
——–=== शिवसर्जन ===—–