औरंगजेब बादशाह का नाम सुनतेही हमें , क्रूर , घातकी, लुटेरा, अधर्मी की छबि हमारे नजरो के समक्ष खड़ी रहती है. राजा औरंगजेब का असली नाम अबुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मुहम्मद था.उनका जन्म 3 नवंबर 1618 के दिन गुजरात के दाहोद मे हुआ था.
औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च ईसवी सन 1707 मे हुई थी. वो शाहजहाँ और मुमताज़ महल की छठी संतान और तीसरा बेटा था. औरंगजेब आलमगीर के नामसे पहचाना जाता था. इसका अर्थ होता है ” विश्व विजेता.” भारत देश पर राज करने वाला छठा शासक था.
औरंगजेब का शासन 31जुलाई सन 1658 से लेकर 3 मार्च सन 1707 उसकी मृत्यु तक चला था. वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय शासन करने वाला मुग़ल शासक था.
औरंगजेब ने अपने शासन मे मुगल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मिल मे फैलाया तथा 15 करोड़ लोगों पर शासन किया जो उस समय की दुनिया की आबादी का 1/4 भाग था. माना जाता है की औरंगजेब तब शक्तिशाली और धनी व्यक्ति था.
औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिम लोगों पर अतिरिक्त कर लगाया गया था. ग़ैर मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था. फिर भी उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे.
सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था.
उसके पिता उस समय गुजरात के सूबेदार थे.औरंगजेब के प्रशासन में दूसरे मुगल बादशाह से ज्यादा हिंदूओ को नियुक्त किये थे और शिवाजी भी इनमें शामिल थे. मुगल इतिहास के बारे में यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि दूसरे बादशाहों की तुलना में औरंगजेब के शासनकाल में सबसे ज्यादा हिंदू प्रशासन का हिस्सा थे.
ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि औरंगजेब के पिता शाहजहां के शासनकाल में सेना के विभिन्न पदों, दरबार के दूसरे अहम पदों पर प्रशासनिक इकाइयों में हिंदुओं की तादाद 24 फीसदी थी जो औरंगजेब के समय में 33 फीसदी तक हो गई थी.
औरंगजेब की सेना में वरिष्ठ पदों पर बड़ी संख्या में कई राजपूत नियुक्त थे. मराठा और सिखों के खिलाफ औरंगजेब के हमले को धार्मिक चश्मे से देखा जाता है लेकिन निष्कर्ष निकालते वक्त इस बात की उपेक्षा कर दी जाती है कि तब युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की कमान अक्सर राजपूत सेनापति के हाथ में होती थी. इतिहासकार यदुनाथ सरकार लिखते हैं कि एक समय खुद श्री शिवाजी भी औरंगजेब की सेना में मनसबदार थे.
बताया जाता है कि वे दक्षिण भारत में मुगल सल्तनत के प्रमुख बनाए जाने वाले थे लेकिन उनकी सैन्य कुशलता को भांपने में नाकाम रहे औरंगजेब ने इस नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी.
मुगलकाल में दरबार की अधिकारिक लेखन भाषा फारसी होती थी लेकिन औरंगजेब का शासन आने से पहले ही बादशाह से लेकर दरबारियों तक के बीच प्रचलित भाषा हिंदी उर्दू हो चुकी थी. इसे औरंगजेब के उस पत्र से भी समझा जा सकता है जो उसने अपने 47 वर्षीय बेटे आजम शाह को लिखा था. बादशाह ने अपने बेटे को एक किला भेंट किया था और इस मौके पर नगाड़े बजवाने का आदेश दिया था.
आजम शाह को लिखे एक पत्र में औरंगजेब ने लिखा है कि जब वह बच्चा था तो उसे नगाड़ों की आवाज खूब पसंद थी और वह अक्सर कहता था, बाबाजी ढन-ढन. इस उदाहरण से यह बात कही जा सकती है कि औरंगजेब का बेटा तब प्रचलित हिंदी में ही अपने पिता से बातचीत करता था.
सम्राट औरंगज़ेब ने इस्लाम धर्म के महत्व को स्वीकारते हुए ” क़ुरान ” को अपने शासन का आधार बनाया गया , उसने सिक्कों पर कलमा खुदवाना, नौरोज का त्यौहार मनाना, भांग की खेती करना, गाना-बजाना आदि पर रोक लगा दी थी. सन 1663 में सती प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया,
तीर्थ कर पुनः लगाया. अपने शासन काल के 11 वर्ष में “झरोखा दर्शन”, 12 वें वर्ष में ‘” तुलादान प्रथा ” पर प्रतिबन्ध लगा दिया था. सन 1668 में औरंगजेब ने हिन्दू त्यौहारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था. सन 1699 में उसने हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया गया तथा कई नगरों में औरंगज़ेब द्वारा मुहतसिब ( सार्वजनिक सदाचारा निरीक्षक ) को नियुक्त किया गया.
