हिट एंड रन नए कानून के ख़िलाफ़ देश भरके ट्रक ड्राइवरो की हड़ताल स्थगित.

पिछले सप्ताह देश भरके ट्रक ड्राइवरोने हिट एंड रन के नए कानून के ख़िलाफ़ हड़ताल की इसीलिए सरकार को इस क़ानून को स्थगित करना पडा.

वास्तविकता यह भी है कि हमारे देशमें सड़क एक्सीडेंट होना एक बड़ी समस्या है. इनमें से कई दुर्घटनाएं तो हिट एंड रन की होती हैं, जिनमें एक गाड़ी सवार किसी व्यक्ति को टक्कर मार देता है और फिर मौकेका फायदा उठाकर भाग जाता है. ऐसे मामलों में पीड़ित की मौत तक हो जाती है.

कानून यह कहता है कि ऐसी गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के समय ड्राइवर को स्थानीय पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना दुर्घटना स्थल से भाग जाना गुनाह है. ऐसे गुनाह को रोकने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में नया हिट एंड रन बिल पास किया है.

इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. और अब यह भारतीय न्यायिक संहिता के तहत नया कानून बन गया है. इसमें जो प्रावधान जोड़े गए हैं, उनका कई जगहों पर ड्राइवरो द्वारा विरोध हो रहा है.

बनाये गए हिट एंड रन नए कानून में प्रावधान है कि जो चालक लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनते हैं और पुलिस या प्रशासन के किसी अधिकारी को सूचित किए बिना भाग जाते हैं, उन्हें 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. यह नया कानून

निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता हैं. विरोध कर रहे ट्रक चालकों का कहना है कि नए कानून के प्रावधान बहुत सख्त हैं और उन्हें नरम किया जाना चाहिए.

वाहन चालकों का कहना है कि यदि वें मौका ये वारदात पर खड़े रहते है तो उन्हें पीटना आदि भीड़ का शिकार होनेका डर रहता है.

केंद्र सरकार के अनुसार, पूरे भारत में हर साल लगभग 50,000 लोग हिट एंड रन मामलों में अपनी जान गंवा देते हैं. ऐसे मामलों में, अक्सर पीड़ितों की मदद के अभाव में ही उनकी मृत्यु हो जाती है. राज्यों में पुलिस अधिकारी अच्छे नागरिकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं जो ऐसे मामलों की रिपोर्ट करते हैं, जिससे पीड़ितों की जान बचाने में मदद मिली है. पुलिस को सूचित करने से घायल लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में मदद मिलती है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ट्रक ड्राइवर नए हिट एंड रन नियम का विरोध कर रहे हैं. ट्रक चालकों को बस, टैक्सी और ऑटो चालकों का भी समर्थन हासिल है. विरोध कर रहे ड्राइवरों का तर्क है कि अगर वे ऐसे हादसों के बाद रुकेंगे तो मौके पर मौजूद भीड़ उन पर हमला कर सकती है. अक्सर सड़क दुर्घटना होने पर मौके पर जमा भीड़ उग्र होकर ड्राइवर पर हमला कर देती है.

नए कानून का विरोध दर्शाने के लिए कई ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और ड्राइवरों का समूह राज्यव्यापी हड़ताल के समर्थन में उतर आये थे. पुणे में ऐसे एसोसिएशन के सदस्यों और ड्राइवरों ने दौंड तालुकाके खड़की में पुणे सोलापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया और विरोध में टायर जलाए थे. नए नियमों के कारण ड्राइवरों में खासी नाराजगी है और उन्हें लगता है कि उनके साथ ज्‍यादती की गयी है. ये नियम हर वाहन चलाने वाले पर लागू होता है.

नए नियमों की सख्ती को देखते हुए ड्राइवरों का यह कहना है कि कई ड्राइवर अपनी लोन पर गाड़ियों को लेकर चला रहे है. ऐसे में जुर्माने की भारी कीमत भरने में काफी समस्या होगी. साथ ही उनका यह भी कहना है कि उच्च ब्याज वाले ऋण और बढ़ते पेट्रोलियम के दामों के कारण ट्रांसपोर्ट सेक्शन में लाभ मार्जिन कम होता जा रहा है. साथ ही यदि सरकार की ओर से ऐसे नियम लाये जायेंगे तो हमारे लिए और समस्या बढ़ जाएगी.

इस मामले में अभी तक नियम था कि हिट एंड रन के केस में आईपीसी की धारा 279 ( लापरवाही से वाहन चलाने ), 304A ( लापरवाही के कारण मौत ) और 338 ( जान जोखिम में डालना ) के तहत केस दर्ज किया जाता था जिसमें 2 सालकी सजा का प्रावधान था लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है.

इन नए नियमों को लेकर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि ड्राइवरों में इसको लेकर काफी नाराजगी है और ड्राइवर इस नए नियम को वापस लेने की मांग कर रहे है.

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