आज मुजे प्रसाद प्रोडक्शन मद्रास की सुपर डुपर हिंदी फ़िल्म ससुराल के बारे मे कुछ बातें शेयर करनी है जो सन 1961 मे रिलीज हुई थी. उस जमाने मे हीरो राजेन्द्र कुमार की कई फ़िल्म सिल्वर जुबली हुई थी. इसी कारण से राजेन्द्र कुमार को जुबली कुमार के नाम से पहचाना जाता था. साठ सत्तर का दशक हिंदी फिल्मोंका सुवर्ण काल ( Golden Era ) था. तब एक से एक सुपर डुपर हिंदी हिट फिल्मे रिलीज हुई थी. ससुराल उनमेसे एक थी.
ससुराल फ़िल्म का एक गाना बहुत फेमस हुआ था. बोल थे , तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसीकी नजर ना लगे… चश्मे – ए – बद्दूर… इस सुहाने गाने को लिखा था, गीतकार हसरत जयपुरी साहब ने. संगीत से सवारा था, तत्कालीन जानी मानी जोडी शंकर – जयकिशन जी ने, इस गाने को स्वर बद्ध किया था गायकी के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी साहब ने.
राजेन्द्र कुमार और साऊथ की चिकनी चमेली हीरोइन अदाकारा बी.सरोजदेवी ने यादगार मुख्य भूमिका निभाई थी. आउटडोर मे फिल्माया गया ये गाना प्रेक्षकों मे बहुत ही प्रसिद्ध हुआ था. हीरो हीरोइन से कहता है की तेरी प्यार भरी सूरत को किसीकी नजर ना लग जाये.
हीरोइन को हीरो की छेड़छाड़ अच्छी लगती है मगर वो रुठनेका ढोंग रचती है. हे प्रिये तुम इतनी सुंदर है की कही तुझको मेरी नजर ना लग जाय इसीलिए अपना मुह को तु आंचल मे छुपाले. इसीलिए कहता हूं तु अकेली गुमा मत कर, लोगोंकी नजर से बचके रहे. तु फूलों जैसी नाजुक है. तुझे देखकर तो मौसम भी फ़िदा हो जाये ऐसा है अतः तेरी जुल्फों को तु तेरे गालो पर गिरादे ताकि कोई आपको ठीक देख ना सके. कोई नजर लगा ना पाये.
तेरी एक झलक पाने के लिये राही एक जगह ही रुक जाता है. तेरी सलोनी सूरत देखकर चांद भी आह भरने लगता है. तु इतनी खूबसूरत है की तुम आईना भी मत देखा करो वर्ना तेरी खुदकी नजर भी तो लग सकती है.
साठ के दशक मे लोग ये गाना अक्षर गुनगुनाया करते थे. ससुराल फ़िल्म के अन्य गाने भी मनभावन, लुभावने है. आज भी प्यार करने वालों मे ये गाना बहुत फेमस है. निचे गाने के बोल दे रहा हूं आप लोगोको अवश्य पसंद आएगा.
गाने के बोल :
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को,
किसीकी नज़र ना लगे…
चश्म-ए-बद्दूर
मुखड़े को छुपालो आंचल में,
कहीं मेरी नज़र ना लगे…
चश्म-ए-बद्दूर
यूँ ना अकेले फिरा करो,
सबकी नज़र से डरा करो (2)
फूल से ज्यादा नाज़ुक हो तुम,
चाल सम्भल कर चला करो….
ज़ुल्फ़ों को गिरा लो गालों पर,
मौसम की नज़र ना लगे….
चश्म-ए-बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को…
एक झलक जो पाता है,
राही वहीं रुक जाता है (2)
देखके तेरा रूप सलोना,
चाँद भी सर को झुकाता है
देखा न करो तुम आईना,
कहीं खुद की नज़र ना लगे
चश्म-ए-बद्दूर
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसीकी नजर ना लगे…
——-====शिवसर्जन ====——=