आप सभी जानते है कि हमारा भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है और उस लोकतंत्र की सबसे खूबसूरत तस्वीर हमारा ” संसद भवन ” है , जहां पर जनता द्वारा चुने गए सांसद हमारे देश और राज्य का नेतृत्व करते हैं.
संसद सदस्य के रूप में चुने जाने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना जरुरी है. और राज्य सभा में चुने जाने के लिए उसकी आयु कम से कम 30 वर्ष और लोक सभा के मामले में कम से कम 25 वर्ष होनी जरुरी है.
संसद भवन अंग्रेजी शिल्पकला की एक अद्भुत वास्तु कला का नमूना है. इस संसद भवन का निर्माण अंग्रेजो ने सन 1921 में शुरू किया था और सन 1927 में बनाकर तैयार कर दिया गया था.
इस भवन के निर्माण में उस जमाने मे कुल 83 लाख रुपये खर्च किया गया था . इसका शिलान्यास 12 फरवरी सन 1921 के दिन ड्यूक आफ कैनट ने किया था , और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने तारीख : 18 जनवरी 1927 के दिन किया था.
ये एक वृत्ताकार वास्तु बनाई गयी है, जिसका व्यास 170.69 मीटर है. इसकी परिधि 1/2 किलोमीटर (536.33 मीटर ) से अधिक है. संसद भवन लगभग छह एकड़ में फैला हुआ है. इसमें 12 दरवाजे हैं, जिसमें गेट नम्बर 1 मुख्य द्वार है. पार्लियामेंट के पहले तल का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका हुआ है. प्रत्येक खंभे की लम्बाई 27 फीट ऊंची है.
सर हर्बर्ट बेकर के निरीक्षण में निर्माण कार्य संपन्न हुआ था. गोलाकार गलियारों के कारण इसको शुरू में सर्कलुर हाउस कहा जाता था. संसद भवन देश की सर्वोच्च विधि निर्मात्री संस्था है. संसद भवन तीन भागों में बांटा गया है.
(1) लोकसभा, (2) राज्यसभा और (3) केंद्रीय हॉल.
1) लोकसभा कक्ष :
लोकसभा कक्ष अर्धवृत्ताकार है. यह तकरीबन 4800 वर्ग फीट में विद्यमान है. इसके व्यास के मध्य में ऊंचे स्थान पर स्पीकर की कुर्सी रखी है. लोकसभा के अध्यक्ष को स्पीकर कहा जाता है. सर रिचर्ड बेकर जी ने वास्तुकला का सुन्दर नमूना तैयार किया. अध्यक्ष की कुर्सी के नीचे की ओर पीठासीन अधिकारी की कुर्सी होती है , जिस पर सेक्रेटी जनरल (महासचिव) बैठता है. यहां पर सदन में होने वाली कार्यवाई का ब्यौरा लिखा जाता है. मंत्री, सदन के अधिकारी भी अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखते हैं. एक ओर सभी पत्रकार बैठते हैं. सदन में 550 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. सीटें 6 भागों में विभाजित हैं. प्रत्येक भाग में 11 पंक्तियां हैं. दाहिनी तरफ की 1 तथा बायीं तरफ की 6 भाग में 97 सीटें हैं. बाकी के चार भागों में से प्रत्येक में 89 सीटें हैं. स्पीकर की कुर्सी के दाहिनी ओर सत्ता पक्ष के लोग बैठते हैं और बायीं ओर विपक्ष के लोग बैठते हैं. लोकसभा मे 550 सदस्यों को बैठनेकी व्यवस्था है.
(2) राज्य सभा :
इसको उच्च सदन कहा जाता है. इसमें सदस्यों की संख्या 250 तक हो सकती है. भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है. राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव मतदान द्वारा जनता नहीं करती है. यहां राज्यों की विधानसभाओं के द्वारा सदस्यों का निर्वाचन होता है. यह स्थायी सदन है.यह कभी भंग नहीं होती. 12 सदस्यों का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है. ये सदस्य कला, विज्ञान, साहित्य आदि क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां होती हैं. इस सदनकी सारी कार्यप्रणाली का संचालन भी लोकसभा की तरह होता है.
