पीठ ऊंची, ऊँटकी, ऊंचाई से नहीं होती,
होती ही है, होती ही है पीठ ऊंची ऊँटकी.
ये गाना तो आपने जरूर सुना होगा. आज मुजे यहीं ऊंट के बारेमें चर्चा करनी है. ऊंट रेगिस्तान का जीव है. इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहां जाता है. जिस प्रकार पानीमे सिर्फ नाव चल सकती है, उसी प्रकार रेगिस्तान मे सिर्फ ऊंट ही आसानी से चल और दौड़ सकता है.
ऊंट एक चार पैरों वाला जानवर है. यह खास करके रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है. इसके चार पैर, दो आँखे, दो कान और पीठ पर उभरा हुआ एक कूबड़ होता है. यह कूबड़ इसकी पहचान है जो की इसे अन्य जीवों से अलग बनाता है.ऊंट की देखने और सुनने की क्षमता भी अधिक होती है. ये एक शांत प्रजाति का जानवर है.
आपको पता नहीं होंगा की ऊंट को पसीना नहीं आता. क्योंकि इसकी मोटी चमड़ी सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित नहीं करती है. अरबियन भाषा में ऊँट के लिए 160 से ज्यादा शब्द हैं. ऊँट के करीब 34 दांत होते हैं. अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते हैं. अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं.
ऊंट रेगिस्तान के रेतीले तपते मैदानों में इक्कीस दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है. इसका उपयोग सवारी और सामान वहन के काम आता है. यह 7 दिन बिना पानी पिए रह सकता है. ऊंट का आयुष्य चालीस से पचास वर्ष तक होता है. ऊंट की ऊंचाई 7 फुट तक होती है. ये प्राणी अधिकतम 65 किमी /प्रति घंटे की रफ़्तार से भाग सकता है.
ऊंट का गर्भ काल करीब 400 दिनोंका होता है. कई जानकारों के मुताबिक आधुनिक ऊँट के पूर्वजों का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ था जो बाद में एशिया में फैल गया था. आजसे ईसा पूर्व लगभग 2000 वर्ष पहले मनुष्य ने ऊँटों को पालतू बनाया था. अरबी ऊँट और बैकट्रियन ऊँट दोनों का उपयोग अभी भी दूध, मांस और सामान वहन के लिये किया जाता है.
ऊंट रेगिस्तान की कड़ी धुप, पानी का अभाव जैसी विषम परिस्थितयो मे बिलकुल विचलित नहीं होता है. ऊंट उसके विशालकाय शरीर , लम्बी टांगो और विशिष्ट ऊंची कुबड़ के कारण यह दूर से ही पहचान में आ जाता है. ऊंट एक बार मे 100 लीटर से ज्यादा पानी पी सकता है.
रेगिस्तान की लंबी यात्रा पर जानेसे पहले ऊंट खूब खा पी लेता है. खाद्य पदार्थो के संचय से ऊंट का कूबड़ ऊँचा और ठोस हो जाता है. जैसे जैसे कूबड़ की चर्बी पिघलती जाती है कूबड़ के उपर की त्वचा सिकुड़ी हुयी थैली के रूप में एक ओर लुढक जाती है. कई लोगोंकी धारणा है की ऊंट उसकी कूबड़ में पानी एकत्रित करते रखता है, परंतु यह धारणा गलत है.
दुनिया में एक कूबड़ वाले सर्वाधिक ऊंट सोमालिया में पाए जाते हैं. यहां के लोगों के लिए यह दूध, भोजन और यातायात का प्रमुख साधन है. बैक्ट्रियन प्रजाति के ऊंट चीन के गोबी रेगिस्तान और मंगोलिया में पाए जाते हैं. भारत में सर्वाधिक ऊंट राजस्थान के रेगिस्तान मे पाये जाते हैं.
ऊंट का मुंह बहुत मजबूत होता है.यह रेगिस्तान की कंटीले पेड़ों को भी चबा लेता है. पेड़ों की हरी पत्तियां इसका मुख्य भोजन है. ऊंट के लंबे पैर उसे जमीन की गर्मी से दूरी बनाए रखने में मदद करते हैं. ऊंट की आंखों पर तीन परतें होती हैं और उन पर बने बाल इस तरह होते हैं, कि जब रेगिस्तान में रेतीली हवाएं चलती हैं तब रेत उनकी आंखों में नहीं जा पाती. और ऊंट आसानी से देख सकता हैं.
ऊंट के पंजों की बनावट इस तरह होती है कि रेत में चलते वक्त ये अंदर की ओर नहीं धंसते. ऊंटों की किडनी पानी को लंबे समय तक रोके रखने में सक्षम होती है. द्वापर युग मे महा काव्य महाभारत के युद्ध मे यक्षोंनी सेना मे ऊंट का जिक्र किया गया है. राजस्थान में अजमेर से 14 किमी दूर पुष्कर में प्रतिवर्ष पशु मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में ऊंटों की खरीद-फरोख्त होती है.
जब ये पैदा होते हैं तो इनके कूबड़ नही होते हैं लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनके कूबड़ के आकार बढ़ते जाते हैं और ठोस होते जाते है. ऊंट शाकाहारी होते हैं और पत्ते, पौधे, फल-फूल आदि खाते हैं. ऊंट 400 किलोग्राम का वजन उठाकर चल सकते हैं. ऊंट के बच्चे पैदा होने के कुछ घंटों बाद चलना शुरू कर देते हैं. ऊंट पथरीले रेगिस्तान पर चलने से बचते हैं , क्योंकि इससे उनके पैरों को नुकसान पहुँचता है.
एक ऊंट आमतौर पर एक दिन में 40 किलोमीटर की यात्रा करता है. इंसानों के शरीर से अगर 15% पानी कम हो जाये तो हम लोग निर्जलित हो जाते है, जिसे डीहाइड्रेट होना कहां जाता है. लेकिन ऊंट के शरीर का 25% पानी खत्म हो जाए तो भी वे डीहाइड्रेट नही होते हैं.ऊंट का वजन करीब 600 किलो तक हो सकते हैं.
ऊंट के शरीर का तापमान 34 रात के दौरान से लेकर 41 डिग्री सेल्सियस दिन के दौरान तक होता है. 41 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान बढ़ने पर उन्हें पसीना आने लगता है ऊंट के कान में ढेर सारे बाल होते हैं. जो की रेत और धूल को उनके कानों से दूर रखते हैं.
अगर ऊंटनी के दूध का मिल्कशेक पीना हो तो आप अबू धाबी जा सकते हैं.यूएई में हर साल अल-ढफरा ऊंट महोत्सव होता है. यहाँ ऊँटों के बीच सौंदर्य प्रतियोगिता होती है, जिसमे हजारों ऊंटों को खिताब के लिए प्रतिस्पर्धा करते देखा जा सकता है. इतिहास में ऊँटों का उपयोग विशेषकर रेगिस्तानी क्षेत्रों में युद्ध के दौरान किया जाता था.
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