ग्लोबल पगोडा ( विपासना केंद्र ) | Global Pagoda

    ” ग्लोबल पगोडा ”  बौद्ध बिपासना केंद्र. गोराई , बोरीवली के नाम से शायद ही कोई अनजान होगा. विश्व में ऐसा पगोडा ( वास्तु ) कही नहीं है. आज से  करीब  25  साल  पहले की बात है तब स्थानीय पत्र  ” भाईन्दर भूमि ” हिंदी समाचार पत्र ने सबसे पहले  पगोडा के समाचार प्रकाशित किये थे, तब किसीको कल्पना नहीं थी कि  एक दिन यह पगोडा  विश्व का आठवा अजूबा के रूप में  उभरकर सामने आयेगा. 

         भाईन्दर स्टेशन  ( पश्चिम ) से करीब 23 किलोमीटर की दुरी पर  बोरीवली ( गोराई ) स्थित एस्सेल वर्ल्ड की उत्तरी छोर पर भव्य पगोडा का निर्माण किया गया है. जो श्री सत्य नारायण गोयन्का का धार्मिक प्रकल्प है. जिसके लिये एस्सेल वर्ल्ड के मालिक ने उसे  मुफ्त में जगह दी है. 

      पगोडा का निर्माण सन 2000 में शुरू हुआ और सन  2008 में पुरा हुआ.उसके बाद ता : 8 फरवरी 2009 के दिन तत्कालीन माननीय  राष्ट्रपति “श्रीमती प्रतिभा पाटील” जी ने इसका शुभारंभ किया. जिसमे भारत सहित विश्व के कई गणमान्य लोगोने भाग लिया था. 

      बुद्ध विपासना पगोडा की कुल ऊंचाई  96.12 मीटर यानी लगभग 300 फुट ऊंची है. नीचे गोल आकर में बना ध्यान केंद्र में एक साथ 8000 साधक बैठ सकते है. अगर खड़े रहे तो 12000 साधक खड़े रह सकते है. पगोडा की विशेषता है की बीचमे एक भी खम्भा नहीं है. पुरा राजस्थान से लाये गये बड़े बड़े विशाल भारी पत्थर से बना है. 

         शिल्प कला की अद्भुत कारीगरी है. ताजुब की बात है की , इसमें सीमेंट का बिलकुल उपयोग नहीं किया गया है. पगोडा के उपर बीचमे  भगवान श्री गौतम बुद्ध के अस्थि एवं बाल रखे गये है जो विश्व ग्लोबल संस्थान की तरफ से मिले है, जिसको हीरा , मोती , सोना , चांदी, रत्न जेवरात के बीचमें रखकर कंस्ट्रक्शन किया गया है. 

         मुख्य पगोडा के दोनों बाजु दो छोटे छोटे पगोडे बनाये गये है. जिससे भव्यता का अहेसास होता है. पगोडा के पूर्व में एक विशाल अशोक स्तंभ पर्यटकोंका आकर्षण केंद्र हे. 

वैसे तो मुख्य पगोडा में अंदर जाना मना है मगर अंदर प्रेक्षक गेलरी बनायीं गयी है, जहासे आप अंदर का पुरा नजारा देख सकते हो. मॅनॅग्मेंट काबिले तारीफ है. 

           इस  वास्तु को इस  तरह से डिज़ाइन की गयी है की बारिस का जो पानी पगोडा पर गिरता है वो सीधा पगोडा की टंकी में जाता है. विशाल पगोडा के नीचे विशालकाय पानी की टंकी बनी है. जिसका पानी साल भर चलता है. नीचे ग्राउंड स्थल पर तीन विशाल तालाब बनाये गये है. 

        मंदिर परिसर में  गौतम  बुद्ध  की जीवनी को दर्शाते करीब 100 से ज्यादा फोटो की प्रदर्शनी प्रेक्षणीय है. नीचे बुक स्टॉल अवं एक मिनी A/C थिएटर में  18 मिनट की पगोडा की फिल्म फ्री में दिखाई जाती है. पगोडा का प्रवेश बिलकुल फ्री है. 

     ग्राउंड फ्लोर में खान पान के लिये सुंदर व्यवस्था है जहां आप पैसे देकर मन चाहा नास्ता खाना खा सकते हो. पगोडा से आप दूर दूर तक प्राकृतिक सौंदर्य का मनमोहक नजारेका लाभ उठा सकते हो.  नीचे धम्म चक्र अवं गौतम बुद्ध की सुंदर प्रतिमा प्रेक्षणीय है. पर्यटक यहापर मोबाइल से सेल्फ़ी लेकर मोमेंटम को यादगार बनाते है. 

      वहा तक रोड मार्ग से जानेके लिये आपको मिरा भाईन्दर से गोराई और गोराई से पगोडा पहुँचना होगा. भाईन्दर से मिरा भाईन्दर की बस सेवा भी उपलब्ध है. फिर भी समय सारणी की पुरी जानकारी लेनेके बाद ही जाना चाहिए ताकी परेशानी ना हो. खुदकी बाइक या फॉर व्हीलर हो  तो अति उत्तम. कोरोना काल में प्रवेश बंद हो सकता है. 

          मार्वे बीच से या गोराई बीच से भी फेरी बोट चलती है. 

बौद्ध धर्म भारत नेपाल से आगे बढ़ा. फिर चाइना , जापान., जावा , सुमात्रा,, इंडोनेसिया, बर्मा , श्रीलंका , सिंगापोर, आदि अनेक देशो में फैलते गया है.  

     सत्यनारायण गोयन्का ने फिर बुद्धिज़म को मुंबई , गोराई  में लाकर इतिहास रचा. बौद्ध कोई धर्म नहीं हे. यह जीनेकी कला है. ध्यान केंद्र को बिपासना केंद्र कहते है. समय समय पर यहा पर शिविर होते रहती हे. 

    महाराष्ट्र में आदरणीय  बाबा साहेब आंबेडकर के अनुयायी  बौधिज़म को ज्यादा मानते है. एक वास्तु कला के रूप में यह दर्शनीय है अत : हर एक को एक बार तो ग्लोबल पगोडा, गोराई, मुंबई की मुलाकात लेनी ही चाहिए. 

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                     शिव सर्जन प्रस्तुति.

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