2000 रुपये की नोट चलन से नदारद.

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आप खुद महसूस कर रहे होंगे कि लंबे समय से 2000 रुपये का नोट चलन मे दिखाई नही दे रहा है. तो फिर 2000 रुपये के नोट गये कहा ? क्या इसे काले धन के रूपमें भ्रष्ट्राचारियों द्वारा संग्रह किया गया है ? वर्तमान मे

” इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट ” ( ED) द्वारा किया गया सर्वे मे 2000 की नोट बडी मात्रा मे हस्तगत की गई थी.

हो सकता है कि दो नंबरी काम करने वाले देशद्रोही लोग इसका धन संग्रह मे उपयोग कर रहे हो.

नई 2000 रुपये की नोट को ता : 8 नवंबर 2016 के दिन रुपये 500 और रुपये 1000 बैंक नोटों की बंदी के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किया गया था और ता : 10 नवंबर 2016 से चलन में है. यह 2000 रुपये का नोट पूरी तरह से नए डिजाइन के साथ बैंक नोट्स की महात्मा गांधी नई श्रृंखला का हिस्सा है. 2000 रुपये के नए नोट के पीछे मंगलयान की तस्वीर छपी हुई है.

नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में जारी किए गए 2000 रुपये के नोट अब उतने चलन में नहीं रहे है. इनकी संख्या में 9,120 लाख यानी 27% की कमी आई. इस तरह बाजार से 1.82 लाख रुपये के 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं.

हमारे देश में 2000 रुपये के नोट सबसे ज्यादा चलन में सन 2017-18 के दौरान रहे. इस दौरान बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट चलन में थे. इनका कुल मूल्य 6.72 लाख करोड़ रुपये था.

वित्त राज्यमंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ये जानकारी दी थी कि पिछले दो साल से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है. दरअसल सरकार RBI के साथ बातचीत करने के बाद नोटों की छपाई को लेकर निर्णय करती है.

” अप्रैल 2019 के बाद केंन्द्रीय बैंक ने 2000 का एक भी नोट नहीं छापा है. उसकी वार्षिक रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है. “

केन्द्रीय बैंक का कहना है कि उसने इनकी छपाई बंद कर दी है, इसलिए बैंक शाखाओं तक 2000 के नए नोट नहीं पहुंच रहे और ना ही लोगों को यह ए.टी.एम. से मिल रहे हैं.

मगर जो नोट शुरु से चलन मे थे वो नोट गये कहा ? यह भी हो सकता है कि ऊंचे मूल्य के कारण 2000 के नोट कालेधन के रूप में संग्रह किए गये हो.

सन 2016 में नोटबंदी के समय भी 4 से 5 लाख करोड़ रुपये की करेंसी के वापस नहीं आने की उम्मीद रखी गई थी. हालांकि उसके बाद RBI ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट में से करीब 99% नोट वापस आ गए है.

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2000 रुपये के मात्र 24,510 लाख नोट ही चलन में बचे हैं. इनका कुल मूल्य 4.90 लाख करोड़ रुपये है. हालांकि 2000 रुपये के नोट चलन में भले कम हुए हैं, लेकिन अन्य बैंक नोट जैसे कि 500 रुपये और 200 रुपये के नोट का चलन बढ़ा है. इस दौरान देश में नकदी का उपयोग भी बढ़ा हैं.

वित्त सन 2020-21 के दौरान चलन में करेंसी नोटों की संख्या में 7.2% की और नकदी के मूल्य में 16.8% की बढ़त दर्ज की गई. जबकि 2019-20 के दौरान ये क्रमश: 6.6% और 14.7% थी.

हमारे देश में 31 मार्च 2021 तक चलन में कुल करेंसी नोट में 500 और 2000 की हिस्सेदारी 85.7% रही जो 31 मार्च 2020 तक 83.4% थी. RBI की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि 500 के नोट 2000 के नोट की जगह ले रहे हैं. सर्कुलेशन करेंसी में सबसे अधिक हिस्सेदारी 31.1% 500 के नोट की है. इसके बाद 23.6% हिस्सेदारी 10 रुपये के नोट की है.

2000 रुपये की बैंकनोट में कई प्रकार की सुरक्षा विशेषताएं है. नए नोट का आकार 66 मिमी x 166 मिमी है.

बैंकनोट के बाईं ओर माइक्रो अक्षरों आर.बी.आई.’ और ‘2000’ लिखा है. आर.बी.आई. और ₹ 2000 के साथ सुरक्षा धागा है, जब नोट झुका हुआ होता है तो थ्रेड रंग हरे से नीले रंग में बदल जाता है.

नीचे दाहिने ओर अशोक स्तंभ प्रतीक पर महात्मा गांधी चित्र और (2000) वॉटरमार्क अंकित किया है.ऊपरी बाईं तरफ और नीचे दाहिने तरफ छोटे से बड़े से बढ़ने वाले अंकों के साथ संख्या पैनल है.

