आज आपसे उत्क्रांतिवाद अर्थात विकास सिद्धांत, क्रमागत उन्नति… के बारेमे कुछ बाते करनी है. सनातन काल से, पृथ्वी की उत्पन्ति से लेकर, आज तक, ना जाने कितने परिवर्तन हुए है. क्यु ना हो ? कारण परिवर्तन ही संसार का नियम है ! ये मैं नही कह रहा हु ! हमारे प्रभु श्री कृष्ण कहते है. बच्चा किशोर अवस्था से जवान होकर बुजुर्ग बनता है, ये भी परिवर्तन का ही भाग है.
एक सर्वेक्षण अनुसार जबसे इस पृथ्वी की उत्पत्ति हुई तबसे आज तक के उत्क्रांतिवाद के नियमो की एक, 60 मिनिट की फिल्म, बनाई जाय तो मनुष्य की एन्ट्री अंत मे सिर्फ दो मिनट से पहले आयेगी.
आगेकी 58 मिनिट मे सुर्य से पृथ्वी का एक अंगार का गोला के स्वरूप जन्म होना ! अर्थात सुर्य का कुछ हिस्सा सूर्य से अलग होकर अवकाश मे सुर्य की परिकर्मा करने लगना बाद मे धीरे धीरे पृथ्वी का बाहरी हिस्सा ठंडा होना ! ( इसी तरह अन्य ग्रह का निर्माण भी हुआ होगा.)
कई सालों बाद वायु का ठंडा होकर पानी मे परिवर्तित होना, उसके बाद पृथ्वी का पानी और जमीन ऐसे दो भागोंमें बट जाना बादमे सुक्ष्म जीव जंतु के रूप मे पृथ्वी पर जीव सृस्टि का पारंभ से लेकर आज तक का क्रमागत विकास को, हम लोग उत्क्रांतिवाद मानते है.
आप समज सकते हो की मनुष्य की उत्पत्ति से पहले लाखो, करोड़ो साल, पृथ्वी ने अपना परिवर्तन होते देखा होगा. मनुष्य अपने आप को बुद्धिजीवी प्राणी समजता है !
शुरू से आज तक वो अपना वर्चस्व पृथ्वी लोग पर बनाये रखना चाहता है. वास्तव मे प्रभु ने इस पृथ्वी पर वसाहत करने वाले सभी, पशु, पक्षी, प्राणी, जीव जंतु, मछली आदि समुद्री जीव सबके कल्याण हेतु पृथ्वी का निर्माण किया है !
जबकि मनुस्य यह समज रहा है की प्रभु ने पृथ्वी का निर्माण सिर्फ मनुस्य जाती के लिये किया है !
इस सोच ने जंगल का निकंदन किया. सीमेंट कंक्रीट के जंगल निर्माण हुआ. जिसकी सामूहिक सजा आज हम भुगत रहे है.
प्रभु ने पृथ्वी की तमाम चीजों का कुछ ना कुछ विशेषता प्रदान की है. हर वनस्पति को औषधि गुण दिया है.
कुत्ता भूकंप से पहेला भूकने लगता है ! घोडा भूकंप से पहले हिनहिनात करने लगता है और अगमचेती दिखाकर मनुष्य को सावधान करता है. पक्षी ओको बारिश आनेका आसार पहले आ जाता हे. कौवा बारिस से पहले अपना घर घोसला बना लेता हे. सारस पक्षी अच्छा भोजन के लिये हजारो मिल का सफर करते हे ! उन्हें कौन सुजबुझ देता हे ? सुग्रीव पक्षी का माला मनुष्य के लिये अजूबा हे.
प्रभु ने मोर को पिंछ मे सुंदरता दी है. कोयल के कंठ मे गायकी दी है. चीटी अपने वजन से ढाई गुना ज्यादा वजन उठाती है. बाज पक्षी मिलो दूर ऊपर आसमान से अपना शिकार ढूंढ लेता हे.
इस तरह हर जीव को प्रभु ने कुछ न कुछ नया पन दिया हे, फिरभी मनुष्य अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानता हे. मनुष्य एक मात्र ऐसा जीव हे जो कमाता हे फिर भी हमेशा असंतुस्ट रहता हे. जबकि बाकी कोई भूखा नही रहता हे.
पृथ्वी लोग मे वास्तव्य करने वालों मे सबसे ज्यादा खतरा मनुष्य का हे. विकास की दौड़ ने उसे अंधा बना दिया हे. एक मानव ही पृथ्वी के साथ छेड़छाड़ करते आया हे जो सबके लिये खतरा बन गया हे.
धीरे धीरे वो जंगल मे घुसपैठ करने लगा. यही कारण हे की जंगली प्राणी का वो शिकार बन रहा हे. विकास के नाम पर मनुष्य नित नये आविष्कार कर रहा हे मगर वो ही विनाश का कारण बनते जा रहा हे. जो सबके लिये खतरा बन रहा हे.
उत्क्रांतिवाद मे हमारा वैदिक काल सुवर्ण काल था. योग साधना से हमारे ऋषि मुनि हजारो साल जीते थे. इसी समय चार वेद सामवेद, अर्थवेद, ऋग्वेद, यजुर्वेद का निर्माण हुआ. अनेक धार्मिक ग्रंथो लिखे गये.
योग गुरु राम देव ने तो दाम और नाम कमाकर सिर्फ योग को विश्व मे नयेसे प्रेसन्ट किया जो हमारे ऋषिमुनि की देन हे, आविष्कार हे…..! हमारा देश छोटे छोटे गाँव का समूह था. लोग शांति से अमन चेन से रहते थे. असली खान पान, निरोगी जीवन, आपस मे तालमेल , पाशुओंको हरा भरा चारा आसानी से मिल जाता था.
शहर की लालच ने सब चौपट कर दिया. शहर, महा नगर, मेगा सिटी का आगमन ने हमे धनिक तो बनाया मगर सुख चेन, स्वास्थय को छीन लिया ! प्रभु की लीला अपरम्पार हे. मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी हे जो प्रभु की लीला के समीप जा पंहुचा हे फिर भी उसका साक्षात्कार नही कर पाया यु कहो की पकड़ से परे है.
मनुष्य जाती को, प्रभु को पकड़ पाना नामुमकिन है क्योकि श्री अर्जुन को तो श्री कृष्ण ने दिव्य दृस्टि दी तभी वो प्रभु का असली रूप देख पाया. अतः मनुष्य को प्रभु जी का साक्षात्कार करना मुश्किल हे. अतः हमे मानना पड़ेगा की प्रभु का असली रूप देख पाना नामुमकिन है.
पहले मंत्र तंत्र का जमाना था. बादमे यंत्र युग आया. अब यंत्र मानव (रोबो ) का जमाना आ रहा है ! आगे मनुष्य का हर काम यंत्र मानव ही करेगा !.
बस – कार-ट्रैन मानव रहित ड्राइवर के बिना चलेगी. घर का काम रोबो द्वारा होगा. विदेश मे बैठा एक्सपर्ट डॉक्टर विदेश मे बैठे बैठे ही यंत्र मानव की सहायतासे हजारो मील दूर ऑपरेशन. करेगा !
और ये सब उत्क्रांतिवाद का ही भाग माना जायेगा. मित्रों, पृथ्वी के लिये मानव ही पृथ्वी का सबसे बड़ा दुश्मन है. अणु, परमाणु युक्त्त देशमे से कोई शासक की खोपड़ी सनक गई तो विश्व का विनाश.
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शिव सर्जन प्रस्तुति.