सन 1669 में औरंगज़ेब ने बनारस के ” विश्वनाथ मंदिर ” एवं मथुरा के ” केशव राय मदिंर ” को क्रूरता से तुड़वा दिया था. उसने शरीयत के विरुद्ध लिए जाने वाले लगभग 80 करों को समाप्त करवा दिया था. इन्हीं में ” आबवाब ” नामसे जाना जाने वाला रायदारी (परिवहन कर) और पानडारी (चुंगी कर ) नामक स्थानीय कर भी शामिल थे. औरंगज़ेब दारुल हर्ब ( क़ाफिरों का देश भारत ) को दारुल इस्लाम (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने को अपना महत्त्वपूर्ण लक्ष्य मानता था.
औरंगज़ेब के समय में ब्रज में आने वाले तीर्थ यात्रियों पर भारी कर लगाया गया जज़िया कर फिर से चालू किया गया और कई हिन्दुओं को मुसलमान बनाया गया. उस समय के कवियों की रचनाओं में औरंगज़ेब के घातकी अत्याचारों का उल्लेख मिलता है.
अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया था, लेकिन औरंगजेब के समय यह दोबारा लागू किया गया. जजिया कर सामान्य करों से अलग था जो गैर मुस्लिमों को चुकाना पड़ता था. इसके तीन स्तर थे और इसका निर्धारण संबंधित व्यक्ति की आमदनी से होता था.
इस कर के कुछ अपवाद भी थे. गरीबों, बेरोजगारों और शारीरिक रूप से अशक्त लोग इसके दायरे में नहीं आते थे. इनके अलावा हिंदुओं की वर्ण व्यवस्था में सबसे ऊपर आने वाले ब्राह्मण और सरकारी अधिकारी भी इससे बाहर थे. मुसलमानों के ऊपर लगने वाला ऐसा ही धार्मिक कर जकात था जो हर अमीर मुसलमान के लिए देना ज़रूरी था.
औरंगजेब ने जितने मंदिर तुड़वाए, उससे कहीं ज्यादा बनवाए भी थे. विश्वप्रसिद्ध इतिहासकार श्री रिचर्ड ईटन के अनुसार मुगलकाल में मंदिरों को ढहाना दुर्लभ घटना हुआ करती थी और जब भी ऐसा हुआ तो उसके ज्यादातर कारण राजनीतिक रहे. ईटन के मुताबिक वही मंदिर तोड़े गए जिनमें विद्रोहियों को शरण मिलती थी या जिनकी मदद से बादशाह के खिलाफ साजिश रची जाती थी. उस समय मंदिर तोड़ने का कोई धार्मिक उद्देश्य नहीं था.
इतिहासकारो का कहना है की मथुरा के जाटों ने सल्तनत के खिलाफ विद्रोह किया था इसलिए वहाके मंदिर तोड़े थे.
औरंगजेब ने मंदिरों को संरक्षण भी दिया था.यह उसकी उन हिंदुओं को भेंट थी जो बादशाह के वफादार थे. किंग्स कॉलेज, लंदन की इतिहासकार कैथरीन बटलर तो यहां तक कहती हैं कि औरंगजेब ने जितने मंदिर तोड़े, उससे ज्यादा बनवाए थे. कैथरीन फ्रैंक, एम अथर अली और जलालुद्दीन जैसे विद्वान इस तरफ भी इशारा करते हैं कि औरंगजेब ने कई हिंदू मंदिरों को अनुदान दिया था जिनमें बनारस का जंगम बाड़ी मठ, चित्रकूट का बालाजी मंदिर, इलाहाबाद का सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर और गुवाहाटी का उमानंद मंदिर आदि सामिल है.
औरंगज़ेब के अन्तिम समय में दक्षिण में मराठों का ज़ोर बहुत बढ़ गया था. उन्हें दबाने में शाही सेना को सफलता नहीं मिल रही थी. इसलिए सन 1683 में औरंगज़ेब स्वयं सेना लेकर दक्षिण गया था. वह राजधानी से दूर रहता हुआ, अपने शासन काल के लगभग अंतिम 25 वर्ष तक उसी अभियान में रहा. 50 वर्ष तक शासन करने के बाद उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 में हो गई थी.
औरंगजेब की मृत्यु किस प्रकार हुई उसकी कथा भी रोचक है. क्रूर राजा औरंगजेब अपने कुकर्मो से कुख्यात हो गया. उसकी मौत भी दर्दनाक थी. महान हिन्दु हृदय सम्राट श्री शिवाजी महाराज का स्वर्गवास हो चूका था और सम्भाजी के अंगो को काट कर उनकी निर्मम हत्या औरंगजेब के सामने ही कर दी गई थी.