(3) केंद्रीय हॉल :
केंद्रीय कक्ष गोलाकार है. इसके गुंबद का व्यास 98 फीट है. यह विश्व के सबसे महत्वपूर्ण गुम्बद में से एक है. केंद्रीय हॉल का इतिहास में विशेष महत्व है. ता :15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने भारतीय हाथों में सत्ता हस्तांतरण की रसम इसी कक्ष में की थी. भारतीय संविधान का प्रारूप भी इसी हॉल में तैयार किया गया था. आजादी से पहले केंद्रीय हॉल का उपयोग केंद्रीय विधायिका और राज्यों की परिषदों के द्वारा लाइब्रेरी के तौर पर किया जाता था. सन 1946 में इसका स्वरूप बदल दिया गया और यहां संविधान सभा की बैठकें होने लगी. ये बैठकें 9 दिसम्बर 1946 से 24 जनवरी 1950 तक हुई. वर्तमान में केंद्रीय हॉल का उपयोग दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के लिए होता है, जिसको राष्ट्रपति संबोधित करते हैं.
” संसद भवन की कुछ वास्तविकता प्रस्तुत करता हूं.”
( 1 ) सेंट्रल हॉल की महत्ता : 14-15 अगस्त 1947 से पहले इसी हॉल से यूनाइटेड किंगडम से भारत में सत्ता का हस्तांतरण इसी हॉल में हुआ था.
( 2 ) हाथ से लिखा संविधान सुरक्षित है. यहां संसद की लाइब्रेरी में भारत के संविधान की हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी प्रतिलिपि यहां नाइट्रोजन गैस से भरे चैंबर में सुरक्षित रखी गई है.
( 3 ) संसद की संरचना संसद भवन की इमारत की संरचना को सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने बनाया था.
( 4 ) संसद की लाइब्रेरी भी है. खास संसद की लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है, पहली नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता में है.
( 5 ) संसद भवन कुल 83 लाख में बना था. संसद भवन की नींव की पहली ईंट ता : 12 फरवरी 1921 के दिन रखी गयी थी, इसके निर्माण में 6 साल लगे थे.
( 6 ) सबसे सस्ती कैंटीन संसद की कैंटीन है इस में महज 12 रुपए मे खाना मिलता है.
( 7 ) देश का सुप्रीम कोर्ट पहले संसद के सेंट्रल हॉल में था. आजादी के बाद नयी सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग बनने तक सेंट्रल हॉल में ही देश का सुप्रीम कोर्ट चलता था.
( 8 ) संसद के दोनों सदन घोड़े के पैर की संरचना पर बने हैं. लोकसभा और राज्यसभा हॉल का आकार घोड़े के पैर के आकार का है.
( 9 ) संसद की पहली मंजिल पर खासतौर पर 144 खंभे बनाए गए हैं.
( 10 )भारतीय संसद भवन की डिजाइन मध्य प्रदेश के 9 वीं शताब्दी मे बने एक शिव मंदिर की प्रतिकृति है.
( 11 ) संसद मे पंखे उलटे लगे हुए है. सालों से संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए उनके साथ कोई बदलाव नहीं किया गया है.
भारतीय संसद के तीन अंग राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा होते हैं. भारतीय संसद का संचालन नई दिल्ली स्थित संसद भवन से होता है. राष्ट्रपति के पास दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने, स्थगित करने और लोकसभा को भंग करने की पुरी शक्ति होती है.
लोकसभा में देश की जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं. इनकी संख्या 545 है. वहीं राज्यसभा एक स्थायी सदन है. इसमें सदस्यों की संख्या कुल 250 है. राज्यसभा के सदस्य 6 सालों के लिए चुने जाते हैं. राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में सेवा निवृत्त हो जाते हैं.
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