दुनिया के इतिहास में कई खौफनाक तानाशाह हो गए. इसमें एक नाम इटली के तानाशाह मुसोलिनी का भी आता हैं. तारीख 29 जुलाई 1883 को इटली के प्रेडेपियो शहर में जन्म लेने वाला बेनिटो मुसोलिनी दुनिया के सबसे खौफनाक,
क्रूर तानाशाह में से एक था. बताया जाता है कि महज 21 साल के शासन में इसने सात लाख लोगों को को मौत के घाट उतार दिया था. जर्मनी का क्रूर तानाशाह हिटलर इसे अपना गुरू मानता था. बेनिटो मुसोलिनी अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को अगले दिन का सूरज नहीं देखने देता था. क्रूर मुसोलिनी ने सन 1922 से सन 1943 तक इटली पर राज किया था.
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में मुसोलिनी ने लफ्फाजी की थी कि अगर वो मैदान से पीछे हटा तो उसे गोली मार देना. युद्ध समाप्ति पर जब मुसोलिनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भागने की फिराक में था तो विरोधियों द्वारा पकड़ा गया. उन्होंने मुसोलिनी की बातों का अक्षरत: पालन किया और 16 साथियों संग उसे गोलियों से भून डाला.
मुसोलिनी का अंत बेहद खौफनाक था. उसके शव के साथ लोगों ने बेहद बुरा सलूक किया. ये उन लोगों का दर्द था, जो मुसोलिनी की क्रूरता का शिकार हुए थे. विरोधियों ने मुसोलिनी और उसकी गर्लफ्रेंड के शव को बीच चौराहे पर उलटा टांग दिया था.
जर्मनी का तानाशाह एडोल्फ हिटलर और मुसोलिनी आपस में खास दोस्त थे. द्वितीय विश्व युद्धके दौरान मुसोलिनी ने हिटलर के साथ ही दुनिया के अन्य देशों से जंग लड़ी थी लेकिन, वे हार गए. इसके बाद हिटलर ने तो खुद को गोली मार दी लेकिन, बेनिटो मुसोलिनी विरोधियों के हाथ पकड़ा गया और मौत के घाट उतार दिया गया. इससे पहले हम बेनिटो मुसोलिनी की खौफनाक मौत पर जाएं, उसकी क्रूरता के कई किस्से हैं, जिन्हें सुनकर किसी का भी दिल सहम जाए.
एक टीचर से तानाशाह तक का सफर की मुसोलिनी की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. मामूली टीचर से करियर की शुरुआत करने वाला मुसोलिनी नौकरी छिन जाने के बाद मजदूर बना, फिर पत्रकार और फिर सत्ता के शीर्ष पर बैठकर निरंकुश तानाशाह बन गया. पत्रकारिता के दौरान हिंसा और आपसी द्वेष फैलाने वाले लेखों से वह कई बार जेल गया. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उसने शार्प शूटर के तौर पर सेवा दी. इसके बाद उसने काले लिबास वाली पैरामिलिट्री फोर्स बनाई और इटरी का राज बनने का ख्वाब देखने लगा.
मुसोलिनी के पास काले लिबास वाली खतरनाक और क्रूर प्राइवेट आर्मी थी. उसके दम पर इटली में जमकर उत्पात मचाया और कई सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ मचा दी. विरोध करने वाले कई आम लोगों और नेताओं को मौत की नींद सुला दिया. जब उसकी 20 हजार की संख्याबल वाली आर्मी इटली की राजधानी रोम पहुंच गई तो मारे डर के सत्ता पर बैठे नेताओं ने आनन-फानन में बेनिटो मुसोलिनी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब मुसोलिनी ने देखा कि हिटलर की सेना ने फ्रांस पर चढ़ाई कर दी है तो वह भी दुनिया की नजर में आना चाहता था. उसने हिटलर से दोस्ती कर ली और जर्मनी के सभी दुश्मनों को अपनी दुश्मन करार दिया और उनके खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध में हारने के बाद जब मुसोलिनी अपनी गर्लफ्रेंड क्लारेटा पेटाची के साथ भागने की फिराक में था और विरोधी आर्मी ने उसे पकड़ दिया और मिलान शहर ले जाकर गोलियों से भून डाला. यह दिन था 28 अप्रैल 1945 का. ट्रक पर 18 लाशें लाई गईं और सड़क पर फेंक दी गई. इन लाशों में एक मुसोलिनी की भी लाश थी. लोग चिल्ला रहे थे और मुसोलिनी की मौत का जश्न मना रहे थे. एक महिला आई और उसने शव के ऊपर पेशाब कर दी. एक महिला ने अपने बेटों की मौत का बदला लेने के लिए चाकू से मुसोलिनी के शव पर ताबड़तोड़ वार किए. इससे मुसोलिनी की आंख बाहर निकल आई.
एक शख्स ने मुसोलिनी के चेहरे पर मरा हुआ चूहा फेंका. लोग मुसोलिनी की मौत को बड़ी जीत के जश्न के रूप में मना रहे थे. इसके बाद मुसोलिनी और उसकी गर्लफ्रेंड के शव को उसके अन्य सहयोगियों की लाशों के साथ उलटा लटका दिया गया.
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