अग्रभाग में महात्मा गांधी जी का चित्र ,अशोक स्तंभ का प्रतीक और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नरके दस्तखत हैं. मुद्रा की पहचान करने में दृष्टिबाधित की सहायता के लिए इस पर डिजिटल प्रिंटर है.

वित्त मंत्रालय के अनुसार विशेष मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की छपाई का फैसला सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की सलाह पर जनता की लेनदेन संबंधी मांग को आसान बनाने और नोटों की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए ही किया जाता है.

दो हजार रुपये की नोट के बारे में सरकार का कहना है कि इस साल नवंबर में बाजार प्रचलन वाले 2,000 रुपये के नोटों की संख्या घटकर 223.3 करोड़ नोट या कुल नोटों (एनआईसी) का 1.75 प्रतिशत रह गई. वहीं, 2018 के मार्च में यह संख्या 336.3 करोड़ थी.

यही वो वजह है कि 2000 रुपये के नोट इन दिनों आपके हाथ में कम आ रहे हैं.

सरकार की आर्थिक नीति के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक दो हज़ार रुपए के नोट के चलन की जगह पांच सौ रुपए के नोट को बढ़ावा दे रही है.

वास्तव मे दो सालों में दो हज़ार रुपए के नए नोट छापे ही नहीं गए हैं. इसीलिए धीरे धीरे बाज़ार से दो हज़ार रुपए के नोट कम हो रहे हैं.

इसी नीति पर चलते हुए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 2020 के बाद से बैंकों को एटीएम से ये नोट हटाने के निर्देश दिए थे. इसी के तहत चरणबद्ध तरीक़े से मार्च 2020 के बाद से देश के 2,40,000 एटीएम से दो हज़ार रुपए के नोट हटा दिए गए और उनकी जगह छोटे नोटों ने ले ली थी.

शुरुआत में ये नोट एटीएम से हटे और धीरे-धीरे ये बैंकों में भी मिलने बंद हो गए. हालांकि वित्त मंत्रलाय बार-बार कहता रहा है कि दो हज़ार रुपए के नोट रद्द नहीं हुए हैं, सिर्फ़ उनका चलन कम किया गया है.

इस बारे मे अधिकांश अर्थशास्त्रियों का यह कहना है कि इससे बड़े स्तर के भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा. यदि ऐसे नोटों का चलन कम होगा तो भ्रष्टाचार भी कम होगा.

किसी भी करेंसी नोट की छपाई की लागत उसके वैल्यू से सीधा संबंधित नहीं होती है. मान लीजिए कि 100 रुपये के नोट की छपाई की कीमत 3 रुपये प्रति नोट आ रही है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आरबीआई कितने भी नोट छाप सकता है. अगर ऐसा होता, तो भारत की अर्थव्यवस्था कभी नीचे जाती ही नहीं और गरीबी से भारत बहुत आगे किसी विकसित देश की कतार में खड़ा होत.

हमारे देश में करेंसी जारी करने का अधिकार सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक के पास है. आरबीआई करेंसी छापने के लिए मिनिमम रिजर्व सिस्टम नियम का पालन करता है. यह नियम साल 1956 में बना था. रिजर्व बैंक को करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना पड़ता है. इसमें 115 करोड़ रुपये गोल्ड और 85 करोड़ रुपये की विदेशी करेंसी रखनी जरूरी होती है.

सरकार को नोट छापने का खर्चा :

200 रुपये के नोट की छपाई की लागत 2.93 रुपये प्रति नोट आती है.

इसी तरह 500 रुपये के नोट की छपाई की कीमत 2.94 रुपये आती है.

2000 रुपये के 1 नोट की छपाई की लागत 3.54 रुपये आती है.

साल 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हुई थी. आरबीआई द्वारा जारी की गई पहली करेंसी नोट 5 रुपये की नोट थी. यह नोट साल 1938 में छपी थी, जिसपर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर लगी थी. भारतीय करेंसी का नाम भारतीय रुपया है. भारतीय रुपये का प्रतीक “₹” है.

आजाद भारत का पहला करेंसी नोट 1 रुपया रिजर्व बैंक द्वारा साल 1949 में जारी किया गया था. साल 1947 तक रिजर्व बैंक द्वारा जारी नोटों पर ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर छपती थी.

200 के नोट में जब आप गांधीजी की तस्वीर को गौर से देखेंगे तो आपको एक खास बात नजर आयेगी. गांधीजी के चश्मे पर छोटे अक्षर में RBI लिखा है. कहा जा रहा है कि इसकी कॉपी कर पाना आसान नहीं है. इसे नोट का सीक्रेट फीचर बताया जा रहा है.

2000 के नोट पर कोने में काली

7 लाइनें होती हैं, जो 1-2-1-2-1 के सेट में होती हैं. काले रंग की लाइन पर कभी आपने गौर किया है ?