ततपश्चात हिंदूओ ने सामूहिक रूपसे औरंगजेब के खिलाफ छापामार युद्ध प्रारंभ कर दीया था. औरंगजेब को मारने प्रयास हमेशा किये जाते थे.मगर वो बच जाते थे.
एक बार तो मराठा नेता संताजी और धनाजी ने औरंगजेब के तम्बू की सारी रस्सियाँ काट कर तम्बू को गिरा दिया था. मगर औरंगजेब उस रात अपनी बेटी के तम्बू में था, जिस कारण वो बच गया पर बाकी सारे के सारे लोग मारे गये थे.
उसके बाद छत्रसाल और महाप्रभु ने एक योजना बनाई थी. एक ख़ास प्रकार के जहर से युक्त एक खंजर को लेकर छत्रसाल को योजना समझाते हुए कहा कि यह खंजर उस औरंगजेब को पूरा नहीं मारना है, अन्यथा वो तत्काल प्रभाव से मर जायेगा. ये खंजर केवल उसको एक इंच से भी कम गहराई का घाव देते हुए लम्बा सा एक चीरा ही मारना था.
बुन्देला वीर छत्रसाल ने इस कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया और जैसा महाप्रभु जी ने कहा था ठीक उसी प्रकार उसके शरीर पर एक चीरा कर दिया. जिससे वो औरंगजेब 3 महीने तक बिस्तर पर रह कर तड़पता रहा. इसी तरह वो तडप तडप कर मारा गया. इस तरह उसके पापों का करुण अंत हुआ.
दौलताबाद में स्थित फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में उसे दफना दिया गया. उसकी नीति ने इतने विरोधी पैदा कर दिये, जिस कारण पुरे मुग़ल साम्राज्य का अंत ही हो गया. हालाकी औरंगजेब खुदको हिंदूस्थान का बादशहा मानता था एवं उसकी दौलत बहोत थी मगर खुदकी कबर के बारे मे उसके खयालात अलग थे उसने खुदकि कबर बहोत ही सिधी बनायी जाए ऐसा लिखा था.
औरंगजेब संबंधी कुछ जानकारी :
*** औरंगज़ेब का मकबरा भारत के महाराष्ट्र राज्य के खुलदाबाद नामक स्थान पर विध्यमान है. जो की बहादुर शाह जफ़र ने बनवाया था.
*** औरंगजेब की शादी 18 मई 1637 के दिन फ़ारस के राजघराने की दिलरास बानो बेगम के साथ हुई थी.
*** आगरा पर कब्जा कर के जल्दबाजी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक ” औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर ” की उपाधि से ता : 31 जुलाई, 1658 के दिन शहर दिल्ली में करवाया था.
*** सम्राट औरंगज़ेब ने इस्लाम धर्म के महत्व को स्वीकारते हुए इस्लाम के धर्म ग्रंथ ” क़ुरान ” को अपने शासन का आधार बनाया था.
*** औरंगज़ेब के गुरु मीर मुहम्मद हकीम खजुवा थे.
*** गुरु हरकिशन के बेटे गुरु तेग बहादुर सिंह ने औरंगज़ेब की नीतियों का विरोध किया और इस्लाम धर्म स्वीकार करने का विरोध किया, जिसकी वजह से उन्हें दिल्ली में कैद कर औरंगज़ेब ने दिसंबर 1765 में मरवा दिया था.
*** जयसिंह और शिवाजी के बीट पुरंदर की संधि 22 जून 1665 में संपन्न हुई. 22 मई 1666 में आगरे के किले के दीवान-ए-आम में औरंगज़ेब के सामने शिवाजी उपस्थित हुए और उन्हें कैद करके जयपुर भवन में रखा गया था.
*** औरंगज़ेब ने अप्रैल सन 1679 को हिन्दुओं पर दोबारा ” जज़िया ” कर लगा दिया था. उन्होंने सर्वप्रथम जज़िया कर मारवाड़ पर लागू किया था.
*** औरंगज़ेब ने सन 1679 में लाहौर की बादशाही मस्जिद बनवाई थी.
*** औरंगज़ेब ने औरंगाबाद में सन 1678 में बीबी का मक़बरा अपनी पत्नी रबिया दुर्रानी की स्मृति में बनवाया था.
*** औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल क़िले में मोती मस्जिद बनवाई थी.
*** सन 1686 में बीजापुर और सन 1697 में गोलकुंडा को औरंगज़ेब ने मुगल शासन में मिला लिया था.
*** औरंगज़ेब के समय में हिंदू मनसबदारों की संख्या 337 थी जो अन्य मुगल सम्राटों की तुलना में सबसे अधिक थी.
*** औरंगज़ेब के बेटे शहजादा अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया.
*** औरंगज़ेब ने सिक्के पर कलमा खुदवाना, नवरोज त्यौहार मनाना, भांग की खेती करने पर रोक लगा दी थी. *
(समाप्त ) ——-====शिवसर्जन ====——=