ये लाइन सिक्योरिटी फीचर्स में अहम मार्क है. ये लाइनें 100 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोट पर बनी होती हैं. इन लाइनों को खास तरह से बनाया गया है और हर नोट पर इसके अलग मतलब हैं. दरअसल, ये लाइनें नेत्रहीन व्यक्तियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं और इन्हें खास तरह की प्रिंटिंग से बनाए जाते हैं.

इस प्रिंटिंग को INTAGLIO या उभरी हुई प्रिटिंग कहा जाता है.जब आप हाथ में नोट लेंगे और उस पर हाथ लगाएंगे तो यह थोड़े उभर हुए होंगे, इससे नेत्रहीन व्यक्ति भी नोट के बारे में पता लगा सकते हैं.

किस नोट में कितनी लाइनें ?

*** 100 रुपये के नोट में 4 लाइनें होती हैं, जिसमें 2-2 के सेट में 4 लाइनें होती हैं.

*** 200 रुपये के नोट में भी 4 लाइनें ही होती हैं, जिसमें 2-2 के सेट होते हैं. लेकिन, इन 2-2 लाइनों के बीच में 2 बिंदु भी होते हैं, जिससे समझा जा सकता है कि 200 रुपये का नोट है.

*** 500 रुपये के नोट में 5 लाइनें होती हैं, जो 2-1-2 के सेट में होती हैं.

*** 2000 रुपये के नोट में 7 लाइनें होती हैं, जो 1-2-1-2-1 के सेट में होती हैं.

वर्तमान समय मे देश मे 2000, 500, 200, 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट चलन में हैं. एक हजार के नोट सन 2016 में हुई नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हो गए थे. रिजर्व बैंक सन 1956 से करेंसी नोट छापने के लिए ‘मिनिमम रिजर्व सिस्टम’ के तहत करेंसी की छपाई करता है. इस नियम के मुताबिक, करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना जरूरी है. इसके बाद ही रिजर्व बैंक करेंसी नोट प्रिंट कर सकता है.

करेंसी नोट सिर्फ सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में ही छापे जाते हैं. देशभर में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं. (1) नासिक, (2) देवास, (3) मैसूर (4) सालबोनी (प. बंगाल) में नोट छपाई का काम किया जाता है.

सन 1924 में देश की पहली बैंक नोट प्रेस महाराष्ट्र के नासिक में स्थापित हुई थी, जबकि देवास की बैंक नोट प्रेस 1974 में स्थापित हुई थी. यहां एक साल में 265 करोड़ से अधिक नोट छपते हैं. पहले 20, 50, 100 और 500 के नोट छपते थे. अब डिमांड के अनुसार 200-500 के छपते है.

” करेंसी नोट प्रेस ” नासिक वास्तव मे देश के “सेक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया” के तहत आता है. इस कारपोरेशन की पूरे देश में 09 इकाइयां हैं. नासिक में इसकी दो इकाइयां हैं. एक करेंसी नोट छापती है और दूसरी इकाई में स्टांप पेपर, रेवेन्यू टिकट, पासपोर्ट और वीजा आदि छापे जाते हैं.

इन सभी में इतनी सुरक्षा होती है कि अंदर परिसर में जाते समय और निकलते समय जबरदस्त जांच होती है. जांच कई स्तरों पर इस तरह होती है कि आप चोरी छुपके से कुछ भी प्रेस से बाहर लेकर जा नहीं सकते.

नोटबंदी के बाद देश में सबसे ज्यादा नोट नासिक से ही छपे हैं. तब यहां ओवरटाइम काम हो रहा था. तब यहां एक दिन में नोटों के 04करोड़ पीस छापे जा रहे थे, जिसमें 500, 200, 100, 50, 20 और 10 रुपए के हर तरह के नोट थे. बस यहां 2000 रुपए की प्रिंटिंग का काम नहीं होता, जो मैसूर और बंगाल के सालबोनी मुद्रा छापाखाने में होता है.

करेंसी नोट प्रेस नासिक में उत्पादन की स्थिति लगातार बेहतर हुई है. हालांकि समय के साथ जैसे जैसे यहां की मशीनों का आटोमेशन हुआ, उससे कर्मचारियों की संख्या कम हुई लेकिन मौजूदा दौर में यहां 2547 कर्मचारी काम करते हैं.

नोट छापने की स्याही का आयात मुख्य रूप से स्विटजरलैंड की कंपनी SICPA से किया जाता है. जिसमें इंटैगलियो (Intaglio), फ्लूरोसेंस ( Fluorescent) और ऑप्टिकल वेरिएबल इंक (Optically variable ink (OVI) का इस्तेमाल किया जाता है. आयात होने वाली स्याही के कंपोजिशन में हर बार बदलाव करवाया जाता है, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कोई नकलची देश इसकी नकल न कर सके